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तेलुगू फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' की हिंदी रीमेक, या यूं कहें कि कट टू कट कॉपी, 'कबीर सिंह' रिलीज हो गई है. पहली फिल्म की 'पुरुषवादी सोच' शायद कम पड़ गई थी, इसलिए डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा एक नई फिल्म ले आए इस सोच को फैलाने! और अब जब फिल्म आ चुकी है तो हम लेकर आए हैं आपके लिए इसका 100 % शुद्ध, देसी रिव्यू.
'कबीर सिंह' एक लव स्टोरी है, लेकिन सिर्फ हीरो की नजर में. फिल्म शुरू होती है दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से, जहां कॉलेज के टॉपर कबीर का दिल आ जाता है एक चुप रहने वाली लड़की प्रीति पर. अब क्योंकि कबीर का दिल प्रीति पर आ गया है तो मजाल है कोई उससे फ्लर्ट करे. कबीर उसे अपनी ‘टेरिटरी’ की तरह मार्क कर देता है.
दोनों की लव स्टोरी चलती है, लेकिन फिर हीरोइन किसी और की हो जाती है.
फिल्म चलती जाती है और चलती जाती है और चलती जाती है... बहुत लंबी है भाई साहब! शॉर्ट में बोलें तो इस कहानी के सेंटर में वो स्टीरियोटाइप मर्द है जो आज की सोसाइटी के लिए सिरदर्द है.
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