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नवाजुद्दीन सिद्दीकी और आथिया शेट्टी की फ्रेश जोड़ी 'मोतीचूर चकनाचूर' में जल्द दिखाई देगी. देबमित्रा बिस्वाल के डायरेक्शन में बनी 'मोतीचूर चकनाचूर' एक कॉमेडी फिल्म है. फिल्म में नवाजुद्दीन ने पुष्पेंद्र त्यागी नाम के लड़के का किरदार निभाया है, जिसकी उम्र 36 साल हो चुकी है, लेकिन ब्याह अभी तक नहीं हुआ. वहीं आथिया ने एनी का रोल प्ले किया है, जिसे एक एनआरआई लड़के से शादी करनी है.
नवाज और आथिया ने अपनी जोड़ी, फिल्म और इसके टाइटल 'मोतीचूर चकनाचूर' के बारे में द क्विंट से बात की.
पहली बात तो, ट्रेलर काफी इंट्रेस्टिंग लग रहा है, खासकर टाइटल ‘मोतीचूर चकनाचूर’. ये टाइटल आया कहां से?
आथिया: मुझे लगता है कि ये स्क्रीनप्ले से निकला है. फिल्म का फर्स्ट हाफ ‘मोतीचूर’ है और सेकेंड हाफ ‘चकनाचूर’, क्योंकि इसके बाद हमारी जिंदगी चकनाचूर ही हो रही है.
इस स्क्रिप्ट में आपको क्या अलग लगा, जो आपने ये फिल्म चुनी?
नवाजुद्दीन: मेरे लिए, दोनों कैरेक्टर्स थे, जो एकदम अलग सोचते थे. वो दोनों अलग-अलग दुनिया से थे और स्क्रिप्ट में उनका इंट्रैक्शन काफी फनी है. इस फिल्म की खूबसूरती यही है कि ये आपको तुरंत हंसा देती है. ये सिर्फ दो कैरेक्टर्स की कहानी नहीं, बल्कि उनके परिवार और उसके सफर की है.
आथिया: जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी थी, तो मैंने मना कर दिया था क्योंकि मैं डरी हुई थी. मैं सोच रही थी कि इस शख्स ने मेरे बारे में सोचा भी कैसे, मैं ये नहीं कर सकती. ये काफी चैलेंजिंग रोल था, और मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था.
नवाज सर, हम आपको पहली बार किसी कॉमेडी फिल्म में लीड के तौर पर देखेंगे. ये कॉमेडी रोल्स में शिफ्ट करना, क्या ये फैसला आपने सोच-समझकर लिया?
नवाजु्द्दीन: मैंने इससे पहले भी कॉमेडी की है, करीब 150 नाटकों में. कॉमेडी के भी अपने टाइप होते हैं. मेरे लिए, कॉमेडी आसान जौनर है. किसी भी एक्टर के लिए, किसी को हंसाना और रुलाना सबसे आसान काम है. सबसे मुश्किल काम, अपनी परफॉर्मेंस से उन्हें सोचने पर मजबूर करना है. जो भी कहता है कि कॉमेडी मुश्किल है... मुझे लगता है कि ये सबसे आसान है. ऑडियंस रोज स्ट्रेस में जी रही है, एक छोटे से चुटकुले से भी वो हंस पड़ती है. आज कल, फूहड़ कॉमेडी भी आसानी से चल रही है.
एक रोल से दूसरे रोल में आप स्विच कैसे करते हैं?
नवाजुद्दीन: कभी-कभी स्विच करने में, आपको तैयारी का टाइम नहीं मिलता. मुझे लगता है कि 15 दिन या एक महीने का गैप लेना बेहतर है, लेकिन अक्सर प्रोजेक्ट एक के बाद एक शुरू हो जाते हैं. इस फिल्म में कोई गैप नहीं था. मुझे याद है, एक दिन मैं ‘सेक्रेड गेम्स’ की शूटिंग कर रहा था और अगले दिन ‘पुष्पिंदर’ बना था. तो इसमें समय लगता है. मुझे बैलेंस बनाने के लिए 5-6 दिनों का समय लगा.
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