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मखमली आवाज के मालिक... तलत महमूद जन्म नवाबों के शहर लखनऊ में जनाब मंजूर महमूद साहब के बेटे के तौर पर हुआ था. तलत महमूद को बचपन से गाने का बहुत शौक था, लेकिन रुढ़िवादी मुस्लिम परिवार में गाने बजाने ठीक नहीं माना जाता था, जबकि तलत महमूद तो फिल्मों में बतौर हीरो एक्टिंग करना चाहते थे, तो उनके सामने दो ही रास्ते मौजूद थे. घर पर रहिये या घर छोड़कर फिल्मों में चले जाइए. उन्होंने दूसरा रास्ता अख्तियार किया.
16 साल की उम्र में तलत महमूद ने वीर दास जिगर जैसे नामचीन शायरों के कलाम ऑल इंडिया रेडियो के लिए गाना शुरू कर दिए थे. उन्होंने कुछ खास लोगों को समझ में आने वाली क्लासिकल गजल को कॉम्पलेक्स मोड से निकालकर सॉफ्ट सेमी क्लासिकल अंदाज में इस तरह पेश किया कि गजल की मिठास आम आदमी के दिलो-दिमाग तक पहुंच गई.
तलत महमूद की आवाज में एक खास खनक थी, जिसे म्यूजिक कंपनी एचएमवी ने पहचान लिया और 1941 में "सब दिन एक समान नहीं" उनकी पहली गजल को रिकॉर्ड किया गया. इसके अलावा ‘लागे तोसे नैना’, ‘सपनों की सुहानी दुनिया’ जैसे क्लासिकल गाने भी गाये. 1944 मे रिकॉर्ड ‘तस्वीर तेरी दिल मेरा’ उनकी आज तक की सबसे ज्यादा हिट एल्बम रही.
कोलकाता में उन्होंने तपन कुमार के नाम से काम किया. 1949 में वह मुंबई आ गए. यहां फिल्म ‘आरजू’ के लिए अनिल बिस्वास की कम्पोज्ड "ए दिल मुझे कहीं ले चल" उनकी पहली हिट और पहली ब्रेक साबित हुई.
तलत महमूद को सेमी क्लासिकल गजल गायकी का फाउंडर कहा जाता था. उनकी गजल गायकी के इस खास अंदाज ने गजल गायकी की धारा ही बदल दी थी. आगे चलकर इस जॉनर को मेहंदी हसन जैसे महान गायकों ने फॉलो किया. और जगजीत सिंह जैसी खूबसूरत आवाज गजल के चाहने वालों के दिलों में हमेशा के लिए घर कर गई.
संगीत की समझ, सुरों पर पकड़ , तलत महमूद की खासियत थी. उनके अंदाज को आने वाली कई जेनरेशंस ने फॉलो किया. तलत महमूद देखने में भी हैंडसम थे और उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में भी हाथ आजमाया. साल 1945 में ‘राजलक्ष्मी’ से लेकर ‘बारिश’ , ‘रफ्तार’ और 1958 में ‘सोने की चिड़िया’ तक एक दर्जन से ज्यादा फिल्मों में नूतन, माला सिन्हा और सुरैया जैसी फेमस एक्ट्रेस के साथ काम किया.
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साल 1956 में विदेश कॉन्सर्ट में जाने वाले वह पहले हिंदुस्तानी गायक थे. उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल ,अमेरिका के मेडिसन स्क्वायर गार्डन, जीन पियर कॉन्प्लेक्स जैसे खचाखच भरे ऑडिटोरियम में शानदार परफॉर्मेंस का जलवा बिखेरा. तलत महमूद ने करीब 800 गाने गाए. 20 फरवरी 1951 में उन्होंने कोलकाता की बंगाली क्रिस्टियन लड़की लतिका मलिक से शादी की.
9 मई 1998 को ‘शहंशाह-ए-गजल’ ने अपने चाहने वालों और दुनिया को अलविदा कह दिया. तलत महमूद चंद ऐसी शख्सियतों में से हैं, जिन्होंने ना सिर्फ अपना मुकाम बनाया बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक नया रास्ता भी दिखाया.
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