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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण विद्यार्थियों में CBSE 12वीं बोर्ड एग्जाम को लेकर उलझन बनी हुई है.CBSE 12वीं बोर्ड के प्रमुख विषयों के लिए छोटे फॉर्मेट वाले ऑब्जेक्टिव MCQ एग्जाम पर विचार कर रही है. इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों से उनकी राय 25 मई तक मांगी थी.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक CBSE 12वीं बोर्ड के लिये सिर्फ प्रमुख विषयों की परीक्षा लेने का मन बना रही है.CBSE ने शिक्षा मंत्रालय को 12वीं के बोर्ड के लिए दो विकल्प सुझाए है:
शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए कहा था ,32 राज्यों और केंद्रशासित राज्यों ने CBSE के सुझाव पर सहमति जताते हुए 12 वीं बोर्ड परीक्षा के लिए हामी भरी है. इन 32 राज्यों और UT's में से 29 ने दूसरे विकल्प के साथ जाने या केंद्र के निर्णय को मानने के लिए सहमति जाहिर की है. दिल्ली, महाराष्ट्र ,गोवा और अंडमान-निकोबार ने पेन-पेपर एग्जाम पर सहमति नहीं जताई है.
CBSE की सबसे बड़ी परेशानी है कि उसके पास पिछले साल की तरह 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द करने का आसान विकल्प नहीं है. पिछले साल 18 मार्च 2020 को जब CBSE ने बोर्ड एग्जाम रद्द किया था तब तक वह 10वीं और 12वीं के अधिकतर प्रमुख विषयों का एग्जाम ले चुकी थी(सिवाय हिंसा ग्रस्त उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाकों के विद्यार्थियों के).
12वीं बोर्ड की परीक्षा पर शिक्षा मंत्रालय को दिए अपने प्रतिक्रिया में पंजाब, झारखंड, सिक्किम, दमन-दीव ने कहा कि परीक्षा विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के वैक्सीनेशन के बाद ही होना चाहिए. दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने भी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के वैक्सीनेशन पर जोर दिया है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को लिखा कि अगर वैक्सीनेशन संभव नहीं है, तो बोर्ड एग्जाम कैंसिल कर दिया जाए और 12वीं के बच्चों का मूल्यांकन 10 वीं बोर्ड और 11-12 के इंटरनल एग्जाम के प्रदर्शन के आधार पर किया जाए.
CBSE और शिक्षा मंत्रालय के वर्तमान प्रयासों से लगता है कि वे अपने दूसरे विकल्प के साथ ही आगे बढ़ रहे है. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच बिना वैक्सीनेशन विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को बोर्ड एग्जाम में ढकेलना खतरनाक हो सकता है. इसका उदाहरण हमने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में शामिल शिक्षकों की मौत के मामले में देखा है.
इसका एक उपाय दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजे अपने लेटर में दिया है. उनके अनुसार अगर कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को 18 साल से कम आयु के विद्यार्थियों को नहीं लगाया जा सकता है तो केंद्र सरकार फाइजर वैक्सीन का आयात करे जिसे 12 साल के ऊपर के बच्चों को लगाया जा सकता है.
एक अन्य विकल्प पिछले एग्जाम में विद्यार्थियों के प्रदर्शन और इंटरनल एसेसमेंट के मार्क्स को मिलाकर 12वीं बोर्ड का रिजल्ट तैयार करना है. द क्विंट से बातचीत में स्प्रिंगडेल स्कूल, दिल्ली की प्रिंसिपल अमीता मुल्ला वत्ताल ने सुझाव दिया कि विद्यार्थियों के पिछले दो-तीन साल के प्रदर्शन और प्रैक्टिकल के मार्क्स को मिलाकर CBSE 12वीं का रिजल्ट तैयार कर सकती है.
आगे विभिन्न यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज अपने यहां एडमिशन के लिए 12वीं के रिजल्ट को पैमाना ना मानकर वे खुद अपना एडमिशन क्राइटेरिया तय करें. इसमे एन्ट्रेंस टेस्ट से लेकर इंटरव्यू तक शामिल हो.
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Published: 28 May 2021,10:37 AM IST