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भारी आवाज, चेहरे पर डरावने एक्सप्रेशन और अपने लुक के लिए फेमस बॉलीवुड फिल्मों के विलेन रहे अमरीश पुरी यूं तो अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन हाल ही में खबर आई थी कि उनके पोते वर्धन पुरी दादा की जिंदगी पर बायोपिक बनाने की तैयारी कर रहे हैं. अमरीश ने अपने करियर में करीब 450 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और ज्यादातर फिल्मों में वे विलेन के रोल में ही नजर आए. आज आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे हैं.
लेकिन प्रोड्यूसर्स ने ये कहकर मना कर दिया था कि उनका चेहरा हीरो बनने लायक नहीं है. ये बात सुनकर उन्हें काफी बुरा लगा था. बाद में उन्होंने फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया और आज भी उन्हें बॉलीवुड के महान 'खलनायकों' में गिना जाता है.
अमरीश के बड़े भाई मदन पुरी और चमन पुरी पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में थे और उन्होंने ही अमरीश को मुंबई को बुलाया था. पहली बार एक्टर के लिए उनका स्क्रीन टेस्ट 1954 में हुआ, लेकिन प्रोड्यूसर्स को वो पसंद नहीं आए. इसके बाद वो इम्प्लॉइज स्टेट इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन में काम करने लगे. उन्हें एक्टिंग करने का जुनून था और यही कारण था कि प्रोड्यूसर्स के ठुकराने के बाद भी उन्होंने एक्टिंग नहीं छोड़ी और थिएटर की तरफ रुख किया.
1970 में उन्होंने देव आनंद की फिल्म 'प्रेम पुजारी' में छोटा सा रोल प्ले किया. 1971 में डायरेक्टर सुखदेव ने उन्हें 'रेशमा और शेरा' के लिए साइन किया, उस वक्त तक उनकी उम्र 40 साल के करीब हो चुकी थी. हालांकि, फिल्म में अमरीश को ज्यादा रोल नहीं दिया गया, जिस वजह से उन्हें अपनी पहचान बनाने में और समय लगा.
अमरीश को श्याम बेनेगल की फिल्म 'निशांत', 'मंथन' और 'भूमिका' जैसी फिल्मों में काम मिला. उन्हें असली पहचान 1980 में आई 'हम पांच' से मिली. इस फिल्म में उन्होंने 'दुर्योधन' का किरदार निभाया था, जो काफी चर्चित रहा. इसके बाद 'विधाता' और 'हीरो' जैसी फिल्मों ने अमरीश पुरी को खलनायक के तौर पर सुपरहिट कर दिया. 1987 में आई 'मिस्टर इंडिया' में उन्होंने 'मोगैंबो' का किरदार निभाया. इस फिल्म में उनका डायलॉग 'मोगैंबो खुश हुआ' काफी फेमस हुआ.
फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने के बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा और 'राम लखन', 'सौदागर', 'करण-अर्जुन' और 'कोयला' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया. फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने के अलावा उन्होंने कई पॉजिटिव रोल भी प्ले किए.
अमरीश पुरी ने एक से बढ़कर एक किरदार निभाए थे और उनकी एक्टिंग की डंका हॉलीवुड तक बजा. खबरों की मानें तो जब फिल्म 'इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम' के लिए हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने अमरीश पुरी को ऑडिशन देने के लिए अमेरिका बुलाया तो उन्होंने साफ मना कर दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने स्टीवन को कहा था कि अगर ऑडिशन लेना है तो खुद भारत आएं. बाद में उन्होंने इस फिल्म में मोलाराम का रोल किया. यूं तो उनका बाल्ड लुक कई फिल्मों में देखने को मिला है, लेकिन पहली बार वे 'इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम' के लिए गंजे हुए थे.
कई बार ऐसा भी होता था कि मनचाही फीस न मिलने पर वो फिल्म छोड़ दिया करते थे.एनएन सिप्पी की एक फिल्म उन्होंने सिर्फ इसलिए छोड़ दी थी, क्योंकि उन्हें मांग के मुताबिक 80 लाख रुपए नहीं दिए जा रहे थे. अमरीश ने इंटरव्यू में कहा था,
अमरीश पुरी को तरह-तरह की हैट का कलेक्ट करना काफी पसंद था. उन्होंने कई देशों में यात्रा की और वो जहां भी जाते वहां से एक हैट जरूर खरीद लाते थे. उनके पास करीब 200 हैट का कलेक्शन था.
अमरीश पुरी का जन्म जालंधर, पंजाब में हुआ था. वे 4 भाई और एक बहन है. उनके भाइयों के नाम मदन पुरी, चनम पुरी, हरिश पुरी हैं, वहीं उनकी बहु का नाम चंद्रकांता है. सिंगर केएल सहगल रिश्ते में उनके कजिन भाई लगते थे. अमरीश ने 1957 में उर्मिला दिवेकर से शादी की थी.
कपल के दो बच्चे बेटा राजीव पुरी और बेटी नम्रता पुरी. उनका बेटा राजीव मर्चेंट नेवी में रहा है. वहीं, राजीव के बेटे वर्धन पुरी ने यशराज फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया. उन्होंने अब तक तीन फिल्में 'इश्कजादे', 'शुद्ध देशी रोमांस' और 'दावते इश्क' में कैमरे के पीछे रहकर काम किया हैं. वर्धन फिल्म 'ये साली आशिकी' और 'बंबईया' में काम कर चुके हैं. वहीं, उनकी बेटी नम्रता लाइमलाइट से दूर रहती हैं. नम्रता सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.
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