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आसाराम के काले कारनामे, कैसे सलाखों के पीछे पहुंचा ‘चमत्कारी’ बाबा

जोधपुर जेल में फैसले का इंतजार कर रहा है आसाराम

अंशुल तिवारी
कुंजी
Updated:
आसाराम बापू पर 25 अप्रैल को आएगा फैसला
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आसाराम बापू पर 25 अप्रैल को आएगा फैसला
(फोटो: Reuters)

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राजस्थान के जोधपुर जिला मुख्यालय का नजारा आजकल कुछ वैसा ही है, जैसा बीते साल अगस्त के महीने में हरियाणा के पंचकुला का था. जोधपुर जिला छावनी में तब्दील हो चुका है. प्रशासन मुस्तैद है और भारी संख्या में सुरक्षाबल के जवानों की तैनाती की गई है. 25 अप्रैल को जोधपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में फैसला सुनाएगा. इस मामले में खुद को धर्मगुरु होने का दावा करने वाला आसाराम आरोपी है.प्रशासन इस मामले में पंचकुला से सबक लेते हुए काफी एहतियात बरत रहा है.

पंचकुला में सीबीआई कोर्ट ने बीते साल 25 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के मामले में सजा सुनाई थी. इसके बाद पंचकुला समेत हरियाणा के तमाम शहरों में हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा के पीछे राम रहीम के अनुयायी शामिल थे.

क्या है आसाराम के खिलाफ जोधपुर केस?

आसाराम के खिलाफ अगस्त 2013 में उसके एक अनुयायी ने पुलिस में अपनी बेटी के साथ रेप का केस दर्ज कराया था. आसाराम से नाबालिग लड़की के पिता इतना प्रभावित थे कि उन्होंने अपने बच्चों को 'संस्कारी शिक्षा' की उम्मीद में आसाराम के छिंदवाड़ा स्थित गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेजा था.

पीड़िता के पिता की शिकायत के मुताबिक, 7 अगस्त 2013 को छिंदवाड़ा गुरुकुल से फोन आया. फोन पर बताया गया कि हमारी बेटी(16) बीमार है. अगले दिन जब पीड़िता के पिता छिंदवाड़ा गुरुकुल पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी पर भूत-प्रेत का साया है, जिसे आसाराम ही ठीक कर सकता है. 14 अगस्त 2013 को पीड़िता के पिता बेटी को लेकर आसाराम से मिलने उनके जोधपुर आश्रम पहुंचे.’

चार्जशीट के मुताबिक, ‘आसाराम ने 15 अगस्त की शाम 16 साल की पीड़िता को 'ठीक' करने के बहाने से अपनी कुटिया में बुलाकर बलात्कार किया.’

आसाराम पर फैसले से पहले जोधपुर में सुरक्षा चुस्त, धारा 144 लागू

रेप के मामले में आसाराम पर बुधवार को फैसला सुनाए जाने से पहले जोधपुर में सुरक्षा चुस्त कर दी गई है. राजस्थान हाई कोर्ट ने 17 अप्रैल को जोधपुर की निचली अदालत को जेल परिसर के भीतर अपना फैसला सुनाए जाने का आदेश दिया था. जोधपुर के पुलिस आयुक्त अशोक राठौर ने बताया कि शहर में धारा 144 लागू की गई है.

उन्होंने कहा, "हमें खुशी है कि कोर्ट ने जेल परिसर के भीतर फैसला सुनाए जाने के हमारे आग्रह को स्वीकार किया." दरअसल, प्रशासन ने यह तैयारी पंचकुला में राम रहीम को सजा सुनाने के बाद अनुयायियों की ओर की गई हिंसा को देखते हुए की है.

पुलिस आसाराम के समर्थकों के फैसले से पहले या फैसले के दिन जोधपुर पहुंचने की योजना की सूचना के बाद से पड़ोसी राज्यों से भी सहयोग मांग रही है. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हुई तो अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया जाएगा.

दीपेश-अभिषेक हत्याकांड

जुलाई 2008 में आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में पढ़ने वाले दो चचेरे भाई दीपेश-अभिषेक लापता हो गए थे. बाद में उनके शव आश्रम के बराबर में बहने वाली साबरमती नदी के किनारे से बरामद हुए थे. बच्चों के शवों पर तांत्रिक क्रिया होने की जानकारी मिली थी.

इस मामले की जांच सीआईडी क्राइम को सौंपी गई थी. मामले में सीआईडी क्राइम ने हत्या का केस दर्ज किया था. आश्रम के सात साधकों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई थी. फिलहाल यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है.

मामले की जांच के बाद पुलिस ने अपने हलफनामे में आश्रम में चलने वाले काले जादू और दूसरी रहस्यमयी गतिविधियों का खुलासा किया था.

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सूरत की दो बहनों के साथ रेप केस

सूरत की रहने वाली दो बहनों ने अलग -अलग शिकायतों में आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के खिलाफ रेप केस दर्ज कराया था.

दोनों बहनों ने पिता-पुत्र पर बलात्कार करने और गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाकर रखने समेत कई आरोप लगाये थे.

बड़ी बहन का आरोप है कि अहमदाबाद के निकट उनके आश्रम में साल 2001 से साल 2006 के दौरान आसाराम ने उसका कई बार यौन उत्पीड़न किया था. आसाराम को 31 अगस्त, 2013 को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और इसके बाद से ही वह जेल में हैं.

इसके बाद पीड़िता की छोटी बहन ने आसाराम के बेटे नारायण साईं पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. छोटी बहन का आरोप था कि नारायण साईं ने सूरत स्थित आश्रम में उसके साथ बलात्कार किया था. नारायण साईं को भी पुलिस ने दिसंबर 2013 में गिरफ्तार कर लिया था.

धमकी और हमलों से गवाहों को खामोश करने की कोशिश

सितंबर 2013 में आसाराम के खिलाफ एक केस की सुनवाई कर रहे सेशन जज मनोज कुमार व्यास को कथित तौर पर धमकी दी गई थी. इसके अलावा जज की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी को भी धमकी मिली थी. इतना ही नहीं, आसाराम और नारायण साई की गिरफ्तारी के बाद इनके खिलाफ मामलों के गवाहों को धमकियां मिलने का दौर शुरू हुआ. साल 2014 से 2015 के बीच कई गवाहों को धमकियां मिली, कई गवाहों पर हमले किए गए और कुछ की हत्या कर दी गई.

फरवरी 2014 | पीड़िता के पति पर हमला

आसाराम और उसके बेटे नारायण साई पर आरोप लगाने वाली गुजरात की दो बहनों के परिजनों को भी धमकियां मिली. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नारायण साई पर आरोप लगाने वाली छोटी बहन के पति पर सूरत में अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया.

मार्च 2014 | दिनेश भावचंदानी, गुजरात केस गवाह

गुजरात केस में गवाह दिनेश भावचंदानी पर भी हमला किया गया. बाइक पर सवार होकर आए दो अज्ञात लोगों ने दिनेश भावचंदानी पर तेजाब फेंक दिया.

मई 2014 | अमृत प्रजापति, गुजरात केस में गवाह

आसाराम के करीब 12 साल तक निजी वैद्य रहे अमृत प्रजापति को राजकोट में नजदीक से अज्ञात लोगों ने गोली मार दी. बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

जनवरी 2015 | अखिल गुप्ता, गुजरात केस में गवाह

आसाराम के रसोइया और सहायक अखिल गुप्ता को दो अज्ञात लोगों ने गोली मार दी. अखिल ने इस बात की तस्दीक की थी कि उन्होंने रेप पीड़िताओं को आसाराम के कमरे में दाखिल होते देखा था.

फरवरी 2015 | राहुल सचान, जोधपुर केस में गवाह

आसाराम के करीबी रहे राहुल सचान को जोधपुर कोर्ट में ही आसाराम के एक अनुयायी ने चाकू मार दिया था. इस घटना के बाद सचान को सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. हालांकि, 25 नवंबर 2015 को राहुल सचान गायब हो गए.

मई 2015 | महेंद्र चावला, गुजरात केस में गवाह

आसाराम के पूर्व सहायक महेंद्र चावला को पानीपत में दो अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी. फिलहाल, पुलिस सुरक्षा में हैं.

जुलाई 2015 | कृपाल सिंह, जोधपुर केस में गवाह

कृपाल सिंह जोधपुर केस में गवाह हैं. कृपाल सिंह को यूपी के शाहजहांपुर में दो अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी. गोली मारने के बाद उन्हें धमकी दी गई थी, कि वह इस केस से दूर रहें. अंतिम समय में कृपाल सिंह ने अपने बयान में गोली मारने वालों की पहचान आसाराम के अनुयायियों के रूप में की थी.

भक्तों में शामिल रहे कई वीवीआईपी

एक वक्त वो था जब आसाराम के चरणों में देश के बड़े-बड़े नेता शीश झुकाया करते थे और एक वक्त आज है जब आसाराम जोधपुर जेल में फैसले का इंतजार कर रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक, एक वक्त में आसाराम के करीब दो करोड़ अनुयायी थे. अनुयायियों की बड़ी संख्या के साथ ही आसाराम के भक्तों में कई बड़े राजनेताओं भी शामिल थे, जिन्होंने आसाराम के जरिए बड़े वोट बैंक में पैठ बनाने की कोशिश की.

उनके भक्तों की लिस्ट में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के लालकृष्ण आडवाणी और नितिन गडकरी जैसे दिग्गज नेताओं के नाम भी थे. इस लिस्ट में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमल नाथ और मोतीलाल वोरा जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल थे.

आसाराम के 'दर्शन' के लिए मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह, राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे जैसे तमाम नेता उनके दरबार में हाजिरी लगाते थे. सियासत से ताल्लुक रखने वाले आसाराम के भक्तों में सबसे महत्वपूर्ण नाम देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी है.

हालांकि, 2008 में आसाराम के मुटेरा आश्रम में 2 बच्चों की हत्या का मामला सामने आने के बाद से लगभग हर राजनीतिक दल के नेताओं ने उससे दूरी बना ली थी.

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Published: 24 Apr 2018,02:46 PM IST

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