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बॉलीवुड एक्टर जूही चावला ने भारत में 5G टेक्नोलॉजी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. अपनी याचिका में जूही चावला ने रेडिएशन से लोगों और जानवरों पर होने वाले प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की है. ये पहली बार नहीं है जब जूही चावला किसी मुद्दे के खिलाफ कोर्ट गई हों. इससे पहले भी वो पर्यावरण से जुड़े कई मुद्दों का खुलकर विरोध कर चुकी हैं.
साल 2013 में, जूही चावला ने मोबाइल रेडिएशन के खतरे के बारे में द हिंदू बिजनेस लाइन से कहा था, “हम टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ नहीं हैं. हम बस ये कह रहे हैं कि अगर टेलीकॉम कंपनियां मार्केंटिंग पर इतने पैसे खर्च कर रही हैं, तो उन्हें इसे सुरक्षित बनाने पर भी खर्च करना चाहिए.”
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली थी. जूही ने अपनी याचिका में स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने के लिए रेडिएशन को कम करने के लिए नियमों और मानदंडों की मांग की. याचिका में जूही चावला ने कहा था कि मोबाइल टावर/एंटीना से निकलने वाले EMF रेडिएशन से थकान, मेमोरी लॉस समेत कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं.
जूही चावला ने कहा, “हम टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट के खिलाफ नहीं है. बल्कि, हम टेक्नोलॉजी के लेटेस्ट प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें वायरलेस कम्युनिकेशंस के क्षेत्र भी शामिल हैं. हालांकि, बाद के उपकरणों का उपयोग करते समय, हम निरंतर दुविधा में रहते हैं, क्योंकि वायर-फ्री गैजेट्स और नेटवर्क सेल टावरों से RF रेडिएशन के संबंध में अपनी खुद की रिसर्च और स्टडी करने के बाद, हमारे पास ये मानने का पर्याप्त कारण है कि रेडिएशन लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर हानिकारक है.”
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में चावला ने अधिकारियों को बड़े पैमाने पर जनता को प्रमाणित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि 5G टेक्नोलॉजी मानव जाति, पुरुष, महिला, वयस्क, बच्चे, शिशु, जानवरों और हर प्रकार के जीव-जंतुओं, वनस्पतियों और जीवों के लिए सुरक्षित है.
फरवरी 2018 में भी जूही चावला ने 5G मोबाइल टेक्नोलॉजी पर चिंता व्यक्त करते हुए तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी लिखी थी. अपने चिट्ठी में जूही ने इलेक्ट्रोमैगनेट रेडिएशन (EMF) के खतरों के बारे में बोलते हुए कहा था कि इंसानों पर इसके प्रतिकूल प्रभावों के शोध के बिना इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए.
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