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बॉलीवुड के दिग्गज सिंगर-कंपोजर बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahiri) का 15 फरवरी को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. 69 साल के लाहिड़ी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. क्रिटिकेयर अस्पताल के डॉक्टर के मुताबिक, वो ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और चेस्ट इंफेक्शन से जूझ रहे थे. वो 29 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे, और 15 फरवरी को ही उन्हें छुट्टी दी गई थी. लेकिन एक दिन बाद उनकी तबीयत फिर बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. 15 फरवरी की रात 11:45 उनका निधन हो गया.
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में जन्में बप्पी लाहिड़ी को संगीत विरासत में मिला. उनके माता-पिता गायक थे और क्लासिकल संगीत से जुड़े हुए थे. दिग्गज सिंगर किशोर कुमार उनके रिश्तेदार लगते थे.
संगीत में बप्पी लाहिड़ी की शिक्षा महज 3 साल की उम्र से ही शुरू हो गई थी. उन्होंने अपने माता-पिता से तबला बजाना सीखा. म्यूजिक कंपोजर के तौर पर उनका डेब्यू 1973 में फिल्म 'नन्हा शिकारी' से हुई.
इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री का बड़ा नाम रहे बप्पी लाहिड़ी ने ही आम भारतीय ऑडियंस की डिस्को म्यूजिक से पहचान कराई थी. 80 और 90 के दशक में बप्पी लाहिड़ी ने बॉलीवुड को कई हिट डिक्सो गाने दिए.
उन्होंने कई हिट फिल्मों के लिए म्यूजिक कंपोज किया, जिसमें 'डिस्को डांसर', 'नमक हलाल', 'डांस डांस', 'वारदात', 'कमांडो', 'साहेब' और 'सैलाब' जैसी फिल्में शामिल हैं.
कई हिट फिल्मों का म्यूजिक कंपोज करने वाले बप्पी दा ने कई हिट गानों को भी अपनी आवाज दी थी. मिथुन के साथ उनकी जोड़ी को खूब पसंद किया गया. बप्पी लाहिड़ी ने जीतेंद्र समेत कई टॉप स्टार्स के लिए भी गाने गाए.
बप्पी लाहिड़ी अपनी आवाज से एक समय पर राज करने वाले बप्पी लाहिड़ी की पहचान उनके पहनावे से भी थी. गले में सोने की कई चेन और उंगलियों में कई अंगूठियां उनकी पहचान थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोने से उनका ये लगाव अमेरिका के पॉप स्टार एलविस प्रेस्ली की वजह से था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो प्रेस्ली से काफी प्रभावित थे, प्रेस्ली अपने कॉन्सर्ट में गोल्ड चेन पहना करते थे. बप्पी दा ने कहा था कि एलविस प्रेस्ली को देखकर वो सोचते थे कि जब वो एक बड़ी हस्ती बन जाएंगी, तो वो अपनी खुद की पहचान बनाएंगे.
राजनीति में बप्पी लाहिड़ी की पारी कुछ खास नहीं रही थी. उन्होंने 2014 में बीजेपी ज्वाइन कर पश्चिम बंगाल की श्रीरामपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रत्याशी से हार गए थे.
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