Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Entertainment Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोलकाता फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने पहुंचे अमिताभ बच्चन फ्री स्पीच बोले

कोलकाता फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने पहुंचे अमिताभ बच्चन फ्री स्पीच बोले

Shahrukh Khan ने कहा कि सोशल मीडिया पर निगेटिव चीजों को बढ़ावा मिलता है

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<div class="paragraphs"><p>इस मौके पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन,शाहरुख खान और अन्य कलाकार पहुंचे.</p><p></p></div>
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इस मौके पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन,शाहरुख खान और अन्य कलाकार पहुंचे.

फोटो:ट्विटर

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कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे अमिताभ बच्चन को सीएम ममता बनर्जी ने सम्मानित किया. वहीं अमिताभ ने अपनी स्पीच में कई बड़ी बातें कहीं. अमिताभ ने सिनेमा की शुरुआत से लेकर अभिव्यक्ति की आजादी तक पर बात की.

अभिव्यक्ति की आजादी पर उठे सवाल

आम तौर पर राजनीतिक विवादों से दूर रहने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कोलकाता फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह में नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर टिप्पणी की. अमिताभ बच्चन ने कहा कि अब भी नागरिकों की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी पर सवाल उठाए जाते हैं.

ब्रिटिश सेंसर्पशिप, उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ आजादी से पहले की फिल्मों, सांप्रदायिकता और सामाजिक एकता पर विस्तार से बात करने की बात कही. अमिताभ बच्चन ने कहा, “मुझे यकीन है कि मंच पर मेरे सहयोगी इस बात से सहमत होंगे कि अब भी नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाए जाते हैं.

अमिताभ ने आगे कहा-शुरुआत से लेकर अब तक के कंटेंट में बदलाव आया है. अब कई तरह के अलग कंटेंट हैं, दर्शक सिंगल स्क्रीन और ओटीटी के माध्यम से राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर विचार रखते रहते हैं.

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उन्होंने आगे कहा– हम दर्शकों को हल्के में नहीं ले सकते, उनके पास हर तरह का कंटेंट होता है. वे इसे कहां देखना चाहते हैं ये उनकी मर्जी है. अमिताभ ने ये बात तब कही जब शाहरुख की फिल्म पठान को लेकर विवाद चल रहा है.

सोशल मीडिया पर शाहरुख की राय

शाहरुख खान ने कहा कि आज के वक्त में सोशल मीडिया द्वारा एक कलेक्टिव नैरेटिव दिया जाता है. मैने कहीं पढ़ा था कि...नेगेटिविटी सोशल मीडिया के यूज को बढ़ाती है. इससे सामूहिक नैरेटिव को बल मिलता है, जो सोशल मीडिया को विभाजनकारी और विनाशकारी बनाती है लेकिन सिनेमा एक काउंटर नैरेटिव को बनाए रखने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है.

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