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बिना 'बंटी और बबली' के 'बंटी और बबली 2' की बात करना थोड़ा मुश्किल है. और नयी फिल्म देखने के बाद तो पुरानी फिल्म की और याद आएगी. जब-जब फिल्म में पुरानी फिल्म का गाना बजता है, तो हम और उस एल्बम और फिल्म को याद करने लग जाते हैं.
फिल्म में रानी मुखर्जी की कॉस्ट्यूम्स काफी लाउड है और उसे देखकर आप याद करेंगे कि कैसे पहली फिल्म में उनकी शॉर्ट कॉलर वाली कुर्ती और पटियाला ने एक ट्रेंड सेट कर दिया था. वहीं, सैफ अली खान को देखकर अभिषेक बच्चन की याद आएगी.
रानी और सैफ मंझे हुए एक्टर्स हैं और इसलिए उनकी केमिस्ट्री सेट होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता. उन्हें मालूम है कि खराब सीन को कैसे बचाना है. लेकिन ये काबिलियत उन दो एक्टर्स में नहीं दिखती, जिन्हें नया बंटी और बबली बनाया गया है.
सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ भले ही यंग और बेहतर कपड़े पहनने वाले और ज्यादा टेक्नोलॉजी समझने वाले हैं, लेकिन उनसे फुर्सतगंज के छोटे से गांव के लोगों वाली फील नहीं आती.
जब हमने बंटी और बबली को आखिरी बार देखा था, तो वो शादी करके चोरी की दुनिया को छोड़ चुके थे. अब शादी कर चुके बंटी और बबली का एक बेटा भी है. जब इंस्पेक्टर जटायु सिंह (पंकज त्रिपाठी), राकेश (सैफ अली खान) और विम्मी (रानी मुखर्जी) को ढूंढ को निकालते हैं, तो दोनों नए बंटी और बबली को पकड़ने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेते हैं.
लेकिन खेल में ज्यादा मजा नहीं आता. फिल्म में ऐसे सीन ढूंढने पर भी नहीं मिलते जिसमें हंसी आई. फिल्म में हंसाने की कोशिश में बच्चों को सेक्शुलाइज करने की कोशिश की गई है, जो कि बेहूदा लगता है. फिल्म इतनी निराश करती है कि पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग भी उसे नहीं बचा पाती.
जैसा कि फिल्म में एक किरदार कहता है, "एक्सपायर हो चुकी दवाइयां सर को भी ठीक नहीं करती", इसी तरह, 'बंटी और बबली 2' भी एक्सपायर हो चुकी है.
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