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एयरलिफ्ट और नीरजा के बाद बॉलीवुड के जो फिल्म निर्माता हिट फिल्म का ‘सीक्रेट फॉर्मुला’ तलाश रहे थे, उन्हें खुश होने का मौका मिल गया है. असल घटनाओं पर आधारित या उनसे प्रभावित फिल्में, जिनमें देशभक्ति मौजूद हो और एक अदद ‘रियल हीरो’ हो, ऐसी फिल्में आजकल दर्शकों का दिल जीतती नजर आ रही हैं.
तो चाहे वो कुवैत से 1,70,000 भारतीयों को निकालने सच्ची घटना में बुनी गई एक काल्पनिक रंजीत कात्यल की कहानी हो, या फिर एक वास्तविक इंसान नीरजा भनोट की बहादुरी और सूझबूझ की कहानी हो जिसने एक अपहृत विमान में यात्रियों की जान बचाई थी, दर्शकों को ऐसे किरदार और कहानियां पसंद आ रहीं हैं, जो उन्हें प्रेरित करती हैं, जो उन्हें देशभक्ति से सीना चौड़ा करने का मौका देती है.
पिछली बार ‘तलवार’ ने हमें दिखाया कि मुख्यधारा के इतर ट्रीटमेंट के बावजूद एक सच्ची घटना पर बनाई गई कहानी के लिए एक बड़ा दर्शक वर्ग पहले से ही तैयार है.
लेकिन इसके बावजूद, एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी लिखना आसान नहीं है. आप नहीं जानते, कि कब आप डीफेमेशन या कॉपी राइट वायोलेशन के केस में फंस जाएंगे. स्क्रीनप्ले और डायलॉग लेखक रितेश शाह ने मुझे बताया कि वे जब भी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बनाने का आइडिया आगे बढ़ाते हैं, कानूनी सलाह हमेशा उस से दूर रहने की होती है.
इसीलिए किसी गैर-राजनीतिक हीरो की तारीफ में बनाई गई फिल्म हमेशा सुरक्षित रहती है, खासकर वो अगर स्पोर्ट्स से जुड़ी हो. ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘मैरी कॉम’ उदाहरण हैं. दोनों ही फिल्मों में मैरी कॉम और मिल्खा, निर्माताओं के पाले में थे, तो केस कौन करेगा?
जबकि ‘डर्टी पिक्चर’ को सिल्क स्मिता के परिवार और ‘वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ को हाजी मस्तान के बच्चों की ओर से कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था.
मैरी कॉम की सफलता के बाद निर्देशक उमंग कुमार ने अपनी अलगी फिल्म भी असल जिंदगी की घटना पर बनाने का फैसला किया. वे जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में कैद रहने वाले, और वहीं मर जाने वाले सरबजीत पर फिल्म बना रहे हैं.
क्या ‘सरबजीत’ ‘नीरजा’ की सफलता को दोहराएगी? यह तो हमें पता चल ही जाएगा, पर इस समय बॉलीवुड में, एमएस धोनी(सुशांत सिंह राजपूत), अज़हरुद्दीन (इमरान हाशमी), संजय दत्त (रणबीर कपूर) और महावीर फोगट (आमिर खान) के जीवन पर भी बायोपिक बन रही हैं.
पर हम उम्मीद करते हैं कि ये सभी फिल्म निर्माता ये भी याद रखें, कि ‘नीरजा’ और ‘एयरलिफ्ट’ सिर्फ ‘प्रेरणादायक कहानियों के फॉर्मुले’ पर आधारित नहीं हैं. वे अच्छी कहानियां थीं, जो दर्शकों को जोड़े रखने का माद्दा रखती थीं, और इन्हें उतनी ही अच्छी तरह फिल्माया भी गया था. किसी भी सफल फिल्म का असली ‘सीक्रेट फॉर्मुला’ तो यही है.
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