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रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट (Rocketry: The Nambi Effect) के एक सीन में आर माधवन (R Madhavan) अपने दोस्त से कहते हैं, "जो बातें पता है उसे घड़ी-घड़ी दोहराया मत करो यार". इस बात पर फिल्म को भी थोड़ा ध्यान देना चाहिए था.
'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' से माधवन ने अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया है. इसके साथ ही वो इस फिल्म में इसरो (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर नांबी नारायणन (Nambi Narayanan) की भूमिका भी निभा रहे हैं, जिन पर जासूसी का झूठा आरोप लगाया गया था.
'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' नारायणन के जीवन पर आधारित फिल्म है. इस फिल्म में उन्हें एक अभिमानी लेकिन प्रतिभाशाली वैज्ञानिक के रूप में दिखाया गया है. नारायणन आइवी लीग विश्वविद्यालय (प्रिंसटन) जाने वाले ISRO के पहले साइंटिस्ट थे. उन्होंने रोल्स रॉयस के सीईओ कर्नल क्लीवर (रॉन डोनाची) के साथ 400 मिलियन पाउंड की एक बड़ी डील भी की थी.
फिल्म में दिखाया गया है कि नारायणन जेम्स बॉन्ड की तहर बहुत की चतुराई से एक महत्वपूर्ण उपकरण हासिल कर लेते हैं. नंबी नारायणन देश को सबसे ऊपर रखते हैं और भारत को 'रॉकेट्री' के क्षेत्र में शिखर पर ले जाना चाहते हैं. लेकिन तभी उनपर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगता है, जिससे उनकी जिंदगी बेपटरी हो जाती है.
फिल्म के सेकंड हाफ में नारायणन की गिरफ्तारी और बेगुनाही साबित करने के संघर्ष को दिखाया गया है. जो कि दर्शकों को बांधे रखता है. हिरासत में नारायणन को जिस तरह से टॉर्चर किया जाता है उन दृश्यों को देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.
फिल्म में आर माधवन की एक्टिंग शानदार है. उन्होंने नांबी नारायणन के किरदार को पूरे परफेक्शन के साथ निभाया है. हर सीन में उन्होंने अपनी तरफ से जान डाल दी है. स्क्रीन पर माधवन के इमोशन्स को आप भी महसूस करते हैं. लेकिन एक निर्देशक के रूप में उनका कौशल, एक अभिनेता के रूप में उनके कौशल से मेल नहीं खाता है.
एक्ट्रेस सिमरन (Simran) ने नारायणन की पत्नी मीना नांबी के किरदार को बहुत की खूबसूरती और मजबूती के साथ निभाया है. कुछ सीन्स में उन्हें दुखी देखकर आपके भी आंसू छलक पड़ते हैं.
और फिल्म में शाहरुख खान को कौन भूल सकता है? शाहरुख फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने का काम करते हैं. नारायणन से बात करते हुए एक साक्षात्कारकर्ता के रूप में, शाहरुख की भावनाएं अनिवार्य रूप से आप पर प्रभाव डालती हैं. ये उनके कौशल का एक प्रमाण है.
यह एक ऐसी फिल्म है जिसे बनना था, लेकिन इसे और बेहतर बनाया जा सकता था. धारदार एडिटिंग और थोड़ी हटके स्क्रीनप्ले से फिल्म में और जान लाया जा सकता था. वहीं दूसरी ओर सिरसा रे (Sirsha Ray) की सिनेमैटोग्राफी और सैम सीएस (Sam CS) का संगीत फिल्म की हाइलाइट है. रॉकेट्री अच्छे विचारों से बनाई गई फिल्म है, जिसे एक बार तो जरूर देखा जा सकता है.
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