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अपने जाने-माने अंदाज में 'सेक्रेड गेम्स' एक बार फिर से हाजिर है. फिर वही खून-खराबा और धोखा, सरताज सिंह का खौलता गुस्सा और गायतोंडे का अश्लीलता से भरा आत्मविश्वास. नए किरदारों और नए कलेवर के साथ पवित्र और अपवित्र के बीच की इस लड़ाई में आप ये अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि आगे क्या होने वाला है. अगर आपने इस सीरीज का पहला सीजन देखा है तो दूसरा सीजन देखना अनिवार्य हो जाता है.
नेटफ्लिक्स की पहली भारतीय ओरिजिनल सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' का पहला सीजन बेहद कामयाब रहा. ऐसे में इसके दूसरे सीजन को दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव था. इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सेक्रेड गेम्स के सीजन 2 के प्रचार को लेकर जो हलचल मची, वो वाजिब थी. राजनीति और धर्म के बीच की साठ-गांठ को बहुत ही बेबाक और शानदार ढंग से दिखाया गया है.
सीरीज की ताकत हमेशा से इसकी स्क्रिप्ट रही है - खास तौर से जिस तरह से इसमें सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं को मुख्य किरदारों के व्यक्तिगत नजरिए के साथ जोड़ा जाता है.
देखें वीडियो - नवाज, सेक्रेड गेम्स से पैरेलल सिनेमा तक अनुराग कश्यप के बेबाक बोल
सरताज सिंह एक मिशन पर है - उसे उस गिरोह का पर्दाफाश करना है, जो देश पर एक खतरनाक हमले की योजना बना रहा है. इस बीच वह खुद भी परेशानियों से जूझने के लिए जद्दोजेहद कर रहा है. सैफ अली खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक बार फिर बेहतरीन काम किया है. गायतोंडे के साथ हम फ्लैशबैक में 1994 में सफर करते, जहां वो बदला लेने के लिए तैयार है.
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, हम 'गुरुजी' से मिलते हैं, जिसे पंकज त्रिपाठी ने निभाया है. और उनके साथ हैं उनकी शिष्या 'बत्या' (कल्कि केकलां). पंकज त्रिपाठी जैसे मंझे हुए एक्टर ने अपने किरदार में बड़े ही सहज तरीके से मधुरता और डरावनेपन का तालमेल बिठाया है. रणवीर शौरी का किरदार अहम है. लेकिन दुख की बात है कि उन्हें पर्याप्त स्क्रीन स्पेस नहीं दिया गया. सुरवीन चावला और एलनाज नॉरोजी ने अपनी सीमित रोल में अच्छा काम किया है.
सीजन 2 में कुछ अप्रत्याशित ट्विस्ट दिए गए हैं. जैसे-जैसे चीजें करीब आती हैं, यह अंदाजा लगाने के लिए लुभाती है कि सीरीज का तीसरा सीजन भी देखने को मिलेगा. सेक्रेड गेम्स सीजन 2 बहुत ही अनूठा है.
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देखें वीडियो - इंटरव्यू: आमिर ने सैफ को क्यों किया ‘सेक्रेड गेम्स’ के लिए फोन?
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