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हाफ गर्लफ्रेंड टाइटल की तरह ही काफी कुछ इस फिल्म को देखने के बाद आपको चिड़चिड़ा बना सकता है. शायद अर्जुन कपूर जब-जब बिहारी बोलने की कोशिश करते हैं तब आप चिड़चिड़े हो जाएं.
लेकिन सच में ये हाफ गर्लफ्रेंड करती क्या है? मूवी देखकर तो मुझे ये पता चल गया कि उसे क्या नहीं करना चाहिए! हाफ गर्लफ्रेंड को कभी घर से बाहर अकेले नहीं निकलने देना चाहिए क्योंकि उसे इलाज की जरूरत है एक हाफ ब्वॉयफ्रेंड की नहीं!
श्रद्धा कपूर के गालों पर डिंपल तो ठीक है, लाल होंठ भी अच्छे लगते हैं लेकिन बतौर अर्जुन कपूर बोले तो माधव झा की हाफ गर्लफ्रेंड, वो दिमाग खराब करती है. दूसरे तरीके से समझाएं तो ये जोड़ी चेतन भगत की दुनिया में ही ठीक है. लड़का बिहारी ऐसे बोलता है जैसे उसके गले में लिट्टी फंस गई हो, और लड़की सिर्फ एक गाना गा कर सिंगर बनने के सपने संजोए है.
सबसे बड़ी बेइज्जती तो देश के प्रीमियर कॉलेज स्टीफन की हुई है.
इंटरव्यू में कॉलेज प्रोफेसर माधव की इंग्लिश का मजाक उड़ाते हैं. रिया का कॉलेज कैंटीन अवतार तो पूछिए मत...बिहारियों के बाद स्टीफन के पुराने स्टूडेंट्स को इस फिल्म को बायकॉट करना चाहिए.
विक्रांत मेसी (माधव का दोस्त) और सीमा बिश्वास (माधव की मां) को हमारे हमर्ददी की जरूरत है.
दूसरी चीज जो मोहित सूरी की फिल्म को यादगार बनाता है वो है बिल गेट्स मोमेंट. एक जिंदगी से परेशान इंटर्न के चेहरे पर बिल गेट्स का चेहरा लगाया जाता है जो काफी भयानक लगता है.
रिया को माधव से दूरी बनानी थी तो वो हाफ गर्लफ्रेंड का फंडा लेकर आ गई. माधव उधर रिया को अपने सिस्टम से बाहर ही नहीं फेंक पाया. अब टोटल कंफ्यूजन, पूरी फिल्म देख ली लेकिन फर्क नहीं पड़ा कौन किसके साथ जाता है, किसे कब कौन मिलती है.
माधव के पास आशिकी के अलावा सिर्फ एक काम है शौचालय बनाना.
इतना सोशल ज्ञान! वैसे फिल्म भी पहले सीन से आखिरी सीन तक इसी लायक है कि आप बाथरूम ब्रेक पर रह सकते हैं.
हाफ गर्लफ्रेंड को हाफ क्विंट
इस फिल्म को देखने का मन है तो एक बार ट्रेलर फिर से देख लीजिए, मन बदल जाएगा.
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