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सबसे आसान भाषा में कहूं तो Brahmastra एक सुपरहीरो फिल्म है. जैसे ही मैं अपने 3डी चश्मे के साथ इन सुपरहीरो की कहानी देखने बैठी, मैं सोचने लगी कि कैसे हम हर बार 'सुपरहीरो' शब्द सुनते ही मार्वल (MCU) की कल्पना करने लगते हैं.
और हमने भारत में ऐसी कई फिल्में देखी हैं, जिसमें 'अच्छे' सुपरहीरो ने 'बुराई' के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, जैसे कि 'रा.वन', 'क्रिश' फ्रेंचाइजी और मलयालम फिल्म 'मिन्नल मुरली'. अयान मुखर्जी ने भी इसी तर्ज पर अपनी फिल्म का पहला पार्ट बनाया है.
फिल्म की शुरुआत होती है अमिताभ बच्चन की आवाज से, जो हमें अलग-अलग 'अस्त्रों' के बारे में बताते हैं. कैसे ऋषि मुनियों ने सालों तक सबसे शक्तिशाली अस्त्र ब्रह्मास्त्र के लिए तपस्या की है. वो हमें उन ताकतों के बारे में बताते हैं, जो हमारी दुनिया में मौजूद हैं और कैसे उनकी शक्तियों को ऐसे कई 'अस्त्रों' में इस्तेमाल किया गया है. मंच तैयार है और उम्मीदें भी हैं!
फिर हम मिलते हैं शिवा (रणबीर कपूर) से. शिवा की किस्मत ब्रह्मास्त्र से जुड़ी हुई है. लेकिन शिवा, ईशा से अपनी नजरें ही नहीं हटा पा रहा है. "ईशा मतलब पार्वती और शिवा का साथ पार्वती नहीं देगी, तो कौन देगा." और इसी के साथ जो ब्रह्मास्त्र की कहानी सेट की गई थी, उसमें दरारें पड़ने लग जाती हैं. रणबीर और आलिया, प्यार में पड़े दो लोगों में अच्छे लगते हैं, लेकिन बेकार डायलॉग्स ने मजा खराब कर दिया.
फिल्म का सेकेंड हाफ काफी लंबा लगता है, जिसमें दिखाया जाता है कि शिवा किन चीजों से गुजर रहा है. लेकिन यहां भी हुसैन दलाल के डायलॉग्स निराश करते हैं.
फिल्म में जहां डायलॉग्स नहीं हैं, वहां फिल्म ठीक लगती है. जैसे कि, फिल्म में 'वानर अस्त्र', 'नंदी अस्त्र' (नागार्जुन अक्किनेनी) और 'प्रभा अस्त्र' (अमिताभ बच्चन) हैं. फिल्म में रोशनी और अंधकार (मौनी रॉय) के बीच लड़ाई दिखाई गई है, जहां विजुअल इफेक्ट्स अच्छे लगते हैं और फिल्म में इंट्रेस्ट बना रहता है.
ब्रह्मास्त्र के कुछ सीन अच्छे हैं. अगर फिल्म से लव वाले कुछ पार्ट हटा दिए जाते, तो फिल्म और मजबूत हो सकती थी.
फिल्म को 5 में से 3 क्विंट!
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