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80 के दशक में आने वाले दो सीरियल रामायण और महाभारत ने टेलीविजन की दुनिया में वो इतिहास रच दिया, जो शायद कई दशकों तक लोग भूल नहीं पाएंगे. इन सीरियल के कुछ किरदार ऐसे हैं, जिनके बारे में लोग आज भी जानना चाहते हैं, उनको देखना चाहते हैं.
हम आपको रामायण और महाभारत के कुछ ऐसे ही मशहूर किरदारों के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर वो आजकल कहां हैं और क्या कर रहे हैं. इससे पहले इन दोनों सीरियलों से जुड़े कुछ शानदार पहलुओं पर एक नजर डालना जरूरी हो जाता है.
25 जनवरी, 1987 को दूरदर्शन पर पहली बार प्रसारित होने वाला सीरियल रामायण आज 30 साल के बाद भी लोगों को नहीं भूला है.
रामायण और महाभारत की कहानी को कई निर्देशकों ने पर्दे पर कई बार दिखाने की कोशिश की. डेली सोप क्वीन एकता कपूर भी महाभारत लेकर आईं, लेकिन वो लोकप्रियता किसी को भी नहीं मिली. लोगों को तो किसी किरदार का नाम भी याद नहीं होगा.
वैसे कई बार रामायण और महाभारत टीवी पर किसी न किसी रूप में हम देखते ही आए हैं, लेकिन आखिर ऐसा क्या है कि 30 साल पहले वाले रामायण और महाभारत के पात्र ही लोगों के जेहन में हैं. आज भी जब राम- सीता की छवि हमारे दिमाग में आती है, तो अरुण गोविल और दीपिका का ही चेहरा नजर आता है. जब हम कृष्ण के बारे में सोचते हैं, तो सामने नीतीश भारद्वाज का चेहरा दिखता है. हम आपको ऐसे ही किरदारों से मिलवा रहे हैं.
महाभारत में कृष्ण का किरदार निभाने वाले नीतीश भारद्वाज को तो उस दौर में लोग भगवान कृष्ण ही समझ बैठते थे. जिस लोकेशन पर महाभारत की शूटिंग होती थी, लोग वहां उनके दर्शन के लिए घंटों तक खड़े रहते थे.
उस वक्त के कैलेंडर की तस्वीर में भी भगवान कृष्ण की तस्वीर की जगह नीतीश ही नजर आते थे. इस रोल से नीतीश घर-घर में छा गए. आज भी बहुत लोग जानना चाहते हैं कि उनके ये चहेते स्टार कहां हैं और क्या कर रहे हैं.
महाभारत के बाद नीतीश ने करीब 10 मराठी और एक मलयालम फिल्में की. बीच में वे कुछ सालों के लिए लंदन चले गए थे, जहां उन्होंने इंग्लिश ड्रामा किया. उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और बीजेपी ज्वाइन की. बीजेपी के टिकट पर उन्होंने लोकसभा चुनाव भी जीता और सांसद भी बने, लेकिन नीतीश को राजनीति कुछ खास रास नहीं आई और उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया.
वैसे सालों बाद 2016 में नीतीश बॉलीवुड में नजर आए. आशुतोष गोवारिकर की फिल्म मोहन जोदाड़ो में ऋतिक रौशन के अंकल दुर्जन का किरदार नीतीश ने निभाया था. वैसे आप दुर्जन को देखकर शायद ही पहचान पाए होंगे कि ये वही कृष्ण हैं.
रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1977 में फिल्म पहेली से की थी. उन्होंने सावन को आने दो, सांच को आंच नहीं, और इतनी सी बात , हिम्मतवाला, दिलवाला, हथकड़ी और लव कुश जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई है. अरुण गोविल को असली पहचान मिली रामानंद सागर के सीरियल रामायण से.
80 के दशक में जब रामायण शुरू हुआ, तो रविवार के दिन लोग सारे काम छोड़कर टीवी के सामने बैठ जाते थे. रामायण देखने के लिए सड़कें सूनी हो जाती थी. रामायण को अमर बना दिया राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने. उस दौर में अरुण गोविल को लोग भगवान राम ही समझ बैठते थे. वो जहां जाते थे, उनके पैर छूने के लिए लोगों की लाइन लग जाती थी.
रामायण के बाद अरुण गोविल ने लव कुश, कैसे कहूं, बुद्धा, अपराजिता, वो हुए न हमारे और प्यार की कश्ती में जैसे कई पॉपुलर टीवी सीरियल्स में काम किया. लेकिन अरुण गोविल को जो पहचान रामायण से मिली, वो किसी और से नहीं मिली. अरुण आजकल मुंबई में प्रोडक्शन कंपनी चलाते हैं, जो दूरदर्शन के लिए सीरियल बनाता है.
रामायण में सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिकलिया को आज भी सीता के रूप में ही याद किया जाता है. वैसे तो टीवी पर कई हिरोइनों ने सीता का किरदार निभाया, लेकिन दीपिका जैसा जादू किसी का नहीं चला.
दीपिका ने 1983 में सुन मेरी लैला फिल्म से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म में उनके हीरो थे राजकिरण. हिंदी के अलावा दीपिका ने साउथ की भी कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली.
1987 में दीपिका को वो किरदार निभाने का मौका मिला, जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. सीता के रोल में दीपिका हिंदुस्तान के हर घर में छा गईं. जो कामयाबी दीपिका को फिल्मों से नहीं मिली थी, वो सीता के रोल से मिली. दीपिका पूरे देश में मशहूर हो गईं. देश का बच्चा-बच्चा उन्हें पहचाने लगा.
रामायण के बाद दीपिका ने विक्रम बेताल, लव कुश जैसे कई सीरियल में काम किया.1989 में दीपिका फिल्म घर का चिराग और खुदाई में नजर आईं, दोनों फिल्मों में राजेश खन्ना लीड रोल में थे.
दीपिका को सीता के रोल का इतना बड़ा फायदा मिला कि 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीट पर वडोदरा से उनकी जीत भी हुई. हालांकि जल्द ही राजनीति से उनका मन ऊब गया और उन्होंने राजनीति छोड़ दी.
दीपिका ने कॉस्मेटिक कंपनी के मालिक हेमंत टोपीवाला से शादी कर ली और दीपिका चिकलिया से दीपिका टोपीवाला बन गईं. शादी के बाद दीपिका एक्टिंग छोड़कर अपने परिवार पर ध्यान देने लगीं. उनकी दो बेटियां हैं निधि और जूही. दीपिका आजकल अपने पति की कंपनी की रिसर्च और मार्केटिंग टीम को हेड करती हैं. ये कंपनी श्रृंगार बिंदी और टिप्स एंड टोज नेल पॉलिश बनाती है.
रामायण में राम और सीता का किरदार निभाने वाले कलाकारों को जितना प्यार मिला, उतना ही प्यार रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी को भी मिला. अरविंद ने करीब 250 हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें असली पहचान रामायण से मिली. पर्दे पर उनकी हंसी उनके आवाज की वो धमक सुनकर लोगों को यही लगता था, जैसे पर्दे पर सच में रावण है.
रामानंद सागर को रावण का किरदार खोजने में काफी मुश्किल आई थी. अरविंद ने रावण के किरदार को पर्दे पर जीवंत कर दिया. उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि निजी जिंदगी में भी उनकी पत्नी को लोग मंदोदरी कहते और उनके बच्चों का रावण के बच्चे कहा जाने लगा था.
वैसे रामायण के बाद अरविंद विश्वामित्र सीरियल में भी नजर आए. कई सीरियल में काम करने के बाद अरविंद अचानक टीवी से गायब हो गए. अरविंद ने 1991 में बीजेपी ज्वाइन कर ली. वे बीजेपी के राज्यसभा सांसद बने. वो आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी माने जाते थे.
अरविंद ने भले ही रावण का किरदार निभाया हो, लेकिन निजी जिंदगी में वो राम के बड़े भक्त हैं. आज एक्टिंग और राजनीति से दूर अरविंद पूजापाठ में अपनी जिंदगी बिताते हैं.
रूपा गांगुली ने महाभारत में द्रौपदी का किरदार निभाया और मशहूर हो गई. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1988 में अनिल कपूर की फिल्म साहिब से की थी, उसके बाद वो मलयालम फिल्म में भी नजर आईं, लेकिन रूपा को सफलता मिली महाभारत में द्रौपदी का किरदार निभाकर.
द्रौपदी का किरदार निभाने के बाद रूपा को हिंदी, बंगाली और मलयालम की फिल्मों में रोल मिले. रूपा एक अंग्रेजी फिल्म में भी नजर आ चुकी हैं. वो एक बेहतरीन सिंगर भी हैं, उन्हें एक बंगाली फिल्म के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैंक सिंगर का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिल चुका है.
रूपा कई टीवी सीरियल में भी नजर आ चुकी हैं. एक्टिंग के बाद राजीनीति में आने का फैसला किया. रूपा पहले लेफ्ट में थी, लेकिन 2015 में बीजेपी में शामिल हो गईं.
महाभारत के विशालकाय और ताकतवर किरदार भीम को जीकर प्रवीण कुमार ने शोहरत की बुलंदियों को छुआ. प्रवीण कुमार जाने माने पहलवान रहे और अर्जुन पुरस्कार के विजेता भी. महाभारत से पहले प्रवीण कुमार कई फिल्मों में विलेन का किरदार निभा चुके थे.
फिल्मों में विलेन बनने वाले प्रवीण महाभारत में भीम बन गए. भीम के रोल ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. आज भी प्रवीण को लोग भीम के नाम से ही जानते हैं. महाभारत के बाद भी प्रवीण कई फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार में नजर आए, लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली.
2014 में प्रवीण कुमार ने आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली में लोकसभा चुनाव भी लड़ा और दूसरे स्थान पर रहे. हालांकि बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया.
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