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'द फकीर ऑफ वेनिस' एक्टर के तौर पर फरहान अख्तर की डेब्यू फिल्म होने वाली थी, लेकिन भगवान की मर्जी के आगे किसकी चली है!
फिल्म आखिरकार 10 साल बाद रिलीज हो गई है. इस बीच, मुंबई और वेनिस में बहुत बदलाव आ गया है और हम फरहान को कई चैलेंजिग रोल करते हुए देख चुके हैं.
फरहान अख्तर ने आदि कॉन्ट्रैक्टर का रोल निभाया है, जो कि एक फिल्म प्रोडक्शन कॉर्डिनेटर है. आदि हमेशा अपने असाइनमेंट के बीच फंसा हुआ रहता है. पैसे कमाने के लिए वो सब करता है, शूट के लिए हाथियों को लाने से लेकर विदेशी फिल्ममेकर्स को बंदर स्मगल करने तक.
जब वेनिस का एक गैलरी मालिक एक ऐसे फकीर की डिमांड करता है, जो सिर से पांव तक रेत में खुद को दफ्न कर ले, तो आदि तुरंत उसे ढूंढने निकल जाता है. वाराणसी की गलियां छानने के बाद, आदि को मुंबई में एक मजदूर मिलता है, सत्तर (अनु कपूर). बहन के दबाव के बाद सत्तर आदि के साथ काम करने के लिए तैयार हो जाता है.
आदि और सत्तर अपने-अपने कारणों से इस मिशन का हिस्सा बनते हैं. कई बार आदि इंडिया छोड़ने की अपनी ख्वाहिश बताता है. वो इन पैसों से विदेश में पढ़ाई और घूमना चाहता है. सत्तर बताता है कि वो वेनिस इसलिए आया है ताकि अपनी बहन हमीदा की आर्थिक मदद कर सके.
फिल्म के पुराने अनुभव के अलावा, बजट की दिक्कत भी साफ दिखाई देती है. वेनिस इतना सुस्त कभी नहीं लगा और वाराणसी उदास लगता है. इसके अलावा, फिल्म की कमजोर कहानी भी निराश करती है.
इस फिल्म को 5 में से 2 क्विंट!
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