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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) मामले की जांच सीबीआई को सौंपे हुए एक साल पूरा हो गया है. लेकिन अबतक इस मामले के पीछे की सच्चाई सामने नही आ पाई है. एक समय पर सुशांत सिंह राजपूत की हत्या हुई या आत्महत्या ये पूरे देश का मुद्दा बन गया था. इसीलिए महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई ने सीबीआई की चुप्पी पर सवाल उठाए है.
महाराष्ट्र कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रेटरी सचिन सावंत ने ट्वीट के जरिये कहा है कि, 'सुशांत सिंह राजपूत की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की जांच बिहार पुलिस ने सीबीआई को सौंपे एक साल पूरा हो गया है. बिहार पुलिस ने सीआरपीसी के आर्टिकल 177 के तहत मामला दर्ज किया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट मुंबई पुलिस की पूरी जांच पर समाधान व्यक्त किया था. बावजूद इसके मामला सीबीआई को सौंपा गया."
सावंत का कहना है कि,
बता दें कि इस मामले में चली मीडिया ट्रायल की वजह से सुशांत से जुड़े कई लोगों को जांच के लिए बुलाया गया था. जिसमे कुछ लोगों को जेल जाना भी पड़ा तो कुछ लोगों के सिर्फ बयान दर्ज करा लिए गए. जिसके चलते कांग्रेस ने कुछ चैनलों पर निशाना साधते हुए कहा है कि चैनलों ने सुशांत की मौत को हत्या की थ्योरीज बनाकर बेचा. कुछ खास चैनेलों को मामले को इस दिशा में आगे बढ़ाने को कहा गया था.
इतना ही नही बल्कि बीजेपी के नेता महाराष्ट्र पुलिस को बदनाम करते रहे. सीबीआई और अन्य एजेंसियों द्वारा फर्जी सूचनाएं लीक की गई. साथ ही बीजेपी द्वारा फर्जी ट्विटर, फेसबुक औए यूट्यूब अकाउंट बनाए गए.
कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का इस्तेमाल किया जा रहा था तांकि मुंबई पुलिस की छबि खराब हो और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार अस्थिर हो जाए. सावंत ने ट्वीट में आगे कहा है कि, 'बीजेपी सबसे निचले स्तर तक तब गिरी जब उन्होंने सुशांत के मौत को बलात्कार और हत्या का एंगल देते हुए इस मुद्दे को बिहार चुनाव में इस्तेमाल करने की कोशिश की.
दरअसल, सीबीआई के अलावा और दो केंद्रीय एजेंसियां भी इस मामले की जांच में जुटी है. नारकोटिक्स ब्यूरो (एनसीबी) ने इस मामले का ड्रग्स कनेक्शन खंगालने की कोशिश की. जिसमे बॉलीवुड के कई दिग्गजों की जांच हुई. साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच की.
हालांकि जितनी तेजी से केंद्रीय एजेंसियों इस मामले की जांच में जुटी उतनी तेजी से इस मामले के नतीजे तक पहुंचते नही दिखी.
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