Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Entertainment Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 जेलों में गूंज रहे इन सुरों का दीवाना है बॉलीवुड

जेलों में गूंज रहे इन सुरों का दीवाना है बॉलीवुड

लखनऊ सेंट्रल कई ऐसे कैदियों की कहानी है जो कैद हैं लेकिन उनके सपने आजाद हैं

अभय कुमार सिंह
एंटरटेनमेंट
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जेल यानी डर. जेल यानी अपराध. जेल यानी सजा. जेल यानी सजा से पहले की 'सजा'. जेल यानी संगीत. जेल यानी संगीत? एक ही सिलसिले में ये अजीब लगता है. लेकिन कहा जा रहा है कि इस शुक्रवार रिलीज हुई फरहान अख्तर की फिल्म 'लखनऊ सेंट्रल' ऐसे ही अजीब लोगों को बारे में है जो जेल में बंद तो हैं लेकिन उनके सपने कैद नहीं हुए.

‘बंदे कैद होते हैं, सपने नहीं’

'लखनऊ सेंट्रल' में फरहान अख्तर मुरादाबाद के किशन का किरदार निभा रहे हैं, जिसका सपना है कि वो एक बड़ा भोजुपरी सिंगर बने. लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब किशन को मर्डर के आरोप में जेल भेज दिया जाता है. किशन की सुनवाई कोर्ट में चल रही होती है इस दौरान वो अपना सपना पूरा करने के लिए एक बैंड बनाता है.

कहा जा रहा है कि ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर बनी है. अभी कुछ वक्त पहले एक और फिल्म आई थी. यशराज की कैदी बैंड. उस फिल्म का सब्जेक्ट भी कैदियों और म्यूजिक को लेकर उनके जज्बे के इर्द-गिर्द घूमता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डायरेक्टर रणजीत तिवारी को इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का आइडिया 3 साल पहले तब आया था, जब उन्होंने एक आर्टिकल के जरिए जाना कि उत्तर प्रदेश के सेंट्रल जेल में कैदी अपना म्यूजिक बैंड बनाते हैं.

हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही कैदी बैंड्स के बारे में जिन्होंने जेल की दुनिया में रहते हुए अपने संगीत और पैशन से बॉलीवुड में बैठे महारथियों का दिल जीत लिया और उन्हें इंस्पायर किया फिल्म बनाने के लिए.

हीलिंग हार्ट, लखनऊ सेंट्रल जेल

असली बैंड के साथ रिल लाइफ का बैंड (फोटो: FACEBOOK)

जेल में बंद उम्रकैद की सजा पाए 12 कैदियों का बनाया हुआ हीलिंग हार्ट बैंड, 'लखनऊ सेंट्रल' की बड़ी प्रेरणा है. ऐसा फिल्म के डायरेक्टर रणजीत तिवारी कई इंटरव्यू में कह चुके हैं.

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साल 2007 में इस बैंड को लखनऊ सेंट्रल जेल में बनाया गया था, मुश्किल ये थी कि म्यूजिक और इंस्ट्रमेंट्स बजाना कैसे सिखाया जाए. जेल के तत्कालीन अधीक्षक वीके जैन ने कैदियों की जिंदगी बदलने वाले इस काम में पूरा साथ दिया और 12 मेंबर वाला हीलिंग हार्ट दुनिया के सामने आ गया.

शुरुआत में इन्हें कई जेलों के बीच होने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए भेजा जाता था. लेकिन बाद में बैंड को प्राइवेट पार्टियों के अलावा शादियों में परफॉर्म करने की इजाजत भी मिल गई.

धीरे-धीरे ये बैंड ने लखनऊ शहर में अपनी जगह बना ली. दूसरे बैंड्स के मुकाबले ये कैदी बैंड काफी कम फीस में इवेंट में परफॉर्म करते थे.

ऐसे में उन कैदियों को जिन्हें जिंदगी भर जेल की दीवारों में कैद होना मुकर्रर किया गया था वो अब जेल के भीतर रहते हुए ही लेकिन समाज का एक हिस्सा बनते जा रहे थे.

फ्लाइंग सोल, तिहाड़ जेल, दिल्ली

(फोटो: फेसबुक/Central Jail Tihar)

एशिया की सबसे बड़ी जेल, दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी एक म्यूजिक बैंड हैं. नाम है- फ्लाइंग सोल. इसके परफॉर्मर्स तिहाड़ समेत कई जेलों में परफॉर्म करते हैं. जब इस बैंड की शुरुआत हुई थी तो इसमें 10 मेंबर थे. अब ये बैंड दूसरे कैदियों के लिए मिसाल बन चुका है. इसी तरह का एक और बैंड साल 2011 में जम्मू कश्मीर में बना, नाम दिया गया पाइप बैंड.

जेलों में सजा काट रहे कैदियों के ये बैंड न सिर्फ जेल के भीतर की अंधेरी दुनिया को उम्मीद से रोशन कर रहे हैं बल्कि अपने सपनों को जीने का सबक भी सिखा रहे हैं.

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Published: 14 Sep 2017,06:13 PM IST

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