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जब एक टीवी इंटरव्यू में पूछा गया, ‘अगर आपकी वाइफ का किसी के साथ अफेयर होता, जिस तरह से आपका परवीन बॉबी के साथ था तो आप क्या करते?’ इस पर उन्होंने गुर्राते हुए कहा था, ‘मैं उसे कुल्हाड़ी से काट डालता.’ जवाब देने वाले महेश भट्ट थे. सवाल में उनकी जिस वाइफ का जिक्र है, उनका असल नाम लॉरेन ब्राइट था, जिसे बदलकर उन्होंने किरण कर लिया था.
20 साल की उम्र में भट्ट साहब की शादी हो गई थी, बाद में तलाक हुआ. महेश भट्ट और किरण की बेटी एक्टर-डायरेक्टर पूजा भट्ट और बेटा राहुल भट्ट हैं. इसके बाद महेश ने सोनी राजदान से शादी की. किरण के साथ तलाक में समय लग रहा था, इस बीच वह धर्म बदलकर मुसलमान बन गए. सोनी और वह आलिया और शाहीन के पेरेंट्स हैं.
मैंने खान और भट्ट को ब्रीच कैंडी के पास हेलेन के पुराने घर समरसेट हाउस में यूं ही बैठकर बातें करते देखा है. भट्ट तब शराब की लत से जूझ रहे थे और सलीम स्कॉच के महाराजा साइज पेग ले रहे थे. दोनों ने ‘क्रिएटिव डिफरेंसेज’ की वजह से साथ काम करना बंद कर दिया. आज भट्ट एक्टिव फिल्म मेकिंग से लगभग रिटायर हो चुके हैं, लेकिन वह स्क्रिप्ट पढ़ते और अप्रूव करते हैं. सोशल, पॉलिटिकल और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठाते हैं. प्रोडक्शन हाउस विशेष फिल्म्स के पीछे भट्ट का दिमाग काम करता है और आज की पीढ़ी उन्हें आलिया भट्ट के पिता के रूप में पहचानती है, जिससे उन्हें कोई शिकवा नहीं है.
अब तक वह 47 फिल्मों का डायरेक्शन कर चुके हैं. इनमें कई ओरिजनल फिल्में थीं, जिन्हें बहुत सराहा गया. कई हॉलीवुड की नकल थीं, जिनका डायरेक्शन भट्ट ने किसी चीते की फुर्ती से किया था. वह अच्छे फिल्ममेकर हैं, लेकिन महान नहीं. भट्ट की सबसे अच्छी फिल्में उनकी अपनी जिंदगी पर आधारित रही हैं.
यह फिल्म भट्ट की जिंदगी पर आधारित थी और इससे पता चलता है कि वह खुद को छोटा दिखा सकते थे. 1985 में उनकी फिल्म जानम आई, जिसके केंद्र में एक सिंगल मदर है. ऐसी मां जो त्याग करती है और दृढ़ निश्चयी है. सांप्रदायिक दंगों के बैकग्राउंड के साथ 1998 में जख्म नाम से इसी कहानी को नए अंदाज में पेश किया गया.
1990 में वह आशिकी लेकर आए, जिसमें हीरो जिस नायिका से प्रेम करता है, उसे गंवा देता है. उनकी यादगार फिल्मों में 1984 में आई सारांश भी है. यह मुंबई के शिवाजी पार्क इलाके में रहने वाले बुजुर्ग माता-पिता की कहानी है, जो न्यूयॉर्क में लूट की एक वारदात में अपने बेटे को गंवा देते हैं. इस फिल्म में भट्ट ने मध्यवर्गीय महाराष्ट्रीय परिवार का जीवंत चित्रण किया है, जिसका तजुर्बा उन्हें अपने बड़े होने के दौरान हुआ था.
बॉक्स ऑफिस पर भट्ट की सफल फिल्मों में से एक सड़क (1998) रही, जो अमेरिकी डायरेक्टर-प्रोड्यूसर मार्टिन स्कॉर्सेजी की फिल्म टैक्सी ड्राइवर का री-साइकल्ड वर्जन है. इस लिस्ट में 1991 में दिल है कि मानता नहीं भी है, जो हॉलीवुड की इट हैपेन्ड वन नाइट से इंस्पायर्ड थी. एक और सफल फिल्म हम हैं राही प्यार के थी, जो 1993 में रिलीज हुई थी. यह भी हॉलीवुड क्लासिक हाउसबोट से प्रेरित थी. 1993 में ही सर आई.
उनकी जगह विशेष फिल्म्स में विक्रम भट्ट ने ली. मुझे लगता है कि पूजा भट्ट शायद किसी दिन अपने पिता की बायोग्राफी लिखेंगी, जिसमें उनके द्वंद्व का जिक्र होगा.
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