Mahabharat 22 April Episode:दुर्योधन को बचाने पहुंचे भीम और अर्जुन

वनवास काट रहे पांडवों से उनका दुख दर्द बांटने हस्तिननापुर के महामंत्री विदुर पहुंचे हैं.

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(फोटो- स्क्रीनशॉट)
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Mahabharat 22 April Episode: टीवी सीरियल का एक सीन.

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महाभारत धारावाहिक में अब तक के एपिसोड में आपने देखा, 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञात वास पर निकले पांडव पुत्रों को वापस बुलाने का परामर्श लेकर विदुर धृतराष्ट्र के पास पहुंचे थे. लेकिन धृतराष्ट्र ने क्रोध दिखाते हुए विदुर को अपने मंत्रीमंडल से भी निकाल दिया और उनका परामर्श भी ठुकरा दिया है.

वनवास काट रहे पांडवों से उनका दुख दर्द बांटने हस्तिननापुर के महामंत्री विदुर पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने बताया कि पितामाह भीष्म की हालत तुम लोगों के वनवास आने के बाद से काफी खराब है. वहीं तुम्हारी मां कुंती तुम्हारे वापस आने का एक एक दिन गिन रही हैं. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि धृतराष्ट्र ने उन्हें हस्तिनापुर से निकाल दिया है.

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ऋषि व्यास ने धृतराष्ट्र से कहा

धृतराष्ट्र से मिलने पहुंचे ऋषि व्यास ने धृतराष्ट्र से कहा कि तुमने पांडवों के साथ पुत्र मोह में आकर गलत किया है. 13 वर्ष बाद भी पांडव इसे भूलेंगे नहीं हस्तिनापुर और दुर्योधन का अंत हो जाएगा. धृतराष्ट्र से ऋषि व्यास ने हस्तिनापुर के सर्वनाश की बात कही है.

छेड़खानी कर फंसे दुर्योधन

दुर्योधन ने वन में एक कन्या को छेड़ दिया जिसके बाद उसने इसकी सूचना अपने भाई को दी है और उसके भाई ने वन में ही दुर्योधन पर हमला बोल दिया. दुर्योधन ने गंधर्वों की कन्या के साथ दुर्व्यहवाहर किया था. जिसके बाद गंधर्वों ने उसे बंधी बना लिया है. इस बात की सूचना दुर्योधन के अंगरक्षक ने पांडवों को दी है. जिसके बाद युधिष्ठिर ने भीम और अर्जुन से उसकी सहायता के लिए कहा है.

दुर्योधन को बचाने पहुंचे भीम और अर्जुन

दुर्योधन को गंधर्वों ने बंधी बनाकर अपने काफिले में ले गए हैं. जिसके बाद भीम और अर्जुन ने गंधर्वों से माफी मांग ली है. लेकिन गंधर्व दुर्योधन को माफ करने को तैयार नहीं हैं. गंधर्व कन्या से दुर्व्यहवार करने वाले दुर्योधन को गंधर्व के मुखिया ने मृत्यु दंड देने का निर्णय लिया था. लेकिन समय रहते युधिष्ठिर ने अर्जुन और भीम को गंधर्वों के काफिले में भेज दुर्योधन को छुड़ाने को कहा. इसके बाद अर्जुन और भीम ने सभ्यता का परिचय दे, गंधर्वों से क्षमा मांग कर दुर्योधन को उनके बंधन से मुक्त करा दिया.

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