सुशांत सिंह राजपूत की मौत का तमाशा मत बनाइए...प्लीज...

उनकी मौत के एक महीने बाद भी बहुत सारे लोग ऐसे-ऐसे सवाल उठा रहे हैं जो किसी लिहाज से सही नहीं दिखता.

पंखुड़ी शुक्ला
बॉलीवुड
Updated:
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करीब 1 महीने पहले, सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने देशभर को हैरान कर दिया था. उनके दोस्त, परिवार, साथ काम करने वाले लोग और फैंस सब के सब बेहद गम की स्थिति से गुजरे. लेकिन उनकी मौत के एक महीने बाद भी बहुत सारे लोग ऐसे-ऐसे सवाल उठा रहे हैं जो किसी लिहाज से सही नहीं दिखता.

अब ये सोचिए कि आज के दौर में जो खबरें दिखाने का तरीका है वो बेहद तेज गति वाला है, मतलब कि एक दिन खबर आई कि एक अमीर, रौबदार पब्लिक फिगर पर यौन शोषण के आरोप लगे, अगले ही दिन कोई नया ट्रेंडिंग टॉपिक आ गया तो उस दिन की खबर वो हो गई. लेकिन इसके बावजूद भी ये कैसे हो रहा है कि सुशांत के मौत के एक महीने बाद भी उनसे जुड़ी अटकलें लगना बंद नहीं हो रही है. आखिर किसी शख्स के नैरेटिव को अलग तरीके से लिख देने या तोड़-मरोड़कर पेश करने के पीछे क्या बेसब्री और इसकी वजह क्या है?

हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म दिल बेचारा का ट्रेलर आया था, ईमानदारी से कहें तो फैंस को इसका बेसब्री से इंतजार था क्योंकि अब सुशांत के जाने के बाद वो उनसे जुड़ी हर बात जान लेना चाहते हैं. लेकिन कुछ फैंस ने एक अजीब से बखेड़ा शुरू कर दिया. उन्होंने फिल्म के ट्रेलर से एक सीन का स्क्रीनशॉट लिया, जिसमें उनकी टी-शर्ट पर लिखा था 'हेल्प' और फिर क्या था इस स्क्रीनशॉट के जरिए वो कई चीजों को एक के बाद एक जोड़ने लगे. ऐसी-ऐसी चीजों को भी जिसका कोई न तो मतलब था न ही फिल्म के बनने के वक्त कोई ऐसा सोच सकता होगा.

फैंस ने 'हेल्प' लिखी टी-शर्ट को प्वाइंट आउट किया तो किया कुछ पब्लिकेशन हाउस ने ऐसे ही कुछ आधारहीन ट्वीट उठाकर स्टोरी भी बना डाली और 'तर्क' पर 'वैलिड' होने की मुहर लग गई. क्या ऐसी स्टोरीज गैर-जिम्मेदार रवैया नहीं दिखाती है?

ऐसी ही कुछ और बिल्कुल आधारहीन अटकलें लगाई जा रही हैं, जैसे सुशांत सिंह राजपूत के रूममेट रहे और दोस्त संदीप सिंह का सुशांत सिंह की गर्लफ्रेंड रहीं अंकिता लोखंडे के साथ अफेयर था. क्या ये बिलकुल नीचे वाले स्तर पर उतरकर गॉसिप दिखाना नहीं है. क्या सेलिब्रिटी गॉसिप में हदें नहीं होनी चाहिए? सुशांत सिंह की मौत के तुरंत बाद नेपोटिज्म पर बहस शुरू हो गई थी. अलग-अलग लोग बॉलीवुड में फैले नेपोटिज्म पर अपनी राय रख रहे थे. अब करीब 1 महीने बाद भी ये सब जारी है और ऐसे-ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं, जिनका कोई सर पैर है ही नहीं. जरा इसे समझते हैं.

सियासत!

सुशांत सिंह की जो ऑफिशियल पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई थी उसके मुताबिक, मौत की वजह सुसाइड ही है. लेकिन इसके बावजूद बिना किसी आधार के ऐसी बातें प्रमोट की जाने लगीं कि ये हत्या भी हो सकती है. कंगना रनौत ने सुशांत की मौत को 'प्लांड मर्डर' यानी हत्या बताया था, वैसे कंगना के बयान का शाब्दिक अर्थ ये नहीं था. लेकिन बयान के बाद बहुत सारी बहस शुरू हो गईं. एक्टिंग से राजनीति में आई सांसद रूपा गांगुली की तो ट्विटर टाइमलाइन ही भर गई, वो सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच की मांग कर रही हैं.

#cbiforsushant हैशटैग ट्रेंड भी कर रहा था, हजारों की संख्या में इस हैशटैग के साथ ट्वीट किए गए लेकिन ये दिक्कत नहीं है. दिक्कत ये है कि वो अपने ट्वीट्स और रीट्वीट्स में कई 'साजिश' जैसी थ्योरी को हवा दे रही हैं, बिलकुल भ्रामक हैं परेशान करने वाले हैं.

शेखर सुमन भी उन लोगों में से एक हैं जो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग उठाते आए हैं. 30 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में फैले 'गैंग' को विस्तार से बताया था. सुमन ने ये भी दावा किया था कि सुशांत ने अपनी मौत के पहले एक महीने में 50 सिम कार्ड बदले थे. अगले ही दिन, सुशांत के परिवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को एक "राजनीतिक ड्रामा" करार दिया और कहा कि वे नहीं जानते थे कि ऐसा होने जा रहा है. 2 जुलाई को, सुमन ने साफ किया कि उनका बयान किसी भी तरह से राजनीति से जुड़ा नहीं है.

खास बात ये है कि एक्टर शेखर सुमन, सुशांत से करीब 10 साल पहले 'झलक दिखला जा' के सेट पर मिले होंगे. लेकिन इससे पहले वो कभी भी सुशांत की परवाह करते इतने नहीं दिखे.

प्राइवेसी!

सुशांत की मौत के बाद मीडिया ने जिस तरीके से उनके घर और इस केस को दिखाया, उससे ये साफ हो गया कि वो प्राइवेसी की कितनी चिंता करते हैं. एक महीने बाद भी सबक नहीं सीखा जा सका है, अब भी सुशांत केस में प्राइवेसी की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जून में एक्टर-डांसर लॉरेन ने सुशांत के साथ एक प्राइवेट चैट को इंटरनेट पर डाल दिया.

सिर्फ लॉरेन ही नहीं इस लीग में अर्जुन कपूर भी शामिल हैं, उन्होंने भी सुशांत के साथ अपनी निजी बातचीत को इंटरनेट पर डाला. कोई कह सकता है कि ये तो महज आम बातचीत है, इसको इंटरनेट पर डालने में क्या दिक्कत है, लेकिन दिक्कत है, क्योंकि प्राइवेसी मैटर करती है. लोग अपने 'स्टार' के बारे में छोटी से छोटी बात जानना चाहते हैं, ये नया नहीं है लेकिन किसी की मौत के बाद क्या ये बदला नहीं जाना चाहिए?

सुशांत की मौत के कुछ ही दिन बाद प्रोड्यूसर संदीप सिंह अपनी दोस्ती को लेकर काफी मुखर हो गए थे. वो बताने लगे थे कि बतौर फ्लैटमैट और एक दोस्त उनके सुशांत के साथ कैसे रिश्ते थे. 20 जून को संदीप ने अपने निर्देशन में बनी पहली फिल्म वंदे भारतम का भी ऐलान कर दिया, जिसमें उनका कहना है कि सुशांत लीड कैरेक्टर में आने वाले थे. हमें ये नहीं पता है कि सच क्या है लेकिन क्या ये एक दोस्त की मौत का इस्तेमाल किया जाना नहीं लगता? बाद में संदीप सिंह मीडिया से सुशांत और अंकिता लोखंडे के रिश्तों के बारे में भी बात करते दिखे थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशांत का परिवार, संदीप से खुश नजर नहीं आता, परिवार का आरोप है कि वो सुशांत की मौत का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए कर रहे हैं.

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डिप्रेशन...और बहुत कुछ!

8 जुलाई को फिल्ममेकर अपूर्व असरानी भी इस घटना पर सामने आए और एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिख डालाा. टाइटल था-“Do Words Have The Power To Kill?”

असरानी के लिखने का मतलब ये था कि बॉलीवुड के मेनस्ट्रीम मेंबर्स ने सुशांत सिंह राजपूत को इस तरह परेशान किया और दरकिनार किया कि उन्हें खुदकुशी जैसा कदम उठाना पड़ा. ये पूरी तरह से निराधार पोस्ट दिख रहा था, जिसमें असरानी खुद के अनुभवों के सहारे सुशांत की मौत की कहानी बुनते नजर आ रहे थे.

साफ था कि ऐसे ही कई सारे लोगों ने मेंटल इलनेस, डिप्रेशन पर कई सारी कहानियां बनाईं और बिना किसी उचित तर्क या सबूत के बड़ी-बड़ी बातें कह डालीं.

कुल मिलाकर कहना ये है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाली पत्रकारिता में ऐसी चीजों की जरूरत नहीं होनी चाहिए कि किसी भी शख्स का बयान छाप दें. महज कुछ 'नंबर्स' के लिए ऐसे बयानबाजी, तर्कों, अटकलों को जगह देने की जरूरत नहीं है.

सुशांत की मौत के बाद कई न्यूज आउटलेट लगातार बिना वेरिफाइड जानकारी के क्लिक-बेट खबरें पब्लिश कर रहा हैं. सुशांत के गूगल सर्च से लेकर उन्होंने कब कर्मचारियों को सैलरी दी. पेज व्यूज और अटेंशन के लिए सुशांत की मौत का तमाशा बना दिया गया है लेकिन अब वक्त आ गया है कि इसे रोका जाए.

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Published: 15 Jul 2020,09:29 PM IST

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