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चक्रवाती तूफान 'बिपरजॉय' (Cyclone Biparjoy) तेजी से गुजरात (Gujarat) की ओर बढ़ रहा है. मौसम विभाग ने 'बिपरजॉय' को 'अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान' (ESCS) से डाउनग्रेड कर 'बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान' (VSCS) घोषित किया है. हालांकि गुजरात में इसको लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. 15 जून की शाम तक इसके सौराष्ट्र और कच्छ से गुजरने की संभावना है.
क्या आपको पता है कि चक्रवात क्या होता है? इसके कितने प्रकार हैं? 'बिपरजॉय' का नाम कैसे पड़ा? इसका क्या मतलब होता है? चलिए इस आर्टिकल में आपको इन्हीं सवालों का जवाब देते हैं.
'चक्रवात' हवाओं का लगातार बदलता हुआ चक्र है जिसके केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर उच्च वायुदाब होता है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं- चक्रवात हवा की एक बड़े पैमाने की प्रणाली है जो कम दबाव वाले क्षेत्र के केंद्र के चारों ओर घूमती है. चक्रवात की वजह से तूफानी हवाओं के साथ भारी वर्षा हो सकती है. NDMA के मुताबिक, उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphare) में चक्रवात एंटी-क्लॉकवाइज (anticlockwise) घूमती है और दक्षिणी गोलार्ध में ये क्लॉकवाइज (clockwise) घूमती है.
चक्रवात मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Extra-tropical Cyclone)
उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone): उष्णकटिबंधीय चक्रवात वो होते हैं जो मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्रों में विकसित होते हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवात अत्यंत शक्तिशाली और विनाशकारी होते हैं. ये चक्रवात उष्णकटिबंधीय महासागरों की सतह पर उत्पन्न होते हैं और तटीय क्षेत्रों की तरफ बढ़ते हैं. निम्न वायमंडलीय दबाव, तेज हवाएं और भारी बारिश इनकी मुख्य विशेषताएं हैं.
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है. उत्तरी अटलांटिक महासागर और पूर्वी उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में इन्हें हरिकेन कहा जाता है. वहीं फिलीपींस, जापान और चीन के आसपास के पश्चिमी उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में इसे टाइफून कहा जाता है.
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Extra-tropical Cyclone): शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात मुख्य रूप से उत्तरी अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर, उत्तरी प्रशांत महासागर और चीन सागर में बनते हैं. ये चक्रवात ठंडी और गर्म, यानी दो विपरीत गुणों वाली हवाओं के मिलने से बनते हैं.
ये चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में केवल सर्दियों के मौसम में बनते हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में जलीय भाग के ज्यादा होने के कारण साल भर बनते रहते हैं.
'बिपरजॉय' एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है. जिसमें 125-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की आशंका है. वहीं लैंडफॉल होने पर हवा की रफ्तार 150 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने की संभावना है. 'मोचा' के बाद यह 2023 उत्तर हिंद महासागर चक्रवात के मौसम का दूसरा तूफान है.
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, 11 जून को 'बिपरजॉय' 'बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान' (VSCS) से एक 'अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान' (ESCS) में बदल गया था. हालांकि, मंगलवार, 13 जून को ये कमजोर पड़ गया. मौसम विभाग ने जानकारी दी कि ये एक बार फिर से 'बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान' (VSCS) में बदल गया है.
किस तरह का खतरा ?
छप्पर वालों घरों के पूरी तरह नष्ट होने का खतरा
कच्चे घरों को भी व्यापक नुकसान का खतरा
पक्के मकानों को भी हो सकता है हल्का नुकसान
बिजली और संचार के खंभे झुक सकते हैं या गिर सकते हैं
कच्ची और पक्की सड़कों को भारी नुकसान
पलायन मार्गों पर बाढ़ का खतरा
रेलवे, ओवरहेड बिजली लाइन और सिग्नल सिस्टम को नुकसान
खड़ी फसलों, वृक्षारोपण, बागों को व्यापक नुकसान
पेड़ उखड़ सकते हैं
विजिबिलटी पर बुरा असर
बता दें कि इस चक्रवात का नाम बांग्लादेश ने 'बिपरजॉय' रखा है. बांग्ला में इस नाम का मतलब "आपदा" या "विपत्ति" होता है.
2000 से विश्व मौसम संगठन यानी WMO और यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमिशन फॉर द एशिया पैसेफिक यानी ESCAP ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के तूफानों के नामकरण का मेथेड शुरू किया.
वर्तमान में साइक्लोन के नाम रखने का काम दुनिया भर में मौजूद छह विशेष मौसम केंद्र, रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर्स यानी RSMCS और पांच चक्रवाती चेतावनी केंद्र यानी ट्रॉपिकल साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स यानी TCWCS करते हैं.
साइक्लोन के नाम इसलिए रखे जाते हैं, ताकि उनकी पहचान करना आसान हो. हर साल साइक्लोन के नाम अल्फाबेटकली क्रम में यानी A से Z तक तय होते हैं. एक नाम का दोबारा इस्तेमाल कम से कम 6 साल बाद ही हो सकता है.
बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का ट्रैक स्पष्ट नहीं है क्योंकि विभिन्न जलवायु मॉडल अलग-अलग पूर्वानुमान लगा रहे हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत को सतर्क रहना चाहिए. पिछले कुछ दिनों में बिपरजॉय की दिशा और रफ्तार में बदलाव देखने को मिला है.
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक शोध वैज्ञानिक अक्षय देवरस ने बताया कि मॉडल आमतौर पर अंतर दिखाते हैं. लेकिन इस बार विविधताएं काफी आश्चर्यजनक हैं. इसका वो दो कारण बताते हैं:
हवा की आदर्श स्थिति नहीं होना
पाकिस्तान और पश्चिम एशिया में शुष्क हवा
चक्रवात ताउते: ताउते 2021 में भारत में आने वाला सबसे शक्तिशाली चक्रवात था. इसने 17 मई, 2021 को गुजरात में दस्तक दी, जिसमें 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं. 20 मई 2021 को द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 49 लोग लापता थे.
चक्रवात अम्फान: अम्फान 2020 में भारत और बांग्लादेश से टकराने वाला सबसे शक्तिशाली चक्रवात था. इसने 20 मई, 2020 को पश्चिम बंगाल में 205 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ लैंडफॉल किया था. 29 मई 2020 को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 98 लोगों की मौत हुई थी.
चक्रवात गाजा: गाजा एक भयंकर चक्रवाती तूफान था, जो नवंबर 2018 में भारत और म्यांमार से टकराया था. 15 नवंबर, 2018 को तमिलनाडु में आए इस चक्रवात के दौरान 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थीं.
अब तक उपलब्ध जानकारी के आधार पर कहा जा रहा है कि बिपरजॉय के तौकते, अम्फान और गाजा से कम विनाशकारी होने की उम्मीद है.
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