Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Entertainment Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019सेना की नौकरी और रोमांटिक गाने का शौक- ऐसा खय्याम ही कर सकते थे

सेना की नौकरी और रोमांटिक गाने का शौक- ऐसा खय्याम ही कर सकते थे

घरवालों के दबाव में सेना में शामिल हुए थे खय्याम, लेकिन ये उनकी मंजिल नहीं थी - जानिए क्या हुआ आगे.

द क्विंट
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खय्याम को बचपन से ही फिल्मों से लगाव था. (फोटो: Twitter)
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खय्याम को बचपन से ही फिल्मों से लगाव था. (फोटो: Twitter)
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मोहम्मद जहूर खय्याम ने अपने शानदार संगीत की बदौलत चार दशक के करियर में पद्मभूषण समेत कई अवार्ड जीते.

बंटवारे से पहले पंजाब में सआदत हुसैन के बतौर जन्मे खय्याम को बचपन से ही फिल्मों और संगीत से लगाव था.

खय्याम ने अपना सपना पूरा करने के लिए 18 साल की उम्र में मशहूर पाकिस्तानी म्यूजिक डायरेक्टर बाबा चिश्ती के साथ लाहौर में काम शुरू किया. लेकिन घरवालों के दबाव के चलते उन्हें दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान आर्मी ज्वाइन करनी पड़ी.

हालांकि तीन साल बाद खय्याम ने आर्मी की नौकरी छोड़ दी और फिल्म संगीत में करियर शुरू करने के लिए बॉम्बे का रुख किया.

हम आशिक थे के.एल. सहगल साहब के, उनकी फिल्में देखते थे. हमारा शहर बहुत छोटा था, वहां एक भी सिनेमा हॉल नहीं था.
<b>एक टीवी इंटरव्यू में खय्याम</b>

उन्होंने 1947 में काम शुरू किया, पर तब पांच साल तक वो खय्याम नहीं, बल्कि शर्माजी के नाम से काम करते थे. तभी उन्हें पंजाब फिल्म प्रोडक्शन की ‘हीर रांझा’ में काम करने का मौका मिला.

1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ से ख्य्याम को पहचान मिली, जिसका श्रेय उन्होंने गीतकार साहिर लुधियानवी को दिया’.

साहिर ने ही फिल्म के संगीत के लिए राज कपूर को ख्य्याम का नाम सुझाया था.

रमेश सहगल साहब शंकर जयकिशन साहब के साथ काम किया करते थे, लेकिन उन्होंने खय्याम से राजकपूर साहब को कुछ अपनी रचना सुनाने के लिए कहा.

“अगर उनको पसंद आता है, तो मुझे कोई इश्यू नहीं है. तो बहुत अच्छे तरीके से सहगल साहब ने कहा- भाई खय्याम साहब इम्तिहान दोगे? मैंने इसलिए हां की, क्योंकि मुझे मालूम था कि राज कपूर साहब को संगीत का भी काफी इल्म है और वो शायरी भी समझते हैं.”

उन्होंने पांच धुनें बनाईं, हर एंगल से. इतना राज कपूर साहब को खुश करने के लिए काफी थी.

60 के दशक में ख्य्याम ने कई फिल्मों में हिट म्यूजिक दिया, जिनमें ‘शोला और शबनम‘, ‘फुटपाथ’ और ‘आखिरी खत’ शामिल थीं.

70 के दशक में ख्य्याम की सबसे यादगार कंपोजिशन आई यश चोपड़ा के साथ, जिनकी शुरुआत हुई 1976 में ‘कभी-कभी’ से. इस फिल्म में खय्याम ने अपनी काबलियत साबित कर दी.

कभी-कभी के लिए खय्याम ने 1977 में पहला फिल्मफेयर अवार्ड जीता.

एक तरफ अमिताभ बच्चन जी हैं, राखी जी हैं, शशि कपूर साहब हैं और दूसरी तरफ ऋषि जी हैं और नीतू.

उन्होंने साहिर साहब और यश जी की गाइडिंग से दो अलग-अलग जेनरेशंस के म्यूजिक के स्वाद के साथ पूरा न्याय किया.

अगले ही साल खय्याम और यश चोपड़ा फिल्म ‘त्रिशूल’ के लिए फिर एक बार साथ आए.

त्रिशूल के हिट गाने ‘गपूजी-गपूजी, गम-गम’ का धुन खय्याम ने बना लिया था, लेकिन यश चोपड़ा ने उन्हें इसमें कुछ बदलाव करने को कहा. इसका असर गाने पर साफ दिखा. 
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80 के दशक में खय्याम ने कुछ सबसे यादगार कंपोजिशंस तैयार किए. 1980 में आई फिल्म ‘थोड़ी सी बेवफाई’ इसका एक अच्छा उदाहरण है.

इधर काका जी, मतलब राजेश खन्ना और उधर शबाना आजमी अलग अलग रह रहे हैं और उस पर गुलजार साहब की राइटिंग, “हजार राहें मुड़के देखीं, कहीं से कोई सदा न आई.”

लेकिन खय्याम का सबसे मशहूर संगीत सामने आया मुजफ्फर अली की फिल्म ‘उमराव जान’ में.

इस साउंडट्रैक के लिए उन्हें 1981 में नेशनल अवार्ड भी मिला.

उमराव जान’ के लिए ख्य्याम को 1982 में उनका दूसरा फिल्मफेयर अवार्ड मिला और ये सिलसिला फिल्म ‘बाजार’ के यादगार गानों के साथ आगे बढ़ गया.

1983 में कमाल अमरोही की हेमा मलिनी स्टारर महत्वाकांक्षी फिल्म आई- ‘रजिया सुलतान’.

हालांकि फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कामयाबी नहीं मिली, लेकिन खय्याम का संगीत और लता मंगेशकर की आवाज कोई नहीं भुला पाया.

फिल्मों के अलावा खय्याम ने मीना कुमारी की उर्दू शायरी - “आई राइट-आई रिसाइट” के लिए भी संगीत दिया.

80 के दशक में डिस्को और सिंथेसाइजरों के आने के साथ संगीत को लेकर खय्याम की क्लासिकल समझ के चाहने वालों की फेहरिस्त छोटी पड़ती गई.

गौतम घोष की फिल्म यात्रा का साउंडट्रैक, खैय्याम की आखिरी रचनाओं में से एक है.

संगीत में अपने योगदान के लिए खय्याम को 2010 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया. 2011 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार मिला.

खय्याम, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को कुछ जबरदस्त रोमांटिक गाने दिए, वो अपनी कामयाबी और हुनरमंदी का श्रेय अपनी पत्नी जगजीत कौर को देते हैं.

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