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स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है. लता जिनकी सुरीली आवाज सुनकर सरहद पर खड़े जवानों का हौसला बढ़ जाता है, उनकी आवाज की पूरी दुनिया कायल है. उन्हें किसी ने 'स्वर कोकिला' कहा, तो किसी ने 'सुरों की मल्लिका'. किसी ने 'स्वर साम्राज्ञी', तो हिंदुस्तान ने उन्हें अपना सबसे कीमती 'भारत रत्न' माना.
एक खास इंटरव्यू में लता ने अपने जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में हमसे खुलकर बात की.
सवाल: आप एक गायक के तौर पर अपने करियर को कैसे देखती हैं?
लता मंगेशकर: अगर आप मुझसे पूछेंगे तो मैंने अपने लिए ठीक-ठाक ही किया. अच्छा है... लेकिन और भी अच्छा हो सकता है. मैंने अपने गाए किसी भी गाने की रुककर तारीफ नहीं की, कभी ये नहीं कहा कि, ‘वाह क्या गाना गाया है.’ लेकिन मुझे ये पता है कि मैंने अपने गानों में गलतियां कहां की हैं. एक कलाकार को अपने काम से कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए.
सवाल: क्या आप अपना एक ऐसा गाना बता सकती हैं,जिसने आपको सबसे ज्यादा संतुष्टि दी हो?
लता मंगेशकर: मैंने अपने भाई हृदयनाथ मंगेशकर के एल्बम मीराबाई भजन्स में जो चला वही देस गाया है वो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है. मुझे लगता है कि हृदयनाथ ने मुझे जो भी गाना दिया मैंने उसके साथ संपूर्ण न्याय किया. ये आज तक का मेरा सबसे सफल प्रयास रहा है. मुझे लगता है कि मैंने सलिल दा (सलिल चौधरी), मदन मोहन और जयदेव की कुछ रचनाओं के साथ भी न्याय किया है.
सवाल: ऐसा कई बार सुनने में आता है कि म्यूजिक कंपोजर आपको बिना वजह हाई पिच पर गाने को कहते थे, क्या ऐसा इसलिए क्योंकि आप ऐसा कर सकती थीं?
लता मंगेशकर: ये सच है. मैं आपको दो उदाहरण देती हूं. फिल्म जंगली का गाना ‘एहसान तेरा होगा मुझ पर’ और फिल्म लव इन टोक्यो का गाना ‘ओ मेरे शाह-ए-खुबा’ दोनों ही शंकर-जयकिशन ने कंपोज किए थे. दोनों ही गाने पहले मो. रफी साहब ने गाए थे. इसके बाद दोनों कंपोजरों ने तय किया कि यही गाने वो मुझसे भी गवाएंगे. इसके बाद जंगली में सायरा बानो और लव इन टोक्यो में आशा पारेख पर दोनों गाने फिल्माने के बाद शंकर-जयकिशन मेरे पास आए. और मुझसे वो गाना ठीक उसी तरह गाने को कहा गया क्योंकि वो गाना पहले ही हिरोइनों के साथ फिल्मा लिया गया था और रफी साहब ने गा भी लिया था.
सवाल: आपको नहीं लगता कि काश आपके पास शास्त्रीय संगीत के रियाज का और अधिक वक्त होता?
लता मंगेशकर: क्या मैं आपको एक बात बताऊं? शास्त्रीय गानों से अधिक कठिन है फिल्मों में पार्श्व गायन करना.
सवाल: आप बतौर गायक अपना खुद का आकलन कैसे करती हैं?
लता मंगेशकर: मेरे से बेहतर गायक हुए हैं जैसे केएल सहगल साहब और नूरजहां जी और भविष्य में भी मुझसे बेहतर गायक जरूर होंगे. मैं हमेशा से ये कहती रही हूं कि मेरे अंदर जो भी कला है वो भगवान की देन है. लेकिन मैं ये भी कहूंगी कि कोई भी गाना मेरे लिए कभी भी कोई बहुत बड़ी मुश्किल नहीं रहा. हर एक कलाकार में एक हुनर होता है. अब ये उस कलाकार पर निर्भर करता है कि वो उस हुनर का इस्तेमाल कैसे करता है.
सवाल: आपके समय में गानों की रिकॉर्डिंग काफी मुश्किल हुआ करती थी. ऐसा कहा जाता है कि ‘प्यार किया तो डरना’ गाने में गूंज जैसा प्रभाव लाने के लिए आपने उसका कुछ हिस्सा रिकॉर्डिंग स्टूडियो के बाथरूम से गाया था. और एक बार आप सलिल चौधरी का गाना रिकॉर्ड करते वक्त बेहोश हो गई थीं?
लता मंगेशकर: ये सही नहीं है. ‘प्यार किया तो डरना क्या’ गाने में गूंज का प्रभाव लाने के लिए मैंने माइक्रोफोन से थोड़ा दूर से गाया था, बाथरूम से नहीं! और हां मैं एक बार बेहोश जरूर हुई थी, लेकिन वो सलिला दा के गाने के लिए नहीं. वो एक बार मैं नौशाद साहब के लिए फिल्म अमर में गा रही थी जो मधुबाला पर फिल्माया गया था, उस दौरान बेहोश हुई थी.
सवाल: आप गाने में जो अपना कुछ जोड़ देती थीं उससे वो गाना एक अलग ही स्तर पर पहुंचा जाता था. उदाहरण के तौर पर आपने फिल्म ‘मधुमति’ में ‘बिछुआ’ गाने पर जो ‘ओए ओए ओए’ किया था?
लता मंगेशकर: वो तो सलिल दा का विचार था, लेकिन हां मैं गानों में कभी-कभार अपनी हरकत ले लेती थी. एक बार मैं और रफी साहब शंकर-जयकिशन के लिए एक गाना रिकॉर्ड कर रहे थे. रिहर्सल के दौरान मैंने तय किया कि मैं इस गाने में एक जगह अपनी हरकत लूंगी. लेकिन मैंने रिहर्सल के दौरान उसका जिर्क किसी से नहीं किया. उसे मैंने अपने तक ही रखा और गाने के फाइनल टेक के दौरान वैसा ही किया जैसा मैंने सोचा था. जब फाइनल टेक हो गया तो मेरी उस हरकत से वहां मौजूद सभी काफी उत्साहित थे. लेकिन रफी साहब काफी नाराज हो गए थे. ये सब मैंने अच्छी भावना के साथ किया था, किसी को चोट पहुंचाने का मेरा मकसद नहीं था.
सवाल: आपका पसंदीदा सह गायक कौन था?
लता मंगेशकर: किशोर दा (किशोर कुमार) बिना किसी शंका के. रिकॉर्डिंग के दौरान, उससे पहले और बाद में हम खूब मजे करते थे. वो हंसा-हंसा के हमारे पेट में दर्द कर देते थे. लेकिन म्यूजिक कंपोजर के सामने वो बहुत ही गंभीर हो जाते थे.
सवाल: आप अपने पारिवारिक जीवन में बहुत खुशकिस्मत रही हैं?
लता मंगेशकर: हां, बिल्कुल. मुझे बहुत ही कम उम्र से अपने परिवार का ध्यान रखना पड़ा था. लेकिन वो मेरे लिए कभी बोझ नहीं बने.
सवाल: आज तक आपको अपने जीवन का सबसे अच्छा उपहार क्या मिला है?
लता मंगेशकर: वो प्यार जो मुझे मेरे फैन्स और चाहने वालों से मिला है. वो प्यार नहीं होता तो न जाने हम कहां होते. ये भगवान की कृपा है कि मुझे अभी तक ऐसा स्नेह मिल रहा है. मैं इससे ज्यादा क्या मांग सकती हूं?
सवाल: ऐसा एक भी दिन नहीं जाता जब हम आपके गानों की तारीफ न करें. आप क्या करती हैं?
लता मंगेशकर: आपका मतलब है कि क्या मैं खुद अपनी आवाज की तारीफ करती हूं? बिल्कुल नहीं! अगर ऐसा होता तो शायद मैं आत्मसंतुष्ट हो जाती. मैं तो अपने गाने सुनती तक नहीं हूं. मेरी आवाज भगवान और मेरे माता पिता की देन है. मेरे पिता की आवाज बहुत ही खूबसूरत थी. जब मैं पांच साल की थी तभी उनका देहांत हो गया था लेकिन मुझे उनके साथ जो भी थोड़ा बहुत समय मिला उसमें मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा.
सवाल: आप अपने गाने नहीं सुनतीं?
लता मंगेशकर: मैं कोशिश करती हूं कि न सुनूं. लेकिन जब कभी सुन लेती हूं तो लगता है कि मैं इस गाने में थोड़ी और मेहनत कर सकती थी. मैं और भी ज्यादा अच्छा कर सकती थी.
सवाल: आपने हमेशा अपनी आत्मकथा के लिए मना क्यों किया?
लता मंगेशकर: मुझे नहीं लगता कि मुझे अपने जीवन की हर बात बताने की जरूरत है. सबसे बड़ी बात ये है कि इससे बहुत लोगों और परिवारों को दुख पहुंच सकता है. सच अक्सर कड़वा होता है. मैं किसी को भी चोट नहीं पहुंचाना चाहती. जो भी हो मुझे नहीं लगता कि लोगों को मेरे बारे में सब कुछ जानने की जरूरत है.
सवाल: जब कोई आपकी आलोचना करता है तो आप उसको जवाब देने से खुद को कैसे रोकती हैं?
लता मंगेशकर: कई गायकों ने मुझ पर उनके गाने चुराने का आरोप लगाया, जबकि मैंने ऐसा कभी नहीं किया. और मुझे कभी ऐसा भी नहीं लगा कि इसका जवाब देने की जरूरत है. सच हमेशा सच ही रहेगा. कवि और गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा जो मेरे पिता जैसे थे उन्होंने मुझे आत्म संयम सिखाया.
सवाल: आपने अपनी मां से जीवन में सबसे बहुमूल्य पाठ क्या सीखा?
लता मंगेशकर: जिंदगी ने बहुत कुछ सिखाया. मैंने सीखा है कि जो लोग हार गए हों या दुखी हों हमेशा उनकी मदद करो. दुनिया हमेशा ही कमजोर की उपेक्षा और दुरुपयोग करती है. लेकिन मेरे अभिभावकों ने सिखाया कि जरूरतमंद की हमेशा मदद करनी चाहिए.
सवाल: कई ऐसे गायक थे जिनकी आपने मदद की और उन्होंने ही आप पर एकाधिकार का अभ्यास करने के आरोप लगाए?
लता मंगेशकर: क्या ये मेरी गलती थी कि संगीतकार मेरे पास आते थे? मैं कभी भी उनके पास नहीं गई. केवल करियर की शुरुआत में मैं उनसे काम मांगने जाती थी. एक बार जब मैं स्थापित हो गई तो मैंने दूसरे गायकों के लिए काम छोड़ दिया. लेकिन बाद में उन्होंने पलटकर मुझे ही गालियां देना शुरू कर दिया, और आज तक दे रहे हैं.
वो एक अच्छी महिला हैं, उन्होंने हमेशा मेरे बारे में अच्छा ही कहा है. अल्का याज्ञनिक भी वैसी ही हैं, वो भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं. लेकिन कुछ गायक जो बाद में आए उन्होंने मेरे मदद करने के भाव को गलत तरीके से लिया. उन्हें लगता था कि मैं उन पर कोई अहसान कर रही हूं.
सवाल: जब आप 1947 में इंडस्ट्री में आईं तो आपने पहले से मौजूद सभी गायिकाओं की छुट्टी कर दी.
लता मंगेशकर: आपको लगता है कि मैंने उन सब पर काला जादू कर दिया क्या? ये भगवान की मर्जी थी. शायद मेरी कुंडली में ये लिखा था. ये होना ही था औरा ये हुआ.
एक मुस्लिम संगीतकार थे जो मुझे अपनी बहन की तरह मानते थे. वो चाहते थे कि मैं उनका एक गाना गाऊं. मैंने उस गाने के लिए रिहर्सल भी किया. लेकिन तब मेरे सुनने में आया कि एक नई मराठी गायिका इंडस्ट्री में आई है. इसलिए मैंने उनसे कहा कि वो इस गाने के लिए उसे मौका दें. वो मान गए, उस गायिका ने गाना गाया और गाना हिट हो गया. बाद में मुझे पता चला कि वो मेरे बारे में हर जगह बुरा-भला कह रही है. अच्छा करो और कुंए मे डालो. ऐसे अनुभवों ने मुझे बहुत तकलीफ दी है. जिंदगी ने मुझे सिखाया है कि कभी भी भावनाओं में नहीं बहना चाहिए. इसलिए मैं हमेशा अपना सिर झुका कर रखती हूं.
सवाल: नए गायकों को आपकी कोई सलाह?
लता मंगेशकर: उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत जरूर सीखना चाहिए और एक रात में मिली सफलता को सिर पर नहीं चढ़ने देना चाहिए. आपकी विनम्रता ही आपको दूर तक ले जाएगी.
सवाल: कोई ऐसी ख्वाहिश जो अधूरी रह गई हो? आप अपने फैन्स को क्या संदेश देना चाहेंगी?
लता मंगेशकर: ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है. मैं जितने के लायक थी भगवान ने मुझे उससे कहीं ज्यादा दिया है. मैं इतना ही कहूंगी कि मुझे उनका आर्शीवाद हमेशा मिलता रहे. मैं हमेशा वैसी ही रहूं जैसा वो चाहते हैं.
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