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'सुपर 30' आनंद कुमार की रियल स्टोरी पर बेस्ड है. आनंद कुमार बिहार के पटना में गरीब बच्चों को आईआईटी जैसे संगठन में दाखिला दिलाने के लिए कोचिंग संस्थान चलाते हैं. 'सुपर 30' नाम के इस संस्थान में वो बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं.
154 मिनट की ये फिल्म न सिर्फ लंबी है, बल्कि लंबी लगती भी है. फिल्म में कई ऐसे सीन हैं, जो बेवजह लगते हैं. फिल्म एक प्रेरणादायक कहानी है और इसमें एक डायलॉग भी है- 'राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, जो हकदार होगा वो बनेगा...' लेकिन ये बात बॉलीवुड को कहां समझ आएगी.
ऋतिक रौशन बिल्कुल भी उस पृष्ठभूमि के नहीं लग रहे थे, जहां फिल्म बेस्ड है. उनके बोलने के तरीके में आया बदलाव साफ पता चलता है. जहां पूरी फिल्म की कास्टिंग शानदार है, वहीं ऋतिक इसमें अजीब लगते हैं. यहीं फिल्म सबसे कमजोर पड़ जाती है.
फिल्म असल में उन बच्चों की कहानी है, जो कुछ करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं, लेकिन उनके पास वो मौके नहीं हैं. और ऐसे सीन में डायरेक्टर विकास बहल ने काफी अच्छा काम किया है. फिल्म में कई इमोशनल सीन हैं.
'सुपर 30’ थोड़ी लंबी है, लेकिन इसे एक बार जरूर देखा जाना चाहिए.
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