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राष्ट्रवाद की बात की जाए तो दुर्भाग्य से आजकल देश भक्ति के मायने को बेसिर-पैर की नफरत और अंधभक्ति की गर्त में धकेल दिया गया है. देशभक्ति के नाम पर बनने वाली फिल्मों में भी भारी भरकम डायलॉग्स, झंडे उठाना, और जंग के मारकाट को बेहूदा तरीके से बेचा जा रहा है.
इस शोर-शराबे के मीनारों को तोड़ती मेघना गुलजार की ‘राजी’ अपने वतन के लिए सच्चे प्यार का एहसास कराती है. यह हरिंदर सिक्का के नोवेल, ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित एक युवा हिंदुस्तानी लड़की की सच्ची कहानी है, जिसने पाकिस्तान में अंडरकवर बनकर बेशकीमती खुफिया जानकारी भारत तक पहुंचाई और जिसके बाद आईएनएस विराट को पाकिस्तानी हमले से बचाया जा सका.
1971 में भारत और पाकिस्तान जंग के मैदान में आमने सामने थे. बांग्लादेश उस वक्त ईस्ट पाकिस्तान था और उसके अवामी लीग के नेता मुजबिर रहमान की भारत से नजदीकी की वजह से दोनों मुल्कों में तनाव इस हद तक जा पहुंचा की जंग की नौबत आ खड़ी हुई. इसलिए दोनों मुल्क एक दूसरे की खुफिया जानकारी समेटने में लगे हुए थे ताकि युद्ध के दौरान इसका फायदा उठाया जा सके. ऐसे हालातों में एक मासूम सी लड़की सहमत को भी इसमें धकेल दिया गया.
मौत के मुहाने पर खड़े अपने पिता की आखिरी इच्छा और देश पर कुरबान होने की परंपरा को जिंदा रखना, सहमत इसके लिए खुद तैयार हो जाती है. उसकी पाकिस्तानी सेना के कमीशन अफसर से शादी तय की जाती है. उसे पाकिस्तान जाकर वहां से खुफिया जानकारी भेजने की जिम्मेदारी मिलती है. काम इतना खतरनाक है कि इसके लिए उसे अपनी जान भी गंवानी पड़ सकती है. फिल्म में आगे क्या होगा यह डर दर्शकों को हर पल बांधे रखता है
हर कदम पर वह अपने डर से जूझती है. कहीं पकड़े जाने के मुहाने पर खड़े होना, और जरा सी गुंजाइश से बच जाना. देखने वालों की अटकी सांसो में मानो राहत सी दौड़ जाती है. सहमत आखिर इंसान ही है जो रोती है और टूट भी जाती है मगर अपने फर्ज के लिए बहादुरी और जांबाजी से उठ खड़ी होती है.
भावनी अय्यर और मेघना गुलजार ने उस पार के बहादुर मर्द और औरतों को भी स्क्रीनप्ले में बराबर जगह और इज्जत से नवाजा है जिसके वह हकदार हैं. इससे विकी कौशल और शशि शर्मा जैसे कलाकारों को शानदार परफॉर्मेंस दिखाने का मौका मिला. एक चश्मे वाले हिंदुस्तानी इंटेलिजेंस के हेड के रोल में जयदीप अहलावत का किरदार, जो सहमत को बताते हैं कि उसे आगे क्या करना है, मुश्किल होने के बावजूद बेहतरीन तरीके से निभाया गया है.
फिल्म में आरिफ जकारिया, सुशील शर्मा, रजत कपूर, सोनी राजदान जैसे मंझे हुए कलाकार भी हैं. बेवजह मारधाड़ के बिना एक जासूसी थ्रिलर "राजी" एक शानदार देखने लायक फिल्म है. शंकर-एहसान-लॉय का बैकग्राउंड म्यूजिक इसका बेहतरीन पहलू है. गुलजार साहब का लिखे ‘ए -वतन, और दिलबरो फिल्म के एहसास को और भी गहरा कर देते हैं.
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