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अगर आपको 'अर्जुन पटियाला' का ट्रेलर देखकर लगा था कि फिल्म में जबरदस्त कॉमेडी होने वाली है और आप खूब हंसेंगे, तो जरा ठहर जाइए. फिल्म में जितनी कॉमेडी थी वो केवल उस दो मिनट के ट्रेलर में है.
अर्जुन पटियाला (दिलजीत दोसांझ) एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर है. जब वो फिरोजपुर में अपनी नई पोस्टिंग के लिए निकलता है, तो उसके डैडी जी उसे एक व्हिस्की की बोतल देकर उसे 'अशीरवाद' देते हैं. लोगों को सॉलिड सलाह चाहिए होती है, लेकिन उसके पापा कहते हैं, 'नई जगह में ठेके ढूंढना मुश्किल होता है.'
फिल्म के राइटर्स रितेश शाह और संदीप लेजेल शायद खुद नहीं समझ पाए कि वो क्या लिख रहे हैं, और डायरेक्टर रोहित जुगराज ने जैसे चीजें ऑटो पायलट पर छोड़ दीं.
कृति सैनन ने फिल्म में अर्जुन पटियाला के लव इंट्रेस्ट और टीवी जर्नलिस्ट का रोल प्ले किया है. यहां भी जोक्स कुछ खास नहीं हैं, बस उनकी 'क्राइम रिपोर्टिंग और इन्वेस्टिगेशन' देख कर हंसी आती है. पुलिस को 'पुल्स' और सपोर्ट को 'स्पोर्ट' बोलकर उन्होंने पंजाबी बनने की पूरी कोशिश की है, लेकिन इससे मामला और खराब हो जाता है.
मोहम्मद जीशान अयूब, पंकज त्रिपाठी, अभिषेक बैनर्जी, रोनित रॉय और सीमा पाहवा के पास भी करने को कुछ खास नहीं है. ऐसे शानदार एक्टर्स का टैलेंट खराब जाते देखना बेकार लगता है.
'अर्जुन पटियाला' अलग होने के बारे में इतनी बड़ी बात करती है, जबकि यहां मूल बातें ही सही नहीं हैं.
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