Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Entertainment Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रिव्‍यू: लिपस्टिक अंडर माय बुर्का: ऐसी फिल्म जो ला सकती है क्रांति

रिव्‍यू: लिपस्टिक अंडर माय बुर्का: ऐसी फिल्म जो ला सकती है क्रांति

मूवी रिव्‍यू: लिपस्‍ट‍िक अंडर माय बुर्का. स्‍टार कास्‍ट: कोंकणा सेन शर्मा, रत्‍ना पाठक, प्‍लाबिता, अहाना कुमार

स्तुति घोष
एंटरटेनमेंट
Updated:
बड़े पर्दे पर रिलीज हुई फिल्म  लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
i
बड़े पर्दे पर रिलीज हुई फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
फोटो: Twitter

advertisement

सबसे चर्चित फिल्मों में से एक लिपस्टिक अंडर माय बुर्का के लिए मेरे पास ज्यादा शब्द नहीं हैं. हर फिल्म की तरह ये फिल्म भी अपनी ही परेशानियों के साथ आती है. सबसे पहली परेशानी कुछ और नहीं फिल्म का इंटरवल है. ये भी ऐसे समय में आता है जब आप नहीं चाहते कि फिल्म को देखते वक्त अपनी आंख भी झपके.

दूसरी परेशानी है- फिल्म का अंत. वो क्या है ना, ये इतनी शानदार फिल्म है कि आप चाहते ही नहीं कि खत्म हो. फिल्म को इतने अच्छे तरीके से बनाया गया है कि आपको लगेगा कि फिल्म के खत्म होने तक हम भी सीधा जाकर एक लिपस्टिक ले आएं.

वैसे एक बात बतानी जरूरी है कि फिल्म को देखने के बाद आपको ये बात समझ में आ जाएगी कि निहलानी को आखिरकार डर क्यों लग रहा था.

फिल्म के चारों किरदारों में आप खुदको कहीं न कहीं जरूर पाएंगे. फिल्म में बुर्का सिर्फ एक पर्दा ही नहीं है बल्कि एक मेंटल ब्लॉक है जो दुनिया वाले महिलाओं के लिए बनाते हैं. वो कहते हैं न लक्ष्मण रेखा.

सभी की कोई छुपी इच्छा होती है और ये फिल्म उसी के बारे में है फोटो: Twitter

जब-जब फिल्म में महिलाएं दुनिया के बंधन तोड़कर बाहर निकलती हैं, तो हम लोग उसे देखकर काफी खुश होते हैं.

फिल्म में रत्ना पाठक शाह का किरदार एक बुआजी का है जो अपने परिवार और उसकी जिम्मेदारियों में इतना उलझी होती हैं कि वो खुद जीना ही भूल जाती हैं. उनको पूरी फिल्म में अपना नाम उषा परमार ही बोलने में काफी खुशी मिलती है क्योंकि उसके पीछे बुआजी नहीं लगा होता.

शिरीन के किरदार में कोंकणा सेन शर्मा हैं जो के चोरी छिपे अपनी सेल्स ट्रेनर होने के सपने को अंजाम देती हैं. वो अपने इस किरदार को अपनी असल जिंदगी से भी ज्यादा जीती हैं. लीला यानि आहना को लगता है कि भोपाल की हवा उनको बंधन में डालती है.

आखिर में रिहाना (प्लाबिता), जब वो बुर्का नहीं सिल रही होतीं तो वो माइली सायरस के पोस्टर के साथ सबसे खुश होती हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव ने फिल्म को काफी रियल बनाने कि कोशिश की है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि फिल्म के आखिर तक भी ये सारी लड़कियां अपनी आजादी नहीं पा सकतीं. लेकिन इन लड़कियों के लिपस्टिक वाले सपने हमारे साथ हमेशा के लिए रहेंगे.

इस फिल्म को 5 में से 4.5 क्विंट्स

[ हमें अपने मन की बातें बताना तो खूब पसंद है. लेकिन हम अपनी मातृभाषा में ऐसा कितनी बार करते हैं? क्विंट स्वतंत्रता दिवस पर आपको दे रहा है मौका, खुल के बोल... 'BOL' के जरिए आप अपनी भाषा में गा सकते हैं, लिख सकते हैं, कविता सुना सकते हैं. आपको जो भी पसंद हो, हमें bol@thequint.com भेजें या 9910181818 पर WhatsApp करें. ]

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 19 Jul 2017,04:54 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT