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रिव्यू: हॉरर फिल्म नहीं है, लेकिन आपको डरा जरूर देगी ‘Bulbbul’

‘बुलबुल’ टिपिकल हॉरर फिल्म नहीं है

स्तुति घोष
मूवी रिव्यू
Updated:
‘बुलबुल’ टिपिकल हॉरर फिल्म नहीं है
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‘बुलबुल’ टिपिकल हॉरर फिल्म नहीं है
(फोटो: Altered by Quint Hindi)

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एक्टर-प्रोड्यूसर अनुष्का शर्मा और उनके भाई करनेश शर्मा की कंपनी क्लीन स्लेट फिल्म्स ने ऐसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया है, जो काफी हटके हैं. उनकी हाल ही में नेटफ्लिक्स इंडिया पर रिलीज हुई 'बुलबुल' भी कुछ ऐसी ही है.

ये टिपिकल हॉरर फिल्म नहीं है, जहां आवाजें होंगी, शोर होगा... लेकिन ये आपको डरा जरूर देगी.

पहली बात जो फिल्म में नोटिस करते हैं, वो ये कि ये फिल्म विजुअली काफी शानदार है. फिल्म में अलग-अलग रंगों के जरिए मूड बनाया गया है. फिल्म की कहानी है 1881 की.. जहां हमारी मुलाकात होती है बाल वधु बुलबुल से. छोटी सी बुलबुल जब अपने ससुराल जा रही होती है, तब उसे एक चुड़ैल की कहानी सुनाई जाती है जो एक युवा राजकुमारी का इंतजार कर रही है.

अनिश जॉन का साउंड डिजाइन और अमित त्रिवेदी का म्यूजिक इसे और शानदार बना देता है.

बुलबुल और उससे उम्र में काफी बड़े पति, इंद्रनील (राहुल बोस) के बीच पावर इक्वेशन कहानी का मूल है. हमें ये भी देखने को मिलता है कि बुलबुल पर उसकी सिस्टर-इन-लॉ (पाओली दाम) का उसपर क्या प्रभाव है. सत्या (अविनाश तिवारी) और डॉक्टर सुदीप (परमबत्रा चैटर्जी) के साथ उसकी दोस्ती फिल्म को और खूबसूरत बना देती है.

राहुल बोस, परमबत्रा चैटर्जी, अविनाश तिवारी और पाओली दाम ने फिल्म में शानदार काम किया है. तृप्ति दीमरी के फिल्म में कुछ सीन है, लेकिन उन्होंने अलग-अलग भावनाओं को अच्छे से उकेरा है.

फिल्म को 5 में से 3 क्विंट्स.

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Published: 25 Jun 2020,01:27 PM IST

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