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नीरज पांडे की फिल्म अय्यारी में मेजर जय बख्शी( सिद्धार्थ मल्होत्रा) कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरिंदर सिंह, जनरल प्रताप मलिक(विक्रम गोखले), ब्रिगेडियर के श्रीनिवास (राजेश तैलांग) और एक्स-आर्मी मुकेश कपूर (आदिल हुसैन) जैसे नामचीन और मझे हुए कलाकार मौजूद हैं.
शुरुआत में कहानी के कई हिस्सों को इस तरह दिखाया गया कि दर्शकों को कहीं न कहीं लगता कि फिल्म इंट्रेस्टिंग हो सकती है. लेकिन जब 'दो महीने बाद' और 'चार महीने पहले' जैसे फ्लैश स्क्रीन पर नजर आते हैं, तो इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि कहानी कहां से शुरू होकर कहां घूम गई.
बेशक अय्यारी की शुरुआत एक महान इरादे से की गई थी, जिसमें देश के भ्रष्ट वर्दीधारी और देश के खिलाफ हो रही संदिग्ध गतिविधियों को उजागर करने की कहानी है.
फिल्म में भ्रष्टाचार, हथियार के सौदे से लेकर सेना में विधवाओं को मिलने वाले धन का दुरुपयोग जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया गया, लेकिन फिल्म क्या समझाना चाहती है ये समझना थोड़ा मुश्किल था.
रेगुलर इंटरवल में 'साला गद्दार निकला' और गाली गलौच से भरे डायलॉग ने फिल्म को झेलना थोड़ा मुश्किल कर दिया. हम सभी जानते हैं कि किसी भी सीक्रेट मिशन के लिए सेना का जनरल एक टीम बनाता है, जो अपने सीक्रेट मिशन से दुश्मनों को खत्म करता है. इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने सेना के इस सीक्रेट यूनिट के हेड का किरदार निभाया है. जबकि सिद्धार्थ मल्होत्रा उनके शागिर्द का किरदार निभाते नजर आए हैं. लेकिन कहानी में तब ट्विस्ट आता है जब इस शागिर्द को प्यार हो जाता है और यहीं से खेल शुरू होता है गद्दारी का.
फिल्म में मनोज बाजपेयी भी कहीं, कोई बड़ी चुनौती लेते नजर नहीं आए. हम सिर्फ यही तलाशते रह गए कि आदिल हुसैन, अनुपम खैर, नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों ने बेतुके डायलॉग के साथ अपना वक्त क्यों बर्बाद किया. राहुल प्रीत सिंह और पूजा चोपड़ा तो फिल्म में मुश्किल से ही नजर आईं. अगर बात फिल्म की जाए तो अय्यारी की कमजोर स्क्रिप्ट जो दिखाना चाहती था वो नहीं दिखा पाई. लेकिन अगर आप फिर भी ये फिल्म देखना चाहते हैं, तो अपने रिस्क पर देख सकते हैं. तो हम दे रहे हैं अय्यारी को 5 में से 1.5 क्विंट.
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