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‘कहानी’ और ‘बदला’ जैसी हिट थ्रिलर फिल्मों के डायरेक्टर सुजॉय घोष ने नेटफ्लिक्स ऑरिजनल्स के लिए हॉरर वेब सीरीज बनाई है ‘टाइपराइटर’. 5 एपिसोड की इस सीरीज में दर्शक के लिए वो सब कुछ मौजूद है, जो वो एक हॉरर स्टोरी में ढूंढता है. जो नहीं होना चाहिए था, वो है इसका थोड़ा लंबा होना.
अगर आपको हॉरर कहानियां पसंद हैं, वेब सीरीज एडिक्ट हैं और कुछ नया देखना चाहते हैं तो इसे जरूर देखें, निराश बिलकुल नहीं होंगे. अब तक जो हॉरर फिल्में हमने देखी हैं, 'टाइपराइटर' उससे एक कदम आगे जाकर बनाई गई है. सुजॉय अपनी कहानियों में थ्रिलर एलिंमेंट्स के लिए जाने जाते हैं और ये सीरीज इससे भरी हुई है.
कहानी की बात करते हैं. 3 बच्चे हैं जो भूतों को लेकर काफी ऑब्सेस्ड हैं. वे भूतों को देखना चाहते हैं. इसलिए वे तीनों मिलकर एक क्लब बनाते हैं. ‘द घोस्ट क्लब’ की लीडर है समीरा, जिसके हाथ एक किताब लगती है. उस किताब में लिखी बातें उसके दिल दिमाग पर घर कर जाती हैं और फिर शुरू होता है इस क्लब का भूतों को देखने का मिशन.
‘बारदेज विला’ एक हॉन्टेड हॉउस है, जहां रहने के लिए एक परिवार आता है. इस विला और भूत वाली बात से मुझे अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘भूतनाथ’ की याद आ गई, उसमें भी एक ‘नाथ विला’ है जिसमें 'भूतनाथ' रहता है और बंकू नाम का एक लड़का उससे मिलता है. खैर...
कहानी में फ्लैशबैक भी है, जहां ‘घोस्ट ऑफ सुल्तानपुर’ के लेखक माधव मैथ्यूज खुद भूतों की कहानियां लिखते हैं. लेकिन एक वक्त आता है, जब वो कहानी लिखने के लिए एक शख्स से मिलते हैं, जिसका किरदार अभिषेक बनर्जी ने निभाया है. उन्होंने लाजवाब एक्टिंग की है.
इस किरदार का नाम है फकीर जो काला जादू कर कुछ शक्तियां हासिल करता है. फकीर का किरदार कहानी में बेहद दिलचस्प मोड़ लाता है. इसे देखते हुए एक वक्त ऐसा आता है, जब मुझे 'हैरी पॉटर' और 'वॉल्डेमॉर्ट' की याद आ गई.
क्योंकि ये एक हॉरर स्टोरी है, तो ये मानकर चला जाता है कि म्यूजिक दमदार होना चाहिए, नहीं तो देखने वाला बहुत जल्दी बोर हो जाता है. अमूमन हर हॉरर फिल्म में ऐसा होता है कि कम रोशनी है, खामोशी है और इंटेंस म्यूजिक है. फिर अचानक कुछ ऐसा होता है कि देखने वाला डर जाता है. इस बात का वेब सीरीज में खास खयाल रखा गया है. दमदार बैकग्राउंड स्कोर का इस्तेमाल इस सीरीज के सस्पेंस और हॉरर को बरकरार रखता है.
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एक्टिंग की बात करें तो सभी ने बेहतर काम किया है. इंस्पेक्टर का रोल निभा रहे पूरब कोहली को बहुत समय बाद देखकर अच्छा लगा. पॉलोमी घोष ने माधव मैथ्यूज की पोती का रोल निभाया है, जो कि इस कहानी के सेंटर में हैं और उनका एक भूत भी है, जो बीच में बीच में कैसे लोगों की जान ले रहा है, वो भी सीरीज का अहम हिस्सा है.
घोस्ट क्लब की लीडर हैं एक 10 साल की लड़की- समीरा आनंद. ये किरदार निभाया है आरना शर्मा ने, जिन्होंने अच्छा काम किया है. बाकी के सभी लोगों ने भी अपने किरदार पर अच्छा काम किया है.
अभिषेक बनर्जी ने फकीर का रोल कर एक बार फिर साबित किया है कि वो अपने क्राफ्ट में कितना बेहतर हैं.
पहले ही एपीसोड से ऐसा लगने लगता है कि प्लॉट लंबा खींचा जा रहा है. ऐसा है भी क्योंकि बीच बीच में मूल कहानी से अलग भी कई लोग आते हैं. वो हिस्से कम किए जा सकते थे. जैसे एली एवराम वाला हिस्सा या फकीर के बचपन की कहानी और फिर उसका गिरफ्तार होना. इन जगहों पर कैंची चलाने की गुंजाइश थी.
लेकिन इन सबके बावजूद ये बात तय है कि 5 एपिसोड की ये सीरीज आपको एक 'रोलरकोस्टर राइड' पर ले जाती है, जहां आप इस कहानी में घुलमिल जाते हैं और एंजॉय करने लगते हैं.
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