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तमिल सुपरस्टार रजनीकांत (Rajnikanth) की लेटेस्ट फिल्म 'जेलर' एक ब्लॉकबस्टर साबित हो रही है. फैंस उनके परफॉर्मेंस के साथ-साथ युवा निर्देशक नेल्सन दिलीप कुमार से भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं. सन फिल्म्स के बैनर तले कलानिधि मारन द्वारा निर्मित यह फिल्म तमिलनाडु के 900 सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जा रही है. बताया जा रहा है कि फिल्म ने कल तक प्री-बुकिंग के आंकड़ों में 13 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है.
फिल्म की स्टोरी लाइन की बात करें, तो मुथुवेल पांडियन (रजनीकांत) जेलर की नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद अपने परिवार के साथ शांति से साधारण जीवन जी रहे होते हैं. वो घर के आसपास छोटे-मोटे काम करते हैं. लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं यह मलाल होता है कि सेवानिवृत्त व्यक्ति को कोई सम्मान नहीं मिलता.
वो अपना पूरा दिन काम-काज और अपने पोते को उसके यूट्यूब वीडियो शूट में मदद करने में बिताते हैं. जाहिर है कि साउथ के सुपरस्टार को इतनी हैपनिंग लाइफ तो मिलेगी नहीं. इसलिए फिल्म में मुथुवेल पांडियन की शांति को भंग करने के लिए एंट्री होती है 'विलेन' वर्मा (Vinayakan) की.
फिल्म में 'टाइगर' मुथुवेल पांडियन के पास, मदद के लिए पूरी एक टीम होती है, जो उनके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार होती है. हालांकि, बैग्राउंड से यह पता नहीं चलता कि आखिरकार मुथुवेल पांडियन के पास इतने सारे लोग आए कैसे?
यहीं पर फिल्म थोड़ी अप्रासंगिक लगती है और दर्शक थोड़ा कनेक्ट नहीं कर पाते. लेकिन रजनीकांत की आकर्षक और पैसा वसूल एक्टिंग दर्शकों को फिल्म से जोड़ने का पूरा काम करती है.
मोहनलाल, शिव राजकुमार और जैकी श्रॉफ जैसे अभिनेताओं के जबरदस्त कैमियो से फिल्म को मजबूती मिली है. डायरेक्टर नेल्सन दिलीप कुमार ने सभी कैमियो रोल को बेहद आश्चर्यजनक और आकर्षक तरीके से बुना है, जिससे फिल्म स्क्रिन पर निखरकर आ रही है. सभी कैमियो रोल्स ने लीड कैरेक्टर्स को जोड़े रखने का काम किया है.
निर्देशक नेल्सन ने रजनीकांत और अन्य अभिनेताओं के किरदार को फिल्म में बहुत अच्छे तरीके से पेश किया है. फिल्म में रजनीकांत के कॉमेडी टाइमिंग का अच्छा इस्तेमाल किया गया है.
पहले घंटे में दर्शकों को डार्क कॉमेडी देखने को मिलता है. अरन्थांगी निशा, जिन्होंने नेल्सन द्वारा ही निर्देशित फिल्म 'कोलामावु कोकिला' में एक अविस्मरणीय किरदार निभाया था, उन्हें इस कहानी में जगह नहीं मिली है. रेडिन किंग्सले और योगी बाबू, दोनों स्थापित हास्य अभिनेता का बहुत कम उपयोग किया गया है.
हैरान करने वाली बात यह है कि कैसे राम्या कृष्णन (जो फिल्म में मुथुवेल की पत्नी की भूमिका निभा रही हैं) को एक्सन सेट से डरकर, खाने की मेज पर कांपती हुई महिला के रूप में दिखाया गया है. जबकि वो खुद में एक मैग्नेटिक यानी कि आकर्षक और कमांडिंग स्टार हैं.
कोलामावु कोकिला जैसी फिल्म बनाने वाले फिल्म निर्माता का यह मानना क्यों है कि एक पुरुष अपने असली सुपरहीरो का दर्जा तभी हासिल कर सकता है जब उसके परिवार की महिलाएं उससे डरती हों?
जेलर की सबसे बड़ी ताकत उसकी सबसे बड़ी खामी भी है. रजनीकांत पूरी फिल्म को अपने कंधों पर उठाने में सक्षम हैं, लेकिन इस मामले में, स्टार पर सबसे अधिक निर्भरता है, जिससे फिल्म का अधिकांश भाग कमजोर लगता है.
फिल्म का प्लॉट काफी सरल है, जिसकी वजह से फिल्म को रोचक बनाने के लिए कुछ कॉमेडी सीन्स, लव ट्रैंगल और गाने को जबरदस्ती जोड़ा गया है.
इस नोट पर देखा जाए, तो अनिरुद्ध रविचंदर और सुपर सुबु की फिल्म 'हुकुम - थलाइवर अलाप्पारा' एक अच्छी लेट मोटिफ साबित होती है.
एक फिल्म निर्माता के रूप में नेल्सन का ध्यान 'जेलर' के सबसे रोचक किरदार - मूर्ति चोर विलेन वर्मा की ओर ज्यादा है.
फिल्म को पूरी तरह से इंप्रेसिव बनाने के लिए विलेन के किरदार को डरावना और प्रभावशाली दिखाया गया है.
फिल्म में विलेन इंवेस्टिगेशन प्रोसेस में विश्वास नहीं करता. क्योंकि वो खुद एक पुलिस वाला नहीं है और इसलिए इसे जिसपर भी संदेह होता है, वो उसे मारने का फैसला करता है.
फिल्म में विलेन की एक्टिंग पर से दर्शकों का ध्यान एक बार भी नहीं हटेगा. विनायकन ने वर्मा की भूमिका को पूरी शिद्दत से पर्दे पर उतारा है.
एक सीन में, वह लगभग चारों तरफ से अपने शत्रु की ओर बढ़ता है. जबकि मुथुवेल के बदला को बहुत ही सरल तरीके से पेश किया गया है.
फिल्म में वर्मा की खून की प्यास स्पष्ट तरीके से दिखलाई पड़ रही है. यह अंतर यह दर्शाने के लिए किया गया है कि वर्मा की हिंसा बुराई के लिए है, जबकि मुथुवेल न्याय के लिए द्वंद्वयुद्ध करता है.
पूरी पटकथा से यही मालूम पड़ता है कि रजनीकांत के बिना फिल्म 'जेलर' का प्रभाव उतना नहीं होता जितना की है. लेकिन चूंकि साउथ स्टार स्क्रीन पर है, स्टाइलिश तरीके से अपना शेड्स लहरा रहे हैं और हवा में लाइटर फेंक रहे हैं, इसलिए उनके फैन यह फिल्म देखने से खुद को नहीं रोक पा रहे.
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