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क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले अपारशक्ति खुराना कैसे बने एक्टर

अपारशक्ति खुराना ने अपने फिल्मी करियर में अलग-अलग किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाई है. अ

दीक्षा शर्मा
बॉलीवुड
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अपारशक्ति खुराना ने बताया कैसे वो क्रिकेटर बनना चाहते थे, फिर वकील और RJ बने और अब एक एक्टर हैं. 
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अपारशक्ति खुराना ने बताया कैसे वो क्रिकेटर बनना चाहते थे, फिर वकील और RJ बने और अब एक एक्टर हैं. 
(फोटो: क्विंट हिंदी/कामरान अख्तर) 

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अपारशक्ति खुराना ने अपने फिल्मी करियर में अलग-अलग किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाई है. अपारशक्ति ने 2015 में फिल्म 'दंगल' के साथ अपना सफर शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया', 'स्त्री' और 'लुका छुप्पी' जैसी फिल्में कीं. क्विंट ने अपारशक्ति खुराना से खास बात की और ये जाना की कैसे क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले अपारशक्ति पहले वकील फिर RJ बनकर आखिर में एक्टर कैसे बन गए.

आपने एक्टर बनने का कब सोचा?

मैं हमेशा से एक खिलाड़ी बनना चाहता था. लेकिन जब मैं अपने भाई को ये सब कूल चीजें करते देख रहा था, मैं झूठ नहीं बोलूंगा, मैं उसकी म्यूजिक और रेडियो में परफॉरमेंस से बहुत प्रेरित होता था. मेरे ये सब सोचने से पहले मेरी उससे एक अच्छी-खासी बात हुई और उसने बहुत मेच्योर तरीके से मुझे ये समझाया कि अगर तुम सीधे आकर काम करना शुरू कर दोगे, तो तुम भी नेपोटिज्म के घेरे में आ जाओगे. मौका मिल जाएगा, प्रॉब्लम नहीं होगी उसमें. तुम्हें अपने आप को बहुत अच्छी तरह से तैयार करना है बस. तो ये ही एक मुख्य कारण था कि मेरी पहली फिल्म ‘सात उचक्के’ और दूसरी फिल्म ‘दंगल’ और तीसरी फिल्म ‘बब्बू की जवानी’ जो कभी रिलीज ही नहीं हुई, ये सब तब हुईं जब मैं दिल्ली में रह रहा था.

आप कॉलेज में थिएटर करते थे?

नहीं, कॉलेज में नहीं. मैं दिल्ली हाई कोर्ट में काम कर रहा था. रेडियो जॉकी बनने से पहले. तो वहां मेरे एक सीनियर ने मुझसे बोला कि अपना वॉइस करेक्शन करने के लिए थिएटर करना शुरू कर दो. मैं हर जगह हूं, शुक्र है अच्छे तरीके से. अगर आपको सचिन तेंदुलकर बनना है या ए. आर. रहमान बनना है, तो आपको किसी एक चीज का गुरु बनना होगा. आप हर चीज में एक्सपर्ट नहीं हो सकते. क्योंकि फिर आपकी एनर्जी हर जगह बट जाती है, लेकिन फिर ये भी है कि आप एक लीजेंड बनने की कोई प्लानिंग नहीं कर सकते. मैं सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेलता था, मैं साथ में वॉलीबॉल स्क्वैश, बैडमिंटन सब ही खेलता था. मैं एक खिलाड़ी ही बनना चाहता था.

तो आपने उस चीज को गंभीरता से क्यों नहीं लिया?

ईमानदारी से बताऊं तो, मैं उसमें बुरी तरह से फेल हो गया. आपको वो गंभीरता, जुनून और कमिटमेंट 15 साल की उम्र में ही दिखाना पड़ता है. मैं खिलाड़ियों की एक्टर्स से कहीं ज्यादा इज्जत करता हूं. मैं गंभीर नहीं था. मैं भगवन से ये प्रार्थना करता हूं कि वो मुझे दूसरी जिंदगी दें और मुझे बिलकुल शुरुआत से शुरू करने का मौका दें और फिर मैं जरूर क्रिकेटर बनके दिखाऊंगा. इस बार मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं अपने भाई की चीजों से ना विचलित हूं. मैं बहुत भावुक हो जाता हूं जब कोई क्रिकेट की बात करता है.

और जानने के लिए इंटरव्यू देखें.

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