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‘टाइगर जिंदा है’ आपको इस सच्ची घटना की याद दिलाती है

जब इराक में दहशत के बीच हुई भारत की कूटनीतिक जीत

द क्विंट
एंटरटेनमेंट
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‘टाइगर जिंदा है’ में ISIS से लोहा लेते दिखेंगे सलमान
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‘टाइगर जिंदा है’ में ISIS से लोहा लेते दिखेंगे सलमान
(फोटो: फिल्म पोस्टर)

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सलमान खान की फिल्म 'टाइगर जिंदा है' का ट्रेलर कई पुरानी यादों को जिंदा कर देता है. याद कीजिए, 5 जुलाई 2014 का दिन. भारत के कूटनीतिक इतिहास में एक बड़ी जीत का दिन. जब 46 नर्सों ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कदम रखा तो दिल्ली में बैठी सरकार के माथे पर फैली शिकन की लकीरें सामान्य हुईं. ये नर्सें, इराक और सीरिया में आतंक का दूसरा नाम बन चुके, ISIS की कैद से बचकर आई थीं. ये 2014 की बात है. उस वक्त ISIS की दहशत अपने चरम पर थी.

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सलमान खान की फिल्म 'टाइगर जिंदा है' का ट्रेलर आपको इसी घटना की याद दिलाता है. टाइगर बने सलमान ISIS के गढ़ में उसे ललकारते नजर आते हैं. फर्क बस इतना है कि ISIS यहां ISC हो जाता है, ISIS सरगना अबु बकर अल बगदादी यहां अबु उस्मान हो गया है वहीं तिकरित का अस्पताल, इकरित के अस्पताल के तौर पर दिखाया गया है.

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सलमान ISIS के लड़ाकों से लड़ते, उन्हें मारते और नर्सों के रेस्क्यू ऑपरेशन में खुद को झोंकते दिखते हैं. असली कहानी 46 नर्सों की है लेकिन फिल्म का ट्रेलर देखकर पता चलता है कि यहां कहानी 25 नर्सों के रेस्क्यू के इर्दगिर्द बुनी गई है जो मौत के मुंह से बचकर देश लौटती हैं.

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असल में कैसे आजाद हुईं 46 नर्सें

46 डिग्री सेल्सियस तापमान में भूख और प्यास से जूझती भारतीय नर्सें पूरे 23 दिन तक ISIS की कैद में रहीं. पहले तिकरित के अस्पताल में फिर मोसुल में. आसपास का माहौल हर रोज धमाकों की गूंज और खौफ में कट रहा था. सभी नर्सें केरल से थीं. मरीना जोस इन्हीं में से एक नर्स थीं. ये उनके हौसले और बाकी नर्सों की हिम्मत का ही नतीजा था कि 23 दिन उन्होंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा. मरीना ने केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी से संपर्क साधा, इराक में भारतीय राजदूत विजय कुमार से बात की और इस पूरे ऑपरेशन में बड़ा किरदार निभाया. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में मरीना बताती हैं:

<p><b>हमें सिर्फ फायरिंग और बमबारी की आवाजें सुनाई देती थीं. मैंने अपने पिता को फोन करके सीएम ओमान चांडी से कॉन्टेक्ट करने को कहा. सीएम के पीए ने मुझे फोन कर हालात की जानकारी ली. हमें अस्पताल की दूसरी मंजिल पर बंधक बनाकर रखा गया था. हर थोड़ी देर बाद मशीनगन लहराते आतंकी आते और हमें मरीजों को देखने के लिए कहते. लेकिन कुछ दिनों के बाद पूरी इमारत खाली हो गई और सिर्फ आतंकी और हम 46 नर्सें रह गईं. हम बहुत डरी हुई थीं.</b></p>

एक वक्त आया जब IS के आतंकियों ने तिकरित में हालात बिगड़ने पर नर्सों को मोसुल की एक इमारत में शिफ्ट कर दिया.

भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

22 दिन की दहशत के बाद भारत और केरल सरकार की कूटनीतिक कोशिशों के चलते 23वें दिन ISIS ने नर्सों को कुर्द इलाके के बॉर्डर पर छोड़ दिया. वहां से नर्सों को एरबिल लाया गया. 4 जुलाई की रात एयर इंडिया के विशेष विमान ने सभी 46 नर्सों को लेकर उड़ान भरी और 5 जुलाई 2014 की सुबह इन नर्सों की जिंदगी में भी नई सुबह आई.

सलमान की ये फिल्म, ‘एक था टाइगर’ का सीक्वेल है. इसे अली अब्बास जफर ने डायरेक्ट किया है और 22 दिसंबर को फिल्म रिलीज होगी.

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Published: 07 Nov 2017,07:03 PM IST

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