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Breathe के दूसरे सीजन Breathe: Into the shadows में अमित साध इंस्पेक्टर कबीर सावंत के किरदार में फिर से नजर आ रहे हैं. जिज्ञासा पैदा करने के लिए दोनों नए कलाकार काफी हैं, लेकिन असल मे अमित साध ही हैं, जो अपने किरदार में नई गहराइयां ढूंढते हुए अपने कंधों पर इसे ढोते हैं.
इस सीजन की कहानी यही है कि कोई शख्स अपने परिवार के लिए किस हद तक जा सकता है और उसके लिए क्या-क्या कर सकता है. स्पॉयलर फ्री रिव्यू देते हुए कहानी में ज्यादा न घुसते हुए हम ये बता सकते हैं कि मुख्य किरदार ट्रेलर से ही साफ हो जाते हैं. 6 साल की सिया (इवाना कौर) लापता हैं.
बच्ची की मां आभा (नित्या मेनन) और पिता अवि (अभिषेक बच्चन) परेशान हैं. अपहरण के सामान्य मामलों में 48 घंटों में ही फिरौती की मांग हो जाती है, लेकिन सिया के लिए महीनों बीत जाने के बाद भी कोई फिरौती नहीं मांगी जाती है.
काफी समय बाद जब किडनैपर कॉल करते भी हैं तो अजीबोगरीब मांग करते हैं. जैसे किसी की हत्या करना और बताए गए तरीके से ही हत्या करना, फिर एंट्री होती इंस्पेक्टर कबीर सावंत यानी कि अमित साध की.
अभिषेक बच्चन का किरदार एक मनोचिकित्सक का है, और इसी वजह से उन्हें भी पुलिस की जांच में शामिल कर लिया जाता है, क्योंकि एक एपिसोड में ये बताया भी गया है कि मनोचिकित्सक से बेहतर माइंड गेम्स कौन समझ सकता है. " ये सब कहानी को कहां ले जाता है? सिया को अगवा किसने किया है? उसे लोगों का खून कराने में क्या रुचि है? इन सवालों का जवाब मिलता है इस सीरीज में. किडनैपर का हर संदेश ब्रैंड न्यू आईपैड में बढिया तरीके से पैक करके आता है.सीरीज के कई एपिसोड तक सिया तो नहीं मिलती, लेकिन अवि के घर पर आईपैड का ढेर लग जाता है.
थोड़ा अजीब ये है कि कहानी अच्छी होने के बावजूद दर्शक कहानी से जुड़ नहीं पाता. अपनी बच्ची खो देने के दुख के साथ अवि के परिवार के साथ दर्शकों को सहानुभूति नहीं हो पाती है और एपिसोड 5 के आते आते कहानी का अंत समझ आ चुका होता है.
अभिनय में अभिषेक बच्चन थोड़े सपाट लगे हैं, वहीं अमित साथ शानदार हैं. पुलिस स्टेशन के अंदर के दृश्य रोमांचक हैं. श्रद्धा कौल ने पुलिस के किरदार में अच्छा काम किया है. प्रकाश (ऋषिकेश जोशी) और जयप्रकाश (श्रीकांत वर्मा) का अभिनय अच्छा है. सैयामी खेर पहले 2 एपिसोड में नजर आने के बाद सीधे एपिसोड 7 में दिखती हैं. रेशम श्रीवर्धनकर और इवाना कौर का अपहरणकर्ताओं से बच निकलने की कोशिशें अच्छी बनी हैं. शतफ फिगर , श्रुति बापना और प्लाबिता बोठाकुरता का जुड़ना सीरीज को बेहतर बनाता है.
Breathe 2 कहीं कहीं बहुत अच्छी और कहीं बहुत कमजोर दिखती है. प्लॉट में कई कमजोर पक्षों को ऐसे ही छोड़ दिया गया है. एपिसोड 12 तीसरे सीजन की उम्मीद बांध कर खत्म होता है, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि उसमें अमित साध पे छोड़ दिया जाए .
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