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Srikanth Bolla कौन हैं? जिनकी बायोपिक में नजर आएंगे राजकुमार राव

Srikanth Bolla की बायोपिक में राजकुमार राव के साथ अलाया एफ और ज्योतिका भी नजर आएंगी, फिल्म 10 मई को रिलीज होगी.

अदिति सूर्यवंशी
बॉलीवुड
Published:
<div class="paragraphs"><p>राजकुमार राव&nbsp;तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बन रही फिल्म में&nbsp;श्रीकांत बोला की भूमिका निभाने जा रहे हैं.</p></div>
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राजकुमार राव तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बन रही फिल्म में श्रीकांत बोला की भूमिका निभाने जा रहे हैं.

Photo: क्विंट हिन्दी 

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बॉलीवुड एक्टर राजकुमार राव (Rajkumar Rao) श्रीकांत फिल्म (Srikanth Movie) में नजर आने वाले हैं. ये फिल्म दृष्टिबाधित दिव्यांग उद्यमी श्रीकांत बोला (Srikant Bolla) की प्रेरणादायक जिन्दगी पर आधारित है. इस बायोपिक ड्रामा के डायरेक्टर तुषार हीरानंदानी (Tushar Hiranandani) हैं. इसमें ज्योतिका (Jyotika), अलाया एफ (Alaya F) और शरद केलकर (Sharad Kelkar) भी सपोर्टिंग भूमिकाओं में हैं.

कौन हैं श्रीकांत बोला और कैसा रहा उनका सफर? जानिए उनके बारे में सबकुछ.

शुरुआती जिंदगी और पढ़ाई-लिखाई 

1991 में आंध्र प्रदेश के सीतारामपुरम गांव में जन्में श्रीकांत बोला एक किसान परिवार से आते हैं. गरीबी के साथ ही बोला की दृष्टिबाधिता ने उनकी जिंदगी में और मुश्किल बना दिया. यहां तक की उनके माता-पिता को भी लोगों ने उन्हें छोड़ देने की सलाह दी थी. लोगों का कहना था कि बोला बुढ़ापे में उनका सहारा नहीं बन पाएंगे.

इस सबके बाद भी बोला के माता-पिता ने उनका साथ देना चुना. उन्होंने बोला को बड़े ही लाड-प्यार से पाला और उनकी शिक्षा को महत्व दिया. श्रीकांत को नेत्रहीन बच्चों के लिए बने एक बोर्डिंग स्कूल में दाखिला मिल गया और उनका परिवार हैदराबाद (तब आंध्र प्रदेश राज्य का शहर) शिफ्ट हो गया.

अपने माता-पिता से दूर होने के बावजूद बोला बोर्डिंग स्कूल में जल्द ही सेटल हो गए. उन्होंने स्वीमिंग, शतरंज खेलना और आवाज करने वाली गेंद की मदद से क्रिकेट खेलना सीखा.

बोला हमेशा से एक इंजीनियर बनना चाहते थे और इसीलिए वह साइंस और मैथ्स पढ़ना चाहते थे. मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद बोला ने 12वीं में साइंस लिया. हालांकि, स्कूल अथॉरिटी ने ये कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि एक दृष्टिबाधित छात्र के लिए यह विषय चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इसमें ग्राफ और डायग्राम आदि हैं. विज्ञान की जगह, स्कूल ने बोला को कला, भाषा, साहित्य और सामाजिक विज्ञान जैसे अन्य विषयों का अध्ययन करने की अनुमति दी.

कई स्कूलों से परमिशन नहीं मिलने के बाद, बोला ने इंडियन एजुकेशन सिस्टम पर मुकदमा करने का फैसला किया. अपने शिक्षक और एक वकील की मदद से उन्होंने राज्य के शिक्षा कानून में सुधार को लेकर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में अपील दायर की और आखिरकार छह महीने के बाद मुकदमा जीत लिया.
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बोला ने स्टेट बोर्ड स्कूल से साइंस और मैथ्स की पढ़ाई की और अपनी क्लास में 98% के साथ टाॅप किया. इसके बाद उन्होंने IIT के लिए अप्लाई किया. हालांकि, यहां भी एडमिशन में उनकी दृष्टिबाधिता रोड़ा बन गई.

इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद नहीं खोई और USA के कुछ सर्वश्रेष्ठ तकनीकी स्कूलों में आवेदन किया और MIT, स्टैनफोर्ड, बर्कले और कार्नेगी मेलन जैसी शीर्ष चार संस्थानों में अपनी सीट पक्की की.

बोला ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से पढ़ाई की है.

Photo: क्विंट 

बोला ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) को चुना और वो वहां एडमिशन पाने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय दृष्टिबाधित छात्र बने.

पढ़ाई-लिखाई के अलावा भारत में बोला को नेशनल लेवल दिव्यांग क्रिकेटर और शतरंज खिलाड़ी के रूप में भी जाना जाता है.

बोला का करियर और बोलेंट इंडस्ट्रीज का उदय

MIT से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, बोला को अमेरिका की कॉर्पोरेट दुनिया में कई अवसर मिले. हालांकि, वह भारत में कुछ इनोवेटिव करने की तलाश में थे.

2005 में बोला पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के लीड इंडिया 2020: द सेकेंड नेशनल यूथ मूवमेंट में शामिल हो गए. इस आंदोलन ने गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे भारत 2020 तक विकसित राष्ट्र बन सके.

श्रीकांत बोला और साथमें एपीजे अब्दुल कलाम.

(फोटो: इंस्टाग्राम/@shrikanthbollaofficial_)

जल्द ही बोला अपने घर लौट आए और 2011 में उन्होंने एकाधिक विकलांग बच्चों के लिए समन्वय सेंटर की सह-स्थापना की. इस सेंटर में उन्होंने दृष्टिबाधित छात्रों के लिए एक कंप्यूटर रिसर्च और ट्रेनिंग सेंटर और डिजिटल लाइब्रेरी लॉन्च की. एक साल बाद, उन्होंने अपना खुद का स्टार्ट-अप, 'बोलेंट इंडस्ट्रीज' स्थापित करने का फैसला किया.

श्रीकान्त बोला की कंपनी में रतन टाटा ने भी इन्वेस्ट किया है.

Photo: क्विंट 

बोलेंट इंडस्ट्रीज पर्यावरण-अनुकूल डिस्पोजेबल उत्पाद बनाती है जो विकलांग लोगों और सांस्थानिक शिक्षा न प्राप्त वाले लोगों को आजीविका प्रदान करती है. पिछले कुछ वर्षों में कंपनी में उल्लेखनीय विकास किया है, जिसमें 600 से अधिक कर्मचारियों का कार्यबल है, जिनमें से 60 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक बोला की कंपनी में बिजनेस टाइकून रतन टाटा ने भी निवेश किया है.

2016 में वह सर्ज इम्पैक्ट फाउंडेशन के निदेशक बने, जिसका उद्देश्य भारत के लोगों और संस्थानों को 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को प्राप्त करने में सक्षम बनाना है.

बोला की उपलब्धियां 

श्रीकान्त बोला को कई अवार्ड मिले.

Photo: क्विंट 

अपने करियर में अब तक बोला को कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. 2016 में इन्हें ECLIF मलेशिया द्वारा इमर्जिंग लीडरशिप अवॉर्ड मिला था. इसके अगले साल अप्रैल में बोला को फोर्ब्स 30 अंडर-30 की एशिया सूची में नामित किया गया था, वह उस साल इस श्रेणी में एकमात्र भारतीय थे.

बोला को 2019 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. उसी वर्ष बोला को UK के वन यंग वर्ल्ड द्वारा आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ग्लोब पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

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