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18 अगस्त से इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में शुरु हो रहे 18वें एशियन गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें हैं. एशियाई खेलों के इतिहास में भारत के प्रदर्शन पर नजर डालें तो अब तक खेले गए 17 एशियाई खेलों में भारत कुल 139 स्वर्ण, 178 रजत और 299 कांस्य मिलाकर कुल 616 पदक जीत चुका है.
इस दौरान दो बार भारत ने एशियन गेम्स की मेजबानी भी की. पहले एशियन गेम्स 1951 में दिल्ली में ही आयोजित किए गए थे. इसके बाद अगली बार भारत को खेलों के इस महाकुंभ को आयोजित करने का मौका 1982 में मिला, तब भी ये खेल दिल्ली में ही खेले गए थे.
एशियन गेम्स के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पहले आठ एशियाई खेलों में जापान नंबर-1 पायदान पर रहा जबकि अगले 9 खेलों में चीन इन खेलों का सिकंदर बना. लगभग हर एक एशियाई खेलों में इन दोनों देशों का दबदबा रहा है. इनके अलावा साउथ कोरिया ने भी इन खेलों में जमकर गोल्ड जीते हैं.
इस बार जकार्ता में कुल 45 एशियाई देश हिस्सा ले रहे हैं जो कि 40 खेलों के 465 इवेंट्स में भाग लेंगे. कुल मिलाकर तकरीबन 10 हजार एथलीट 15 दिनों तक चलने वाले इन खेलों में अपनी ताकत, हुनर और खेल भावना का परिचय देंगे.
एशियाई खेलों में भारत के प्रदर्शन पर नजर डालें तो पहले एशियाई खेलों में भारत दूसरे पायदान पर रहा था इसके बाद 1962 में जकार्ता में ही खेले गए एशियन गेम्स में भारत मेडल के मामले में तीसरे नंबर पर रहा.
अब तक के भारत के सबसे अच्छे प्रदर्शन की बात करें तो 2010 के ग्वांग्झू एशियाई खेलों में भारत ने सबसे ज्यादा पदक जीते. 2010 में भारतीय दल ने 65 पदक जीते थे. 2010 के ग्वांग्झू एशियाई खेल दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के तुरंत बाद आयोजित किए गए थे. रैंक के लिहाज से भारत का सबसे खराब प्रदर्शन 1990 के बीजिंग खेलों में रहा था तब भारतीय दल 11वें नंबर पर रहा था और 23 पदक ही भारत के खाते में गए थे. वहीं पदक के लिहाज से देखा जाए तो 1954 के मनीला एशियन गेम्स में भारत सिर्फ 14 पदक ही जीत सका था.
पिछले 67 वर्षों में भारत ने सबसे ज्यादा 233 पदक एथलेटिक्स में हासिल किए हैं. इसमें 72 स्वर्ण, 77 रजत और 84 कांस्य पदक शामिल हैं. इसके बाद 56 पदक कुश्ती में भारतीय खिलाड़ियों ने जीते हैं. इसके अलावा बॉक्सिंग में 55 और शूटिंग में 49 और टेनिस 24 पदक जीते हैं.
भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी की बात की जाए तो भारतीय दल अब तक सिर्फ चार स्वर्ण मेडल ही जीत पाया है इसके अलावा 10 रजत और पांच कांस्य पदक मिलाकर हॉकी में कुल 19 पदक भारत की झोली में गए हैं.
इस बार भारतीय दल के शूटिंग, कुश्ती, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, एथलेटिक्स, कबड्डी और टेनिस में में सोना जीतने की प्रबल संभावनाए हैं. इस बार कम से कम 20 गोल्ड मेडल जीतने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
सुशील कुमार और बजरंग के गोल्ड जीतने की पूरी संभावना है. वहीं महिलाओं में साक्षी मलिक और विनेश फोगट भी प्रबल दावेदार हैं.
सायना नेहवाल और हाल ही में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली पीवी सिंधु गोल्ड के लिए जी जान लगाएंगी लेकिन चीन और जापान की शटलर उन्हें कड़ी चुनौती देंगी. इसके अलावा साई प्रणीत और कदांबी श्रीकांत भी फाइनल का सफर तय करने के लिए पक्के दावेदार हैं.
कबड्डी में भारतीय टीम का दबदबा हमेशा ही रहा है और कबड्डी की इन खेलों में शुरुआत से अब तक के सभी 9 स्वर्ण भारत के खाते में ही गए हैं. इस बार भी टीम दमदार है और अकेली चुनौती ईरान की नजर आती है. महिला कबड्डी टीम ने भी पिछले एशियन खेलों में गोल्ड मेडल जीता था.
हाल ही में अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में महिला वर्ग में 400 मीटर का गोल्ड जीतने वाली हिमा दास पर सभी की नजरें होंगी हालांकि उनके लिए चुनौती काफी बड़ी है. जैवलिन थ्रो में अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का नाम रोशन करने वाले नीरज चोपड़ा एक बार फिर स्वर्णिम कामयाबी हासिल कर सकते हैं. पुरुषों की 4x400 मीटर रिले में भारतीय दल काफी दमखम वाला दिखाई दे रहा है वहीं 400 मीटर पुरुष में मोहम्मद अनास इस बार सभी को चौंका सकते हैं.
वहीं टेनिस में इस बार उम्रदराज खिलाड़ी लिएंडर पेस नए जोड़ीदार के साथ उतर रहे हैं और हो सकता है कि डबल्स का गोल्ड उन्हीं की झोली में जाए.
इस खेल में चीन के खिलाड़ियों से जबरदस्त टक्कर मिलने की संभावना है लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों में कमाल करने वाली मनिका बत्रा का विजय रथ रोकना चीन के लिए भी मुश्किल दिखाई पड़ रहा है
वहीं शूटिंग की बात की जाए तो जीतू राय, हिना सिद्धू और तेजस्विनी सावंत से भी स्वर्णिम निशाना लगाने की उम्मीद है. बॉक्सिंग में मैरी कॉम, गौरव सोलंकी , विकास कृष्ण यादव भी कॉमनवेल्थ गेम्स की तरह गोल्ड मेडल जीतने के प्रबल दावेदार दिखाई पड़ रहे हैं.
वहीं भारतीय हॉकी टीम से एक बार फिर पूरे देश को उम्मीदें हैं क्योंकि 2014 के इंचियोन में भारत ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. हाल में टीम ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था और चैंपियंस ट्रॉफी में सिल्वर जीता था.
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