HC का आदेश: 15 अगस्त को रिलीज होगी ‘बाटला हाउस’,हटाए जाएंगे ये सीन
फिल्म प्रोड्यूसर्स और मुठभेड़ मामले में आरोपी के बीच फिल्म में कुछ बदलाव के लिए सहमति बनी
क्विंट हिंदी
बॉलीवुड
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(फोटो: ट्विटर)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म ‘बटला हाउस’ को 15 अगस्त को रिलीज करने की मंजूरी दे दी. फिल्म प्रोड्यूसर्स और मुठभेड़ मामले में एक आरोपी के बीच फिल्म में कुछ बदलाव के लिए सहमति बन जाने के बाद मंगलवार को अदालत ने इसके रिलीज को मंजूरी दी. जस्टिस विभु बाखरू ने याचिका का निपटारा किया, और आदेश सुनाते हुए कहा कि फिल्म प्रोड्यूसर्स को अपने दिए गए बयान का पालन करना होगा.
फिल्म के खिलाफ क्यों दायर हुई याचिका
प्रोड्यूसर्स ने कुछ डिस्क्लेमर डालने और फिल्म के उन सीन्स को हटाने पर सहमति जताई, जिसको लेकर याचिकाकर्ताओं को ऐतराज था. बटला हाउस मुठभेड़ मामले में मुकदमे का सामना कर रहे आरिज खान और निचली अदालत से आजीवन कैद की सजा पाए शहजाद अहमद ने याचिका दायर की थी. खान और अहमद 2008 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं. याचिका में दावा किया गया था कि फिल्म स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज होने वाली है, जिसमें बम विस्फोट और मुठभेड़ के बीच संबंध दिखाए गए हैं और इससे दोनों मामलों में मुकदमे की सुनवाई प्रभावित हो सकती है.
याचिका दायर करने के बाद फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग की गई. जज और दोनों पक्षों के वकीलों ने फिल्म देखी. फिर मामले की करीब चार घंटे की सुनवाई के बाद अदालत ने अपने फैसले में कहा कि फिल्म प्रोड्यूसर्स के कुछ शर्तों पर सहमत होने के बाद मुद्दा सुलझ गया है.
यह फैसला लिया गया कि फिल्म की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर दिखाया जाएगा. इस डिस्क्लेमर में कहा जाएगा कि यह फिल्म दिल्ली पुलिस से प्रेरित है और दिखाई गई घटनाएं पब्लिक डोमेन में सूचित या उपलब्ध हैं, और यह एक डॉक्यूमेंट्री नहीं है.
अलग-अलग भाषाओं में डिस्क्लेमर में यह भी कहा जाएगा कि इस फिल्म में दिखाए गए किसी किरदार का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई समानता अनैच्छिक है और यह महज एक संयोग है.
फिल्म प्रोड्यूसर्स ने इस बात पर भी सहमति जताई है कि वे उस सीन को हटा देंगे, जिसमें एक किरदार गुनाह कबूल करते हुए दिख रहा है. इसी तरह एक अन्य सीन को भी हटाया जाएगा, जिसमें एक किरदार बम बनाते हुए दिख रहा है.
फिल्म के एक सीन में 'मुजाहिद' शब्द को म्यूट किया जाएगा और एक डिस्क्लेमर चलाया जाएगा कि ये फिल्म दोनों पक्षों के विचारों का समर्थन नहीं करती.
शुरू में दिखाए गए डिस्क्लेमर के तहत फिल्म के आखिर में दिखाई गई दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी की असल तस्वीर को भी हटाया जाएगा.
अदालत ने यह भी कहा कि फिल्म प्रोड्यूसर्स को इन बदलावों के साथ फिल्म की कॉपी सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) को सौंपने की जरूरत नहीं है.