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'जीती है हमने ये सांसें, मांगी नहीं है हवा से' सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड के वेब सीरीज(Web Series) के एक गीत के बोल इस तरह के हैं और कुछ इस तरह ही एक महिला की साइकिल से स्कूटी तक पहुंचने के सफर वाली इसकी कहानी भी है.
'एस्पिरेन्ट्स' से ख्याति प्राप्त कर चुके निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की ने ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5(Zee 5) पर आई इस वेब सीरीज को कुछ इस तरह बुना है कि आप इसे लगातार देखते बिल्कुल भी बोर नहीं होंगे. कहानी में आपको कभी खुशी भरा कोई दृश्य दिखेगा तो अगले ही पल आप दुखी भी हो जाएंगे.
अमृता सुभाष के इर्द गिर्द पूरी वेब सीरीज की कहानी चलती रहती है. अमृता लगभग दो दशक से मनोरंजन जगत में हैं और गली ब्वॉय जैसी फिल्म में भी काम कर चुकी हैं लेकिन इस वेब सीरीज में उनका काम याद किया जाएगा. कई दृश्यों में वह दर्शकों को भावुक करने में कामयाब रही हैं.
अंजना सुखानी के करियर की कहानी भी कुछ कुछ अमृता से ही मेल खाती है पर यहां एक सौतेली मां के सकारात्मक किरदार में वह खूब जमी हैं. मनु बिष्ट के साथ उनकी केमेस्ट्री जमी है, मनु को देख कर आपको दंगल जायरा वसीम की याद आती रहेगी.
लोकप्रिय गायक चंदन दास की पत्नी और अभिनेता नमित दास की मां यामिनी दास ने अभिनय में देर से एंट्री मारी है पर उन्हें देखकर लगता है कि वो इसके लिए सालों से तैयार थीं, दमदार दादी के किरदार में वह छा गई हैं.
टीवीएफ के महत्वपूर्ण सदस्य आनंदेश्वर द्विवेदी ने शुक्ला बन कर बड़ा प्रभावित किया है, उनके मुंह से छूटे संवाद वेब सीरीज की जान हैं.
तीन दशक से टेलीविजन पर छाए हुए अनूप सोनी तो बड़े ही सहज तरीके से अपना किरदार निभा गए हैं.
सीरीज की पटकथा में ज्यादा चूक नहीं दिखती. कमरे के बाहर खड़े आनंदेश्वर द्विवेदी और अंदर बैठी अमृता सुभाष को खिड़की, दरवाजे की दूरी से बांट देने वाला दृश्य अच्छा है. दिल्ली जैसे शहर में किसी के घर में कोई रात के समय बेरोकटोक घुस जाए, यह पचता नहीं है. स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म टीवीएफ अपनी कहानी के साथ साथ संवादों के लिए भी जाना जाता है.
'गरीबी में भी बच्चे पल जाते हैं पर बिना प्यार दुलार के नहीं पलते' जैसे संवाद दिल को छू लेते हैं और समाज का हर वर्ग इससे खुद को जोड़ने लगता है.
'हम सबको पता है सवेरा होने वाला है, बस इंतजार नहीं करना चाहते' संवाद जीवन से हारे हुए लोगों में जान भरने के लिए काफी है.
वेब सीरीज में एक संवाद बार-बार आता है जो किसी नए व्यापार को शुरू करने के इच्छुक लोगों के लिए एक सीख है 'बिजनेस ऐसे ही होता है, पहले साल लगाई, दूसरे साल जमाई, फिर कहीं जाकर तीसरे साल कमाई'. कॉस्ट्यूम का चयन बिल्कुल परफेक्ट है, एक मध्यमवर्गीय परिवार की तरह स्वेटर पहने कलाकार कहानी के साथ बिल्कुल जमते हैं.
वेब सीरीज का छायांकन बड़ा ही लुभावना है, एक घर को अलग-अलग एंगल से इस तरह दिखाया गया है कि आप उसमें रहने वालों को अपना पड़ोसी मानने लगेंगे. दिल्ली की खूबसूरती को देख ऐसा लगता है मानो उसे कैमरे में कैद कर लिया गया है. तंग गलियां, डीटीसी बस, खाने के होटल, ये सब देख आपको दिलवालों की दिल्ली घूम आने को मन करेगा.
वेब सीरीज के गीत संगीत पर लिखा जाए तो इसके गीतों के बोल कमाल के हैं और आप शुरुआत में उसका उदाहरण पढ़ भी चुके हैं. संगीत इस तरह का है कि नारी शक्ति का प्रतिबिंब सा जान पड़ता है. ट्रेन का हॉर्न, बाइक चलने की आवाज भी वेब सीरीज देखने के अनुभव को शानदार बनाते हैं.
वेब सीरीज के जरिए बहुत से महत्वपूर्ण विषयों को भी उठाने की कोशिश करी गई है. घरेलू हिंसा के बीच दुनिया जीतती अकेली महिला पर इसकी कहानी केंद्रित तो है ही साथ में आप इसमें आजकल के बच्चों में नशे की आदत के साथ उनकी पढ़ाई में मोबाइल का प्रभाव देखते हैं. किसी महत्वपूर्ण परीक्षा में अब कोचिंग कितनी जरूरी बना दी गई है, यह भी आप समझते जाते हैं.
बस में सामान बेचने वालों के जीवन को इतनी नजदीक से शायद ही अब तक किसी फिल्म या वेब सीरीज में दिखाया गया हो.
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