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इनके घर पर लोग प्यार से इन्हें 'मिट्ठू' बुलाते हैं. इनकी शुरुआत कभी क्लास रूम में मेज बजाने से हुई थी. लेकिन मेज की जगह तबले ने ले ली और नतीजा यह हुआ कि हाथ में ग्रैमी अवॉर्ड आ गया. हम बात कर रहे हैं ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले भारतीय तबला वादक संदीप दास की. स्कूल के दिनों में मेज बजाने की वजह से स्कूल टीचर ने उनकी शिकायत भी की थी.
सेंट जेवियर स्कूल के वाइस प्रिंसिपल फादर मनीष ओस्टा ने बताया कि संदीप दास के पटना आने पर उनके स्कूल ने उन्हें सम्मानित करने का निर्णय किया है.
संदीप दास के बड़े भाई कौशिक दास ने बताया कि स्कूल की पढ़ाई के बाद हम लोग शाम में घर पर संगीत का अभ्यास किया करते थे. हमारे गाने पर मिट्ठू (संदीप दास) तबला बजाया करते थे तथा मेरा गायन खत्म हो जाने पर भी वह तबला बजाना जारी रखता था जिसको लेकर हमारे बीच लड़ाई भी होती थी.
उन्होंने बताया कि किशन महाराज के यहां तबला वादन के दौरान संदीप की उंगली में दरार आ जाती थी, लेकिन वह अपनी प्रैक्टिस जारी रखते और उनकी प्रैक्टिस आधी रात से सुबह चार बजे तक जारी रहता था. कौशिक ने बताया कि 5-6 वर्ष की उम्र में संदीप खिलौने के बजाए तबला की मांग करते थे.
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