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'गंगूबाई कोठेवाली'... ये नाम पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है... वजह? 60 के दशक में मुंबई के कमाठीपुरा में वेश्यालय चलाने वाली गंगूबाई की जिंदगी पर फिल्म बनने जा रही है. डायरेक्टर संजय लीला भंसाली 'इंशाअल्लाह' की बजाय अब इस फिल्म पर काम कर रहे हैं. ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने ट्वीट कर बताया है कि संयय लीला भंसाली ने अपनी अगली फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ अनाउंस कर दी है. बड़े पर्दे पर गंगूबाई कोठेवाली का रोल आलिया भट्ट निभाएंगी.
ऐसा क्या था गंगूबाई कोठेवाली की जिंदगी में, जिसके लिए भंसाली 'इंशाअल्लाह' को छोड़कर, उनपर फिल्म बनाने जा रहे हैं?
वैसे तो माफिया क्वीन बन चुकी गंगूबाई अपनी मर्जी से कमाठीपुरा नहीं आई थीं. लेखक और जर्नलिस्ट एस. हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' (जो मुंबई माफिया की महिलाओं पर आधारित है) के मुताबिक, हजारों लड़कियों की तरह वो भी सेक्स ट्रैफिकिंग की शिकार हुई थीं. गंगूबाई का नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था और वो गुजरात के काठियावाड़ में पली-बढ़ी थीं. एक नामी परिवार से आने वाली गंगा मुंबई आकर हीरोइन बनना चाहती थीं.
16 साल की गंगा को अपने पिता के अकाउंटेंट रामनिक लाल से मोहब्बत हो गई और इसी प्यार में वो उसके साथ भागकर मुंबई चली आईं. 28 साल के रामनिक लाल ने गंगा को मुंबई में एक्टर बनने के बड़े-बड़े सपने दिखाए और फिर उससे शादी कर ली. शादी के बाद दोनों मुंबई आ गए, जहां कुछ ही दिनों बाद रामनिक लाल ने गंगा को 500 रुपये में एक कोठे पर बेच दिया.
काठियावाड़ की गंगा मुंबई के काठिमपुरा में गंगूबाई बन गई. जैदी की किताब में गंगूबाई के माफिया डॉन करीम लाला से करीबी का भी जिक्र है. किताब के मुताबिक, करीम लाला के गैंग के एक पठान ने गंगूबाई का रेप किया था. गंगूबाई की मदद के लिए जब कोई खड़ा नहीं हुआ, तो इंसाफ के लिए वो खुद करीम लाला से मिलने पहुंच गई थी. करीम लाला ने गंगूबाई को इंसाफ का वादा किया, जिससे भावुक होकर गंगूबाई ने उसकी कलाई पर राखी बांधी थी.
गंगूबाई शहरों में प्रॉस्टीट्यूशन बेल्ट के हक में थीं और हमेशा सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए खड़ी रहती थी. मुंबई के आजाद मैदान में सेक्स वर्कर्स के हक में दिए उनके भाषण को स्थानीय अखबारों ने खूब कवर किया. किताब में गंगूबाई के उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू से मिलने का भी जिक्र है.
गंगूबाई ने कई बच्चों को भी गोद लिया था, जो उनके साथ वहीं रहते थे. ये बच्चे या तो अनाथ थे, या बेघर. गंगूबाई ने इन बच्चों की पढ़ाई और पालने की जिम्मेदारी ली थी.
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