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‘सुपर 30’ से भी ऊपर है आनंद सर की असली कहानी,ऋतिक यूं नहीं हुए फैन

ऋतिक रोशन ने जिस आम आदमी का किरदार निभाया है. वो आनंद कुमार आखिर हैं कौन?

अभय कुमार सिंह
एंटरटेनमेंट
Updated:
‘सुपर 30’ से भी ऊपर है आनंद सर की असली कहानी,ऋतिक यूं नहीं हुए फैन
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‘सुपर 30’ से भी ऊपर है आनंद सर की असली कहानी,ऋतिक यूं नहीं हुए फैन
(फोटो: सुपर-30 वेबसाइट)

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'सुपर-30' का ट्रेलर रिलीज हो चुका है. हर तरफ इस बात की चर्चा है कि ग्रीक गॉड कहे जाने वाले ऋतिक रोशन ने जिस आम आदमी का किरदार निभाया है. वो आनंद कुमार आखिर है कौन? उसमें ऐसा क्या खास है, जो 2 घंटे की पिक्चर बनानी पड़ी. फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत में एक डायलॉग है कि देश में पेप्सी, कोका-कोला, यूनिलीवर, वोडाफोन, गूगल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां कौन चला रहा है?

सुपर 30 के संस्थापक से बात करते हुए ऋतिक रोशन(फोटो: IANS)

अब इस सवाल का जवाब है भारत के इंजीनियर्स का दुनियाभर में बोलबाला है. ऐसे में आज भी करोड़ों स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों का एक ही सपना है IIT में एडमिशन मिल जाए. बिहार के आनंद कुमार ऐसे ही ख्वाबों को अपने कोचिंग ‘सुपर 30’ से हर साल पूरा करते हैं. पिछले 17 साल में सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब मगर मजबूत इरादे वाले बच्चों को आनंद कुमार IIT पहुंचा चुके हैं. अब ये बच्चे कई बड़ी MNC कंपनियों में, सरकारी संस्थानों में बड़े ओहदे पर हैं.

कैंब्रिज का सपना टूटा...

आनंद जब ग्रेजुएशन में थे उस वक्त  रामनुजम स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स नाम से एक क्लब बनाया था.फोटो: सुपर-30 वेबसाइट

आनंद कुमार के लिए मैथमेटिक्स से प्यारा कुछ भी नहीं है. आनंद जब ग्रेजुएशन में थे उस वक्त  रामनुजम स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स नाम से एक क्लब बनाया था. जहां गणित से प्यार करने वाले लोगों के सवाल और जवाब को जगह मिलती थी.

साल 1994 में उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी जाने का मौका मिला, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि वो जा नहीं सके. दिल में टीस थी, तो आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए कुछ करने का सोचा और यहीं पर पड़ी सुपर-30 की नींव.

कैसे काम करता है सुपर-30?

कई फेज से गुजरकर साल 2002 में सुपर-30 नाम से कोचिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत आनंद कुमार ने कीफोटो: सुपर-30 वेबसाइट

कई फेज से गुजरकर साल 2002 में सुपर-30 नाम से कोचिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत आनंद कुमार ने की. काम में मदद के लिए आनंद ने अपने भाई प्रणब को मुंबई से बुला लिया. उनकी मां खुद घर में सभी 30 बच्चों के लिए खाना बनातीं और उनके भाई प्रणब बच्चों को आईआईटी की तैयारी करवाते. ऐसे ही चलता रहा सुपर-30.

कैसा रहा बैच दर बैच परफॉर्मेंस?

इस कोचिंग इंस्टीट्यूट का पहला बैच यानी साल 2003 में 30 बच्चों में से 18 बच्चों ने IIT की परीक्षा पास की. एक साल पहले शुरू हुए किसी भी कोचिंग संस्थान के लिए ये उपलब्धि ऐतिहासिक थी. 2004 में 22 बच्चों ने 2005 में 26 बच्चों ने ये परीक्षा पास की. 2006,2007 में 30 में से 28 बच्चों को अपनी मंजिल मिली और 2008 में तो 30 में से 30 बच्चे IIT में सेलेक्ट हुए. अब आनंद कुमार इस कोचिंग इंस्टीट्यूट को बड़ा करने की तैयारी में हैं. दूसरे शहरों में भी ले जाने की तैयारी में हैं. आनंद कुमार को देश-विदेश में अबतक कोई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.

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Published: 04 Jun 2019,05:21 PM IST

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