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आने वाले 15 अगस्त को देश 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. देश को आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुती दे देने वाली महान आत्माओं को याद करना चाहिए. ऐसे में इस स्वतंत्रता दिवस पर बॉलीवुड में बनी शानदार देशभक्ति की फिल्मों को देखने से अच्छा क्या होगा?
आइए नजर डालते हैं 7 ऐसी फिल्मों पर जिन्हें आप इस स्वतंत्रता दिवस पर देख सकते हैं.
आमिर खान की इस फिल्म में आपको आजादी की पहली लड़ाई की कहानी देखने को मिलेगी. फिल्म में बताया गया है कि कैसे 1857 में आजादी के आंदोलन के पहले सिपाही कहे जाने वाले मंगल पांडे ने ब्रिटिश राज के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी और शहीद हो गए थे. फिल्म काफी अच्छी है, आप देख सकते हैं.
भारत की आजादी के संघर्ष में महात्मा गांधी बहुत बड़े योद्धा रहे थे. हॉलीवुड एक्टर बेन किंगस्ले की ये फिल्म आपको गांधी जी के साउथ अफ्रीका में बिताए गए सालों के बारे में बताती है. आजादी की लड़ाई में आने से पहले गांधी ने साउथ अफ्रीका में किस तरह रंगभेद के खिलाफ काम किया, साथ ही भारत आने के बाद किस तरह से उनका संघर्ष रहा. फिल्म में गांधी जी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को दिखाया गया है.
ये फिल्म आपको भगत सिंह के बलिदान, बहादुरी और संघर्ष की कहानी बताती है. अजय देवगन ने फिल्म में शानदार काम किया है. सिर्फ 23 साल की उम्र में देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर देने वाले भगत सिंह के जीवन पर आधारित ये फिल्म बहुत अच्छी है.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी के तीन सिपाहियों के ट्रायल पर आधारित ये फिल्म 1945 में चले एक केस के बारे में बताती है. फिल्म की कहानी आजाद हिंद फौज के अफसरों कर्नल प्रेम कुमार सहगल, लेफ्टिनेंट कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लो और मेजर जनरल शाह नवाज खान पर लाल किले में चले मुकदमे पर आधारित है. इन अधिकारियों पर चले कोर्ट मार्शल को लाल किला ट्रायल भी कहा जाता है.
गदर में 1947 में भारत-पाकिस्तान पार्टिशन और उसके बाद फैले सांप्रदायिक खूनखराबे को दिखाया गया है. फिल्म में भारत में रहने वाले तारा सिंह (सनी देओल) की पत्नी सकीना(अमीषा पटेल) अपने परिवार से मिलने पाकिस्तान चली जाती हैं और वहां फंस जाती हैं. तारा सिंह अपने दम पर अपनी पत्नी को वापिस लाता है.
ये फिल्म आपको सन 1893 में ‘चंपारण’ नाम के एक गांव की कहानी बताएगी. ये वो वक्त था जब ब्रिटिश राज अपने चरम पर था. ब्रिटिश सैनिक किसानों से लगान मांगते थे, ऐसे में भुवन(आमिर खान) नाम का एक लड़का है और ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाता है. चंपारण गांव के लोगों और ब्रिटिशर्स की एक टीम के बीच लगान माफ करने को लेकर क्रिकेट मैच होता है. आखिर में गांव के वो लोग इंग्लैंड के सिपाहियों को उन्हीं के खेल में हराते हैं.
डायरेक्टर ओम प्रकाश मेहरा की ये फिल्म आपको ये बताती है कि, “कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता, उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है”. फिल्म दो जोन में चलती है, एक आजादी की लड़ाई और दूसरा वर्तमान भारत जहां पर देश के दुश्मन भ्रष्ट राजनेता हैं. ये फिल्म आपको देश के लिए जिम्मेदारियों का अहसास कराएगी और ये बताएगी कि हमें आजादी कितनी मुश्किलों से मिली है.
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