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आधुनिक थियेटर के जनक माने जाने वाले नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के पहले डायरेक्ट इब्राहिम अल्काजी का 4 अगस्त को 94 साल की उम्र में निधन हो गया. अल्काजी का जाना भारतीय थियेटर जगत के लिए एक बड़ी क्षति है. उनके निधन पर राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी से लेकर फिल्म-थियेटर जगत की तमाम हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है.
1925 में पुणे में जन्में अल्काजी एक अमीर सउदी परिवार से आते थे. जब वो यूनिवर्सिटी के लिए मुंबई आए, तो उनकी मुलाकात अलीक पदमसी के छोटे भाई सुल्तान 'बॉबी' पदमसी से हुई. अल्काजी उनके थियेटर ग्रुप से जुड़ गए और यहीं से शुरू हुआ उनकी थियेटर का सफर.
1948 में अल्काजी रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट से पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए. वापस मुंबई लौटकर उन्होंने भारतीय थियेटर में जान फूंकने का काम किया. अल्काजी ही थियेटर को बंद कमरे से निकालकर दिल्ली के पुराना किला और फिरोजशाह कोटला जैसी खुली जगह में लेकर आए.
1962 में अल्काजी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की कमान संभाली और सबसे लंबे समय तक वो इसके डायरेक्टर रहे. उन्हें एक सख्त अनुशासक के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने NSD के डायरेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान थिएटर प्रशिक्षण के लिए एक ब्लू प्रिंट प्रदान किया था.
50 साल की उम्र में NSD से विदाई लेकर अल्काजी ने कंटेंपररी आर्ट के क्षेत्र में काम कर रहे आर्टिस्ट को प्रोत्साहन देने के लिए अपनी पत्नी, रौशन के साथ दिल्ली में आर्ट हेरिटेज गैलरी की स्थापना की.
इब्राहिम अल्काजी ने देश के कई दिग्गज कलाकारों को तराशने का काम किया था. नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, दिवंगत ओम पूरी, अनुपम खेर जैसे सितारे अल्काजी को अपना गुरू मानते हैं.
एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी ने अल्काजी को मॉडर्न थियेटर का कर्ता-धर्ता बताया.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने भी अपने पूर्व डायरेक्टर को याद किया है.
कला और संस्कृति में उनके योगदान के लिए अल्काजी को 1966 में पद्मश्री, 1991 में पद्मभूषण और 2010 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया.
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