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अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के एक ट्वीट ने बॉलीवुड में फैले रंगभेद की सच्चाई को एक बार फिर सामने ला दिया है. नवाज ने हाल ही में अपने एक ट्वीट में लिखा, ‘शुक्रिया मुझे याद दिलाने के लिए कि मैं गोरे और हैंडसम लोगों के साथ काम नहीं कर सकता, क्योंकि मैं गुड लुकिंग नहीं हूं.’
ये सिर्फ बॉलीवुड की ही कहानी नहीं है. कई बार ऐसे किस्से सामने आते हैं, जिससे पता चलता है कि अब भी हमारा देश इस असमानता से उबर नहीं पाया है. जाहिर है, बॉलीवुड भी इससे अछूता नहीं है.
नवाज जैसा एक्टर, जिसने लगातार अपनी दमदार अदाकारी से ये साबित कर दिया है कि रंग कोई मायने नहीं रखता, उसे ऐसे भेदभाव का सामना करना पड़ा.
बॉलीवुड के तमाम बड़े स्टार्स फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करते हैं और लोगों को एक हफ्ते में गोरा होने का नुस्खा बताते हैं. क्या ये जायज है? इस पर बहस होती आई है, लेकिन इन बहसों का उन स्टार्स पर कोई असर नहीं पड़ा.
रंगभेद के मुद्दे पर ही एक्टर-डायरेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने एक फिल्म बनाई थी पिंकी ब्यूटी पार्लर. इस फिल्म को कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. फिल्म की कहानी दो बहनों की है, दोनों का रंग अलग-अलग है. एक दूसरे को जान से भी ज्यादा प्यार करने वाली बहनों के बीच में उनका रंग ही मुसीबतों का तूफान लेकर आता है और उनकी जिंदगी ही बदल जाती है.
क्विंट हिंदी ने बॉलीवुड में रंगभेद पर अक्षय कुमार सिंह से खास बातचीत की.
अक्षय अपनी फिल्म के डायलॉग नजर का ऑपरेशन हो सकता है, नजरिए का नहीं को दोहराते हुए कहते हैं कि हमें अपना नजरिया बदलना पड़ेगा.
अक्षय बताते हैं कि किस तरह से जूनियर आर्टिस्ट के साथ रंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है. अगर किसी सीरियल या फिल्म में किसी पार्टी के लिए जूनियर आर्टिस्ट की जरूरत होती है, तो रिच लुकिंग आर्टिस्ट बुलाए जाते हैं और रिच लुकिंग का मतलब होता है गोरा रंग. गोरे रंग वाले को ज्यादा पैसे दिए जाते हैं.
अभिनेत्री खुशबू गुप्ता फिल्म पिंकी ब्यूटी पार्लर में लीड एक्ट्रेस हैं. अपनी दमदार अदाकारी के दम पर उन्होंने ये बता दिया कि एक्टिंग के लिए रंग मायने नहीं रखता. खुशबू खुद कई बार रंगभेद की शिकार हो चुकी हैं.
खुशबू कहती हैं कि मैं कई बार ऑडिशन के लिए गई तो मुझे साफ कह दिया गया कि हमें फिल्म के लिए गोरी लड़की चाहिए. अगर गोरा रंग नहीं होने पर भी सलेक्शन होता है तो निगेटिव किरदार दिए जाते हैं या हॉट रोल ऑफर किया जाता है.
कुछ महीने पहले ही कलर्स चैनल के शो कॉमेडी नाइट्स बचाओ में अपनी फिल्म पार्च्ड के प्रमोशन के लिए गई तनिष्ठा चटर्जी का शो में उनके कलर को लेकर मजाक बनाया गया. अपनी सशक्त अदाकारी के लिए तारीफ बटोर रहीं तनिष्ठा को शो पर ‘रंगभेदी टिप्पणियों’ तक का सामना करना पड़ा.
बाद में तनिष्ठा ने खुद फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी नाराजगी शेयर करते हुए बताया था कि कैसे शो में कॉमेडी के नाम पर उनके रंग का मजाक बनाया गया.
बॉलीवुड में तमाम ऐसी अभिनेत्रियां हैं जिन्हें 'गोरी अभिनेत्रियां' नहीं कहा जा सकता. काजोल, शिल्पा शेट्टी, लारा दत्त ऐसी ही अभिनेत्रियां हैं, लेकिन इन्होंने अपनी अदाकारी के दम पर बॉक्स ऑफिस पर नाम कमाया और कई सुपरहिट फिल्में दी हैं.
काजोल की 1993 में आई फिल्म बाजीगर और साल 2015 में आई फिल्म दिलवाले की तुलना करें, तो उनके चेहरे का रंग आपको बदला-बदला नजर आएगा.
कुछ ऐसा ही हाल आपको बिपाशा बसु का भी देखने को मिल सकता है.
मतलब साफ है कि समय आगे बढ़ रहा है, लेकिन मानसिकता के लिहाज से या तो हम वही रंगभेद और पुरातनपंथ के साथ खड़े हैं या तो थोड़ा और पीछे चले गए हैं.
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