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एक्टर सलमान खान ने फैंस से अपना ईद का वादा पूरा करते हुए आखिरकार ‘राधे: यॉर मोस्ट वॉन्टेड भाई’ रिलीज कर दी है. देश के इस समय जैसे हालात हैं, ऐसे समय में ‘राधे’ की रिलीज ने हमारे दर्द को और बढ़ा दिया है. ये एक लाउड और बेसिर पैर की फिल्म है, जिसमें न महिलाओं के लिए सम्मान है, न पुलिस के लिए और न ही ऑडियंस के दिमाग के लिए!
सलमान खान की फिल्मों में कुछ चीजें अक्सर एक जैसी होती हैं, जैसे अच्छे से कोरियोग्राफ किया हुआ उनका एंट्री सीन. इस फिल्म में भी आपको वो देखने को मिलेगा. ‘राधे’ कोरियन फिल्म ‘द आउटक्लॉज’ का रीमेक है. फिल्म का स्क्रीनप्ले कुछ इस तरह है कि मुंबई संकट में है, और इसे केवल राधे बचा सकता है.
आप देखते हैं कि वरिष्ठ अधिकारियों की एक हाईलेवल बैठक में एक शख्स चिल्लाता है- “हमें एक स्पेशलिस्ट की जरूरत है.” मुंबई को बचाने वाले इस शख्स के नाम बड़े रिकॉर्ड्स हैं- 10 सालों में 97 एनकाउंटर और 23 ट्रांसफर. वहीं, दूसरा कहता है- “उसका निलंबन हटा दीजिए.” और फिर खुद सलमान खान यानी कि राधे स्लोमोशन वॉक में पर्दे पर एंटर होते हैं.
सलमान खान की बाकी फिल्मों की तरह, इस फिल्म में भी फीमेल एक्टर के लिए करने को ज्यादा कुछ नहीं है.
फिल्म में कई ऐसे सीन हैं, जहां राधे को महिलाओं के 'सेवियर' को तौर पर दिखाया गया है. एक सीन में जब राधे से पूछा जाता है कि उसने इतने लोगों को क्यों मार दिया, तो वो कहता है, “औरत की इज्जत के लिए.” फिल्म में रेप या छेड़खानी के सीन हैं, रोती-बिलखती महिलाएं हैं, और इन सभी के जरिये ये दिखाने की कोशिश की गई है कि इन्हें ‘बचा’ लिया जाता, अगर राधे होता तो.
इस फिल्म में सलमान खान के सभी रंग देखने को मिलते हैं. “एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी...” से लेकर शर्टलेस तक. ‘राधे’ में पुलिस के आक्रमक रवैये से लेकर टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी को जस्टिफाई किया गया है.
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