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'देश खतरे में है, आतंकवादियों को पकड़ो...' क्या ऋतिक और टाइगर की बॉडी दिखाने के लिए वाकई इस लाइन की जरूरत थी? आर्कटिक सर्कल से लेकर मोरक्को तक, दोनों बस जंप कर रहे हैं और ऑडियंस इनकी एक झलक पाने की कोशिश. लगता है डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद का यही प्लान था ऑडियंस के लिए!
वो कभी आग के बीच में से निकलते हैं, कभी टूटती बिल्डिंग तो कभी प्लेन से, लेकिन उन्हें एक खरोंच तक नहीं आती है. क्या हीरो को ऐसा ही नहीं होना चाहिए?
एक और सीन जो बड़ा मजेदार है. एक फाइट सीन के बीच में टाइगर श्रॉफ रुकते हैं, अपनी टी-शर्ट फाड़ते हैं, अपने सिक्स पैक दिखाते हैं और फिर वापस लड़ने लग जाते हैं. भाई बॉडी तो दिखानी पड़ेगी न? हीरो ऐसा ही तो करते हैं!
फिल्म के राइटर सिद्धार्थ और श्रीधर राघवन ने जैसे स्क्रीनप्ले को स्टेरॉयड्स खिलाकर ऑडियंस का ध्यान भटकाने की कोशिश की है. फिल्म की शुरुआत देशभक्ति से होती है, ये दिखाने के लिए कि कौन बड़ा देशभक्त है. एजेंट कबीर (ऋतिक रोशन) एजेंट खालिद (टाइगर श्रॉफ) को धमकी देता है, क्योंकि वो 'गद्दार का बेटा' है. फिर दोनों एक टीम बन जाते हैं, लेकिन फिर कबीर और खालिद में दुश्मनी शुरू हो जाती है और ऑडियंस कंफ्यूज हो जाती है.
फिर अचानक से होली का एक गाना आता है और वाणी कपूर को सेकेंड हाफ में थोड़ी तवज्जो मिलती है. आशुतोष राणा से जबरदस्ती हेवी-लिफ्टिंग कराई गई है, क्योंकि वो मिशन के सुप्रीमो हैं. वो हमेशा फोन पर होते हैं और ऐसा लगता है कि वो एक कमरे में फंस कर रह गए हैं. इकलौती फीमेल एजेंट- अनुप्रिया गोयनका के पास केवल साढ़े तीन लाइनें हैं.
एक्शन के बारे में क्या? इसमें थोड़ा दम है. बुलेट, कार और हेलीकॉप्टर से एक्शन तो आता है लेकिन ये थोड़ा शोर मचाते हैं. सही कहूं तो 'वॉर' जैसी बेमतलब फिल्म देखने से ज्यादा खुशी ऑडियंस को ऋतिक और टाइगर के बड़े पोस्टर को देखकर मिल जाती.
'वॉर' को 5 में से 1.5 क्विंट्स!
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