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एक तरफ जब पूरे देश की नजरें लोकसभा चुनाव 2019 पर लगी हुई हैं. तो दूसरी तरफ, दलाल स्ट्रीट के कुछ एनालिस्ट बॉक्स ऑफिस पर मंडरा रहे खतरे को देख रहे हैं. बॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर सिर्फ चुनाव ही नहीं, आईपीएल और वर्ल्डकप की मार भी पड़ने वाली है.
देश की नजरें एक तरफ चुनाव में पीएम मोदी की पार्टी के प्रदर्शन पर, वहीं दूसरी ओर आईपीएल, वर्ल्डकप में क्रिकेटर विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे सितारों पर जमी होंगी.
मल्टीप्लेक्स कारोबारियों की नजरें बॉलीवुड स्टार सलमान खान, अक्षय कुमार, वरुण धवन, आलिया भट्ट और सुशांत सिंह राजपूत पर टिकी होंगी, क्योंकि रिटर्न के तौर पर इनके नतीजे मल्टीप्लेक्स से ही आएंगे.
अप्रैल-जून तिमाही को आमतौर पर मल्टीप्लेक्स ऑपरेटरों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस दौरान कई मेगा-बजट और मल्टी-स्टारर फिल्में इस साल रिलीज के लिए तैयार भी हैं.
इस तिमाही में अक्षय कुमार की 'केसरी', वरुण धवन और आलिया भट्ट स्टारर 'कलंक', टाइगर श्रॉफ की 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर-2', सुशांत सिंह राजपूत की 'ड्राइव' और सलमान खान की ‘भारत’ के साथ-साथ दो दर्जन से ज्यादा फिल्में रिलीज के लिए तैयार हैं.
तो तय है कि बॉलीवुड को इस तिमाही में आईपीएल, आम चुनाव और आईसीसी वर्ल्डकप से जूझना है.
जनवरी-मार्च की तिमाही पीवीआर और आईनॉक्स लीजर जैसे मल्टीप्लेक्स प्लेयर्स के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई, क्योंकि ब्लॉकबस्टर्स की बाढ़ ने साल-दर-साल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को 34 फीसदी तक बढ़ाने में मदद की.
रणवीर सिंह की 'सिम्बा', अमिताभ बच्चन की 'बदला', रजनीकांत की 'पेटा' के साथ 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक', 'गली बॉय', 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी', 'टोटल धमाल' और 'कैप्टन मार्वल' ने बॉक्स ऑफिस पर टिकट की बिक्री बढ़ाने में मदद की और इन शेयरों में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है.
लेकिन जून तिमाही में बॉलीवुड के इस बाजार पर पॉलिटिक्स और क्रिकेट का खतरा मंडरा रहा है.
इंडियन प्रीमियर लीग का सीजन-12 23 मार्च से शुरू होने जा रहा है. आईपीएल का फाइनल मुकाबला 12 मई को खेला जाएगा. देश में 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में वोटिंग होनी है और चुनाव परिणाम 23 मई को आएंगे. इसके बाद आईसीसी वर्ल्ड कप की शुरुआत 30 मई को हो जाएगी और नए वर्ल्ड चैंपियन का फैसला 14 जुलाई को होगा.
साल 2014 में, जब अप्रैल-मई के दौरान देश में चुनाव हुए थे, तो पीवीआर ने 2014 के जून तिमाही में 7.7 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था, जबकि एक साल पहले की तिमाही में पीवीआर को 13.6 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था. वहीं, 2015 में इसी अवधि के दौरान पीवीआर ने 43.5 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
इसी तरह, आईनॉक्स लीजर 2014 की जून तिमाही में 4.6 करोड़ रुपये के मुनाफे में रहा, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में 14.2 करोड़ रुपये और अगले साल की इसी तिमाही के लिए 25.3 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
साल 2015 में ICC वर्ल्ड कप छह हफ्तों तक चला था, इस दौरान मार्च की तिमाही में आईनॉक्स लीजर को 4.1 करोड़ रुपये और पीवीआर को 35.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. मार्च तिमाही आमतौर पर इस इंडस्ट्री के लिए सबसे खराब दौर होता है. बाजार पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि आईपीएल का मल्टीप्लेक्स कारोबार पर उतना असर नहीं होता है.
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