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श्री कृष्णा धारावाहिक के पिछले एपिसोड में आपने देखा, शमीक ऋषि के पुत्र ये देख क्रोधित हो जाते हैं कि कोई राजा उनके पिता को तपस्या करते हुए परेशान कर रहा है. ऐसे में ऋषि पुत्र राजन को श्राप दे देते हैं. लेकिन ऋषि देव इस बारे में जानने के बाद नाराज हो जाते हैं. वह कहते हैं कि क्या तुम उन्हें जानते हो.
शृंगी कहते हैं कि नहीं पिता कहते हैं फिर तुमने बिना जाने ही श्रॉप दे दिया. तुमने बहुत बड़ी भूल की है ऐसे राजा नहीं होते हैं ऋषि कहते हैं कि तुमने एक नेक राजा पर प्रहार किया है जिसकी बुद्धि कुछ क्षणों के लिए लुप्त हो गई है तुमने घोर अनर्थ किया है.
अब इधर राजन अपने राज महल में आते हैं वह अपनी रानी को सारा वाकया बताते हैं. वह कहते हैं कि मुझसे आज बहुत बड़ापाप हो गया है. तभी खबर आतीर है कि दरबार में उनसे मिलने वह ऋषि आए हैं. राजन बोलते हैं कि महाराज हमें माफ कीजिएगा कि हमारे उस अपराध के लिए आप जो भी दंड देंगे हम उसे स्वीकार कर लेंगे.
लेकिन ऋषि बोलते हैं कि मैं अपनी दिव्य दृष्टि से देख चुका हूं कि आप एक अच्छेराजा हैं. आपने जो किया वह कलयुग आपके सिर पर बैठा था. इसलिए ये हुआ ऐसे में राजन कहते हैं कि महात्मा हुआ तो मेरे हाथों ही है आप मुझे दंड दीजिए.
राजन को पता चलता है कि ऋषि पुत्र ने उन्हें श्राप दिया है कि 7 दिन बाद सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी. ऋषि कहते हैं कि अब आप परलोक सुधारने के लिए अच्छे कर्म करें और तुम मोक्ष प्राप्त करो.
राजन को मोक्ष के लिए एक मार्ग सुझाया जाता है भक्ति. भक्ति करो और मोक्ष पाओ. जो फल तपस्या, योग और समाधि से भी नहीं मिलता. वह श्रीकृष्ण कीर्तन भजन से मिल जाता है. कलयुग में मोक्ष ऐसे ही मिलेगा.
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